देश में बाघ अभ्यारण्यों की संख्या 46 से बढ़कर 58 हुई, केंद्र ने छोटी बिल्लियों पर स्टेटस रिपोर्ट भी जारी की

विश्व बाघ दिवस के मौके केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कई नई पहल की है, जिसके तहत बाघ अभ्यारण्यों में पौध रोपण व एकल उपयोग वाली प्लास्टिक का पूर्ण रूप से उपयोग रोकने की कोशिश शामिल है।

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के मौके पर राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक बाघ दिवस 2025 समारोह की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने बच्चों में पारिस्थितिक संतुलन, संरक्षण जागरूकता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के महत्व पर बल दिया। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के संरक्षण के प्रति युवाओं को जागरूक करने के लिए विद्यालयों और शिक्षकों को बधाई दी।

वन्यजीव संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का उल्‍लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या वर्ष 2014 में 46 से बढ़कर आज तक 58 हो गई है। यह वृद्धि हमारे राष्ट्रीय पशु की सुरक्षा के प्रति प्रधानमंत्री की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

बाघ दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान शुभारंभ करने की घोषणा की, जिसके अंतर्गत सभी 58 बाघ अभयारण्यों में एक लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे। इससे यह दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक बन जाएगा।

पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूकता का आह्वान करते हुए उन्होंने बच्चों और नागरिकों से एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत अपनी मां के नाम पर कम से कम एक पौधा लगाने का आग्रह किया, जो मातृ शक्ति और धरती मां दोनों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जैसे हमारी मां हमारा पालन.पोषण करती है, वैसे ही धरती मां भी करती है। एक पेड़ पक्षियों को आश्रय देता है, बिना मांगे फल देता है और निस्वार्थ भाव से ऑक्सीजन प्रदान करता है।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत द्वारा शुरू किए गए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस आईबीसीए की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में पाई जाने वाली सात बड़ी बिल्लियों का संरक्षण करना है। उन्होंने बताया कि 24 देश पहले ही इस वैश्विक प्रयास में शामिल होने के लिए सहमत हो चुके हैं और इसका मुख्यालय भारत में होगा।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर छोटी बिल्लियों पर स्टेटस रिपोर्ट के अलावा बाघ संरक्षण से संबद्ध दो पुस्तकें जारी की गईं। Photo – PIB

उन्होंने युवाओं से दृढ़ संकल्प, धैर्य और विनम्रता का जीवन जीने और मिशन लाइफ के अंतर्गत संरक्षण प्रयासों के माध्यम से समाज में योगदान देने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सच्ची प्रगति प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने में ही निहित है। बाघ जैसा सबसे शक्तिशाली प्राणी भी हमें विनम्रता सिखाता है। यही पारिस्थितिक संतुलन का सार है।

यादव ने वर्चुअल माध्यम से भारत के सभी 58 बाघ अभयारण्यों में वृक्षारोपण अभियान का उद्घाटन किया। इस पहल के अंतर्गत प्रत्येक बाघ अभयारण्य, बाघ संरक्षण के लिए आवश्यक पारिस्थितिक आधार को मजबूत करने और आवास बहाली को बढ़ावा देने के लिएए बंजर क्षेत्रों में देशी पौधों की प्रजातियों के 2,000 पौधे लगाएगा। इस कार्यक्रम में अरावली परिदृश्य में तीन स्थानों पर वन नर्सरियों का उद्घाटन भी शामिल था, जो देशी प्रजातियों का उपयोग करके वनीकरण और दीर्घकालिक पारिस्थितिक अनुकूलता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में काम करेंगी। इस दिन प्लास्टिक.मुक्त बाघ अभयारण्य अभियान का भी शुभारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य बाघ अभयारण्यों के भीतर सभी एकल उपयोग वाले प्लास्टिकों का उपयोग समाप्त करना है।

भूपेंद्र यादव ने चार महत्वपूर्ण प्रकाशनों का भी अनावरण किया, जिनमें से प्रत्येक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, एनटीसीए के अंतर्गत भारत के वन्यजीव संरक्षण के अनूठे पहलू पर प्रकाश डाला गया है।

भारत के बाघ परिदृश्य में छोटी बिल्लियों की स्थिति पर रिपोर्ट
स्ट्राइप्स पत्रिका वैश्विक बाघ दिवस विशेष संस्करण
पुस्तकें – भरत लाल द्वारा लिखित पुस्तक – भारत में बाघ अभयारण्यों के झरने और दूसरी पुस्तक डॉ एसपी यादव द्वारा लिखित – भारत के बाघ अभयारण्यों के अंदर जल निकाय।

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