खेरवाड़ सॉंवता एभेन बायसी की बैठक में माक् मोडें मनाने का निर्णय, जानें इस पर्व के पीछे की वजह

दुमका: दुमका जिले के रामगढ प्रखण्ड अंतर्गत केन्दुआ टीकर गाँव में खेरवाड़ साँवता एभेन बायसी का पांच अक्टूबर को एक अहम बैठक की गई, जिसमें सर्वसहमति से इस महीने के अंत में माक् मोडें मनाने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में विभिन्न ग्रामों से माँझी बाबा एवं लेखाहोड ने भाग लिया। बैठक में माक् मोडें काराम और सप्ताहिक मंझी थान पूजा के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी।

जब भी गांव में किसी भी तरह की दुःख तकलीफ होती है या फसल आदि ठीक से नहीं होती है तो संताल आदिवासी अपने ईष्ट देवता से मन्नत मांगते हैं कि वे उनके दुःखों को दूर करें। जब मन्नत पूरी हो जाती है तो सभी ग्रामीण मिल कर माक् मोडें काराम मनाते हैं। इस पर्व में धरती की उत्पत्ति, मानव जाति की उत्पत्ति, जन्म से मरण तक के चक्र का इस महापर्व में गुरुओं के द्वारा चर्चा की जाती है।

उल्लेखनीय है कि संताल समुदाय पिलचु हाडाम और पिलचू बुढी के वंशज हैं। पिलचु हाडाम और पिलचु बुढी के सात लडके व सात लडकियाँ थे। फिर आगे चलकर संताल समुदाय 12 गोत्र में विभाजित हो गया। हिहिडी, पिपिडी, चाय-चाम्पा, खोज कामान, शिर गाढ, शिकारगाड इत्यादि श्रेष्ठ एवं पवित्र किले का वर्णन माह मोड़ें काराम विनती में मिलता है।

बैठक में सर्वसम्मति से ग्रामीणों और बायसी ने माक् मोडें काराम 26 से 27 अक्टूबर 2025 को मनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ-साथ बैठक में साप्ताहिक मंझी थान पूजा पर भी चर्चाएं हुई। साप्ताहिक मंझी थान पूजा से भावी पीढी को धर्म, संस्कृति, बोंगा बुरु और सभ्यता को बचाये रखने और एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक परंपरा व ज्ञान का हस्तांतरण करने में मदद मिलती है।

इसके साथ ही बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करने, नशा से दूर रखने, स्वस्थ जीवन जीने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देने जैसी महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गई। बैठक में रामगढ़ प्रखंड, जामा प्रखंड एवं दुमका प्रखंड के बायसी के सक्रिय सदस्य – गिरीश सोरेन., नटुआ हाँसदा, विजय सोरेन, अजय हेमब्रम, अशोक टुडू, देवीलाल सोरेन, रामलाल हाँसदा, जोसेफ मुर्मू, गोविन्द मुर्मू, सुनील मुर्मू, महालाल किस्कू, मंगल टुडू सुशील हाँसदाः, फिलीप मुर्मू, भैरू मुर्मू, अशोक टुडू, लोबिन मुर्मू, समेत अन्य ग्रामीण एवं लेखा होड ने भाग लिया।

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