मंच ने कहा है कि बाढ का समाधान कोसी-मेची परियोजना या डगमारा में बैराज बना देने में नहीं है।
सुपौल : कोसी नव निर्माण मंच (कोएनएम) ने सुपौल के डीएम को 17 सूत्रीय मांग पत्र भेजते हुए तटबंध के भीतर कोसी की भयावह बाढ़ के पीड़ितों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया एसओपी व तय मानदंड के तहत राहत कार्य तेज करने की मांग रखी है। मंच ने बाढ़ पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की है, साथ ही अपनी दीर्घ कालिक मांगों को दुहराते हुए पुनर्वास, प्राधिकार, लगान मुक्ति सहित कोसी के समाधान की बात उठाई है।
संगठन ने अपने मांग पत्र में कोसी की भीषण बाढ आपदा के समय रेस्क्यू कार्य की कमियों, नावों के अभाव में भूखे प्यासे लोगों के छप्पर पर कई दिनों तक रहने एवं आपदा से बिलख रहे लोगों की पीड़ा का जिक्र करते हुए मांग रखी है कि बाढ़ के लिए तय मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन हो और तय मानदर के अनुसार सभी राहत व क्षतिपूर्ति कार्य तेज से किया जाए। साथ ही बीमारियों व संक्रमण से बचाव के लिए तटबंध के भीतर के सभी गांवों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हो।
मंच ने कहा है कि पीड़ित परिवारों को साहाय्य अनुदान जीआर की सूची में कर्मियों की मनमानी के कारण राशन कार्ड की अनिवार्यता के नाम पर वंचित करने से रोका जाये और उनका नाम लाभार्थी सूची में जोड़ा जाए। ऐसा देखने में आ रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में कर्मी जीआर के लिए राशन कार्ड को अनिवार्य बता रहे हैं, जबकि कई लोगों के पास अभी भी राशन कार्ड नहीं है और ऐसी कोई सरकारी अनिवार्यता भी नहीं है।
इसके साथ ही मंच ने कहा है कि बाढ़ में ध्वस्त हुए घरों का सर्वे कराकर गृह क्षति का भुगतान किया जाए। गाय, भैंस, बैल, बछड़े, बकरी इत्यादि मर गये और नदी की धारा में समा गये। ऐसा नुकसान झेलने वाले किसानों व परिवारों को हुई क्षति का सर्वे करा कर उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाये।
विभागीय नियमों के अनुरूप क्षतिग्रस्त वस्त्र, बर्तन की निर्धारित राशि 2000 हजार और 1800 दिया जाए।
इसके साथ ही 33 प्रतिशत से अधिक क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे करा कर फसल इनपुट का लाभ दिलाया जाए। गांवों में मेडिकल कैंप और पशुओं के इलाज के लिए भी कैंप लगवाए जाएं। तटबंध के भीतर के पशुओं के लिए भी चारा दिया जाए। बसंतपुर अंचल के छितौनी सहित अन्य बुरी तरह से प्रभावित गांवों का जांच कर उन्हें बाढ प्रभावित माना जाए।
ऐसे क्षेत्र में शिक्षा के लिए विशेष योजना बनाई जाए। साथ ही पारदर्शिता अपनाते हुए अनुबंधित और चलाई गई नावों के साथ ही संचालित बाढ़ राहत कैम्प, कम्युनिटी किचन की जानकारी सार्वजनिक की जाए।
साथ ही संगठन ने यह भी कहा है कि तटबंध के भीतर के लोगों का सर्वे कराकर अबतक पुनर्वास से वंचित रहे लोगों का पुनर्वास कराया जाये। इन लोगों के कल्याण के लिए बने कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए।
सरकार द्वारा कराये जा रहे विशेष भू सर्वे में रैयतों की पेचीदगी दूर करने और लगान मुक्ति की बात उठाई गई है।
कोसी नवनिर्माण मंच ने जिलाधिकारी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि तटबंधों के आसपास बाढ पीड़ितों के लिए अनेक कम्युनिटी कीचन व व राहत कार्य चले लेकिन त्रासदी के अनुपात में रेस्क्यू कार्य नाकाफी थे।
बाढ़ का समाधान कोसी-मेची परियोजना व डगमारा बराज नहीं है
उपलब्ध तथ्यों एवं आंकड़ों के आधार पर मंच ने कहा है कि बाढ की समस्या का समाधान कोसी-मेची परियोजना या डगमारा का बराज नहीं है। इसलिए कोसी नदी की सभी छाड़न धाराओं का सर्वे करा कर उन्हें पुनर्जीवित कराया जाए। उनसे नियंत्रित तरीके से कोसी का पानी डायवर्ट करने से बाढ़ की समस्या कुछ हद तक कम हो जाएगी। साथ बाढ़ के निदान के अन्य कार्य भी हो।