पश्चिम बंगाल के सुुंदरबन क्षेत्र के मछुआरे अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि वन अभ्यारण्य व संरक्षित क्षेत्र के नाम पर लगातार उनके अधिकारों का हनन हो रहा है और पुलिस व वन विभाग उन पर गलत ढंग से कार्रवाइयां करता है। मछुआरों की मांग है कि उन्हें मछली व केकड़ा पकड़ने का उनका परंपरागत अधिकार दिया जाए।
कुलतली (दक्षिण 24 परगना): सुंदरबन के मछुआरे सरकारी दमन व नियमों की आड़ में मछुआरों की हकमारी के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं। आज यानी 25 नवंबर को मछुआरों के आंदोलन का तीसरा दिन है। आंदोलन की शुरुआत 23 नवंबर को दक्षिण 24 परगना जिले के कुलतली ब्लॉक के पूर्वी गुरगुरिया गांव के शीतला मंदिर के समक्ष धरने से हुई। हालांकि पुलिस प्रशासन ने इस धरने को अवैध करार देते हुए मछुआरा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है। वहीं, दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम (DMF) ने कहा है कि हमने इस धरने की अनुमति मांगी थी और इसकी इसकी जानकारी 22 नवंबर 2025 को रात 9.20 बजे इमेल के जरिए दक्षिण 24 परगना के डीएफओ, बरुईपुर पुलिस जिले के एसपी और कुलतली पुलिस थाने और मैपीठ कोस्टल पुलिस स्टेशन को दी गई थी।
दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने कहा है कि 1973 से ही सुंदरबन टाइगर रिजर्व बनने के बाद से वन विभाग करीब 50 सालों से सुंदरबन की नदियों, खाड़ियों और जंगलों, जिसमें चितुरी जंगल भी शामिल है, में बाघों और दूसरे जंगली जानवरों के संरक्षण के नाम पर हजारों छोटे मछुआरों पर लगातार दबाव डाल रहा है। फोरम ने कहा है कि ये सभी मछुआरे पीढियों से गांव से चितुरी के जंगल में लकड़ी के नावों से मछली और केकड़े का शिकार कर अपना गुजारा करते आ रहे हैं। ऐसे में इनके दमन के खिलाफ विश्व मत्स्यजीवी दिवस के मौके पर 21 नवंबर को दक्षिण बंग मत्सयजीवी फोरम के ब्रांच आर्गेनाइजेशन गुरगुरिया डोंगा फिशरमैन्स ऐसोसिएशन ने कुलतली बिट ऑफिस में शांतिपूर्ण धरना व डेपुटेशन रखा था।
दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम ने अपने बयान में कहा है कि लेकिन धरना शुरू करने से पहले ही बिट ऑफिसर ने धरने का स्टेज हटा दिया। फिर खुले आसमान के नीचे धरना हुआ। उस दिन डेपुटेशन फेल हो गया क्योंकि कुलतली बिट ऑफिसर ने विरोध कर रहे डोंगा मछुआरों से सालाना रिन्यू होने वाले पर्सनल परमिट के लिए अप्लीकेशन फॉर्म स्वीकार नहीं किया।

मछुआरों का कहना है कि आरक्षित वन क्षेत्र के नाम पर उनके अधिकारों का लगातार सरकार व वन विभाग की ओर से दमन किया जा रहा है।
मछुआरा संगठन ने मांग की है कि कुलतली बिट ऑफिसर जिसने धरना स्थल को तोड़ा, उन्हें तुरंत सस्पेंड कर कार्रवाई की जाए। चितुरी जंगल में केकड़ा पकड़ने के दौरान 500 से अधिक ताड़ के पेड़ों से बने नावों को जब्त करना वन विभाग बंद करे हर नाव से 250 रुपये वसूलना बंद किया जाए। सुंदरबन के सभी जंगलों के मछुआरों से जुर्माना या मुआवजा लेना बंद किया जाए। सुंदरबन की नदियों, खाड़ियों व जंगलों में मछली व केकड़ा पकड़ने पर लगी एकतरफा रोक तुरंत हटायी जाए और मछुआरों पर अत्याचार खत्म किया जाए। मछुआरों को सुंदरबन की सभी नदियों, खाड़ियों और जंगलों में मछली व केकड़ा पकड़ने के लिए तुरंत सालाना रिन्यूएबल पर्सनल परमिट दी जाए। हर मछुआरे से सालाना रिन्यूएबल पर्सनल परमिट के लिए पर्सनल अप्लीकेशन स्वीकार किया जाना चाहिए और उसकी एक प्रति दी जानी चाहिए। जिनके अप्लीकेशन पहले स्वीकार किए गए हैं, उनके आधार पर बताए गए सालाना रिन्यूएबल पर्सनल परमिट तुरंत जारी किया जाना चाहिए। जबतक आवेदक को परमिट जारी नहीं होता, तब तक उनका शारीरिक, आर्थिक व मानसिक उत्पीड़न मछली पकड़ने के दौरान रोका जाना चाहिए।
दमनकारी सुंदरबन टाइगर प्रोजेक्ट का मतला, रायदिघी व रामगंगा रेंज तक विस्तार तुरंत रद्द करना चाहिए। सुंदरबन की नदियों, खाड़ियों व जंगलों में मछली पकड़ने के दौरान तीन महीने के बैन के दौरान हर मछुआरे को हर महीने 5000 रुपये आजीविका मदद दी जानी चाहिए।
बाघों व दूसरे जंगली जानवरों के शिकार हुए मछुआरों की विधवाओं और जंगल में पनाह लिए बिना समुद्री तूफान में जान गंवाने वाले की विधवाओं को विधवा भत्ता, नौकरी और सम्मानजनक जीवन यापन के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए। वन विभाग के तहत सुंदरबन मछली पालन के सही प्रबंधन के लिए वन विभाग, मत्स्य विभाग और अलग-अलग मछुआरा संघों व उनकी कॉपरेटिव सोसाइटियों के नुमाइंदों के साथ गांव, ब्लॉक, जिला व राज्य स्तरीय मैनेजमेंट कमेटी बनायी जानी चाहिए। कुलतली बिट ऑफिस क्षेत्र के अंतर्गत जंगल के मैंग्रोव पौधे लगाने के काम में लगी सभी महिला मजदूरों की बकाया मजदूरी का तुरंत भुगतान किया जाए।