सुंदरबन में मछुआरों के आंदोलन का आज 16वां दिन, डीएम की पहल के बावजूद उत्पीड़न बढ़ा

सुंदरबन क्षेत्र में वन अभ्यारण्य के नाम पर मछुआरों के बढते दमन के खिलाफ आज उनका आंदोलन 16वें दिन में प्रवेश कर गया है। इस दौरान दक्षिण 24 परगना जिले के डीएम ने डीएफओ को मामले में हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन डीएफओ की ओर से अबतक कोई पहल नहीं की गई है। इसके उलट आंदोलन के दौरान मछुआरों पर वन विभाग की कार्रवाई और बढ गई है।

डायमंड हॉर्बर (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरबन क्षेत्र में पूरब गुरगुरिया के मछुआरों के आंदोलन का रविवार, सात दिसंबर 2025 को 15 दिन पूरा हो गया और आज यानी आठ दिसंबर को आंदोलन 16वें दिन में प्रवेश कर गया है। हालांकि इस बीच वन विभाग की ओर से न तो मछुआरों की समस्या सुनी गई है और न ही उनके मछली व केकड़ा पकड़ने के दौरान उनके खिलाफ कार्रवाई रोकी गई है।

दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम (DMF) व उसके सहयोगी संगठन के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में फोरम के मांगपत्र पर दक्षिण 24 परगना जिले के डीएम अरविंद कुमार मीणा ने चार दिसंबर 2025 को हस्तक्षेप करते हुए इसे दक्षिण 24 परगना के डीएफओ को कार्रवाई के लिए भेज दिया है। डीएम ने डीएफओ को पत्र में लिखा है कि दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम के महासचिव के इस पत्र में विवरण उपलब्ध है और आप इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करें। डीएम ने इस पत्र की प्रति डायमंड हार्बर के असिस्टेंट फिशरीज डायरेक्टर (मैरीन) व महासचिव, दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम को भी भेजा है।

इस संबंध में क्लाइमेट ईस्ट से बातचीत में दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम के महासचिव मिलन दास ने कहा, “हमारे मांग पत्र पर पहल करते हुए डीएम ने डीएफओ को पत्र तो भेजा है, लेकिन डीएफओ की ओर से अबतक कोई कार्रवाई मछुआरों के अधिकारों के हित में नहीं की गई है और न ही हमारी उनसे कोई वार्ता हुई है”। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हमारे इस आंदोलन के बाद नदी में मछली व केकड़ा पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरों पर वन विभाग की कार्रवाइयां बढ गई है, जबकि हम सिर्फ अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं।

दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने अपने पत्र में लिखा है कि बाघों व वन्यजीवों के संरक्षण के नाम पर वन विभाग सुंदरबन में लाखों छोटे और गरीब मछुआरों को निशाना बना रहा है। इसके खिलाफ दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने आठ जून 2025 को सुंदरबन वन सत्याग्रह शुरू किया था। इस मामले की जानकारी 27 मई 2025 को डीएफ को दी गई थी।

जून 2025 में मछुआरों द्वारा निकाली गई एक लंबी पदयात्रा में शामिल एक बुजुर्ग मछुआरा। फोटो: दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम(DMF)।

इस क्रम में सैकड़ों मछुआरों ने डायमंड हॉर्बर के सुल्तानपुर फिशिंग हॉर्बर से अपना मार्च शुरू किया और 72 किमी लंबी दूरी तय करने के बाद 11 जून 2025 लोथियन वन्यजीव अभ्यारण्य के पास पहुंचे। पर, वन विभाग ने उन्हें लोथियन वन्य अभ्यारण्य में पैर रखने की अनुमति नहीं दी। फिर फोरम ने इस दिन यानी 11 जून 2025 को एक विस्तारित सुंदरबन सत्याग्रह कार्यक्रम का ऐलान किया। इसके हिस्से के रूप में 12 जून 2025 को सुंदरबन के विभिन्न वन कार्यालयों में शांतिपूर्वक धरना और ज्ञापन के साथ मछुआरों के नाव का सालाना रिन्यूएबल परमिट के लिए आवेदन पत्र दिया गया। इस दौरान भगवतपुर रेंज, रामगंगा रेंज, सजनेखाली रेंज, बक्खाली रेंज, मैनपारा वन शिविर औरबगना बीट कार्यालय के समक्ष भी शांतिपूर्ण धरना, ज्ञापन व वार्षिक परिमिट को रिन्यू करने के लिए आवेदन दिया गया।

अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन में शामिल महिला मछुआरा।

विश्व मछुआरा दिवस के दौरान शुरू हुआ आंदोलन

21 नवंबर 2025 को विश्व मछुआरा दिवस के मौके पर दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम व गुरगुरिया डोंगा मछुआरा संघ ने रायदिघी रेंज के अंतर्गत कुलतली बीट कार्यालय पर शांतिपूर्ण धरना का आयोजन किया और ज्ञापन के साथ वार्षिक व्यक्तिगत परमिट के लिए आवेदन पत्र का वितरण किया। लेकिन, कुलतली बीट अधिकारी द्वारा धरना मंच पर तोड़फोड़ किया गया और व्यक्तिगत परमिट के लिए आवेदन स्वीकार करने से इनकार किया गया। इसके बाद 23 नवंबर 2025 से मछुआरा पूरब गुरगुरिया गांव में शीतला मंदिर के निकट शांतिपूर्ण आंदोलन को मजबूर हुए हैं।

फोरम ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि अहिंसक आंदोलन के समर्थन मे पूरे पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्ण बैठकें, मार्च, नाकेबंदी, विरोध प्रदर्शन, धरना आदि का आयोजन किया जाएगा।

दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने अपने पत्र में लिखा है कि बाघों व वन्यजीवों के संरक्षण के नाम पर वन विभाग सुंदरबन में लाखों छोटे और गरीब मछुआरों को निशाना बना रहा है। इसके खिलाफ दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने आठ जून 2025 को सुंदरबन वन सत्याग्रह शुरू किया था। इस मामले की जानकारी 27 मई 2025 को डीएफ को दी गई थी।

नदी में विरोध प्रदर्शन करते मछुआरा। फोटो: दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम।

मछुआरों की मांग-

  1. धरना मंच पर तोड़फोड़ करने वाले कुलतली बीट अधिकारी को तुरंत निलंबित किया जाए और कानून के मुताबिक सजा दी जाए।
  2. सुंदरबन की सभी नदियों, नालों और जंगलों में मछली और केकड़ों के शिकार के लिए प्रत्येक मछुआरे से एक वार्षिक व्यक्तिगत परमिट आवेदन पत्र तुरंत स्वीकार किया जाना चाहिए और उक्त आवेदन के आधार पर एक वार्षिक नवीकरणीय व्यक्तिगत परमिट जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए।
  3. पूर्वी गुरगुरिया, मध्य गुरगुरिया, देवीपुर आदि गांवों की मछली एवं केकड़ा मछली पकड़ने वाली नौकाओं को चितुरी जंगल में रोक लिया गया है। मछली और केकड़े का अधिकार दिया जाना चाहिए।
  4. सुंदरबन की सभी नदियों, खाड़ियों और जंगलों से मछली और केकड़े के शिकार पर लगाया गया एकतरफा प्रतिबंध तुरंत हटाया जाना चाहिए। तथा मछुआरों पर प्रतिदिन भारी जुर्माना, मारपीट, दुर्व्यवहार आदि बंद किया जाए।
  5. दमनकारी सुंदरबन बाघ परियोजना का मतला, रायदिघी और रामगंगा तक विस्तार तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
  6. सुंदरबन की नदियों-खाड़ियों-जंगलों में मछली पकड़ने पर तीन महीने के प्रतिबंध के दौरान प्रत्येक मछुआरे को प्रति माह 5000 (पांच हजार) रुपये का भुगतान करना होगा।
  7. बाघ एवं अन्य जंगली जानवरों के हमले में मारे गये तथा तूफान के कारण जंगल में शरण लेने में असमर्थ मछुआरों की विधवाओं एवं निराश्रित परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाये।
  8. सुंदरवन मत्स्य पालन के सुदृढ़ प्रबंधन के लिए गांव, ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला और विभिन्न मछुआरा संघों, मछुआरा सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों के साथ राज्य स्तरीय प्रबंधन समिति का गठन किया जाए।
  9. जंगल में मैंग्रोव वृक्षारोपण कार्य का उचित पारिश्रमिक शीघ्र भुगतान किया जाये।

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