निर्मली (सुपौल) : कोशी नव निर्माण मंच ने कोशी तटबंध के भीतर हर साल भीषण बाढ़ की आपदा भोगने को विवश लोगों के पुनर्वास सहित नौ सूत्री मांगों को लेकर निर्मली अनुमंडल कार्यालय के समक्ष दो जून 2025 को एक दिवसीय धरना दिया।
धरना के दौरानं निर्मली और मरौना प्रखंड के सैकड़ों बाढ़ व कटाव पीड़ितों ने वर्ष 2024 की बाढ़ में भोगी गई पीड़ा बतायी। खासकर महिलाओं ने अपने दुःखद अनुभव बताया कि कैसे वे घर की छप्पर पर बच्चों को लेकर रहने को मजबूर हुए। बाढ के दौरान सांप और विषैले जीव भी आते थे, जिनसे बड़ी मुश्किल से जान बची। यदि तटबंध के बाहर पुनर्वास होता तो वे इस नरक से बाहर निकलते। कोशी के कटाव से विस्थापित होकर जब घर का ठाठ बांध पर रखते है तो वहां से भगा दिया जाता है। झोपडी बनाने पर आसपास के लोग सीसा तोड़कर उस जगह फेंक देते है कि इससे परेशान होकर ये लोग भाग जाएं। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार हमारा उचित पुनर्वास करे।
इस धरना कार्यक्रम में सिकरहटा, एकडेरा में स्कूल और आंगनबाड़ी नहीं होने सहित अन्य बातें उठायी गईं। तटबंध के भीतर एक भी उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने, टीकाकरण और प्रसव में होने वाली पीड़ा एवं असमय मौत का दर्द भी लोगों ने साझा किया। घाटों पर नाव नहीं होने, बाढ से परेशान किसानों को लोन के लिए बैंक द्वारा नोटिस भेजने सहित अन्य पीड़ा साझा की गई। नेताओं, सरकार और प्रशासन से उनकी घोर उपेक्षा पर रोष व्यक्त करते हुए बताया कि जिला प्रशासन सरकार द्वारा ही बनाए गए एसओपी और मानदर का अनुपालन नहीं कर रहा है।

धरना के दौरान ही लोगों की बातों को सूत्रबद्ध कर 9 सूत्री मांग पत्र तैयार किया गया। फिर संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने अनुमंडल पदाधिकारी धीरज कुमार सिन्हा को यह मांग पत्र सौंपा व महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। अनुमंडल पदाधिकारी ने इस दौरान कहा कि वे इन सभी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे और नए पदस्थापित होने वाले जिला पदाधिकारी के साथ चर्चा करेंगे। संगठन की ओर से कहा गया कि यदि हमारी मांगे नहीं सुनी जाती हैं तो हमलोग अंततः एनएच जाम करने पर विवश होंगे।
कोशी नवनिर्माण मंच के नौ सूत्री मांग पत्र की महत्वपूर्ण बातें –
कोशी तटबंध के भीतर रह रहे लोगों जो विभिन्न कारणों से पुनर्वास से वंचित हैं, उनका सर्वे कराकर पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
मानसून के मद्देनजर कोशी तटबंध के भीतर सभी घाटों पर सरकारी नावों की बहाली अविलंब की जाए।
सभी कटाव पीड़ितों को को गृह क्षति लाभ अविलंब दिया जाए।
सहाय्य राशि यानी जीआर वंचित को दिलायी जाए।
कपड़ा, बरतन, मृत पशुओं की क्षति का लाभ दिया जाए।
तटबंध के भीतर उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जाए।
आवश्यक दवाओं के साथ मोटर वोट क्लीनिक का परिचालन हो।
कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय और प्रभावी बनाया जाए।
तटबंध के भीतर के सभी रैयतों से चार हेक्टेयर तक माफ लगान की वसूली पर रोक लगायी जाए।
धरना में कई वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं। वक्ताओं में जयनाथ पंडित, उपेन्द्र पासवान, रामप्रसाद मेहता, बीरेंद्र मेहता, सुभाष यादव, संजय महतो, नागो सदा, राजकुमार महतो, प्रमोद प्रभाकर, राम उदगार सदा, एनएपीएम के राज्य संयोजक मंडल के रामचंद्र यादव, सोशलिस्ट दुखीलाल, समतोलिया देवी, मालभोगिया देवी, मंजुला देवी, इशरत परवीन, कबूतरी देवी, सीता देवी, सरस्वती देवी, मो सदरूल, अरहुलिया देवी, सिकंदर, गीता देवी, लालिया देवी, भागवत पंडित, आलोक राय, धर्मेन्द्र यादव, प्रियंका, प्रमोद, संतोष मुखिया, मनीष, संदीप, आरिफ, कामेश्वर कर्ण, अरविंद मेहता, प्रमिला देवी, अर्चना सिंह, आलोक राय व महेंद्र यादव आदि शामिल थे।

कोशी के लोगों का समर्थन करते हुए प्रो अखिलेश सिंह ने कहा कि कोशी के संकट के समाधान के लिए सभी को एकजुट होना होगा। युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि कोशी के लोग लाखों के न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, इनके द्वारा उठाई गई मांगों के साथ वे भी हैं, इसे कांग्रेस पार्टी और अन्य मंचों पर रखेंगे। वहीं, पंच अभिशाप मुक्त कोशी के अनिल सिंह और मरौना प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि राज नारायण निराला ने भी इन मांगों का समर्थन किया।
धरना कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए घोघररिया की मुखिया एकता यादव ने कहा कि घर-घर सिंदूर के जाने की बात हो रहीं है कोशी तटबंध के भीतर की सुहागन महिलाओं के सुहाग की रक्षा पुर्नावास से होगी इसलिए सरकार उन्हें पुनर्वासित करे। कार्यक्रम का संचालन इंद्र नारायण सिंह और धन्यवाद ज्ञापन राजेश मंडल ने किया।