विनय शर्मा बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में एक इंजीनियर थे, जो सरकारी सेवा के अपने अनुभवों के आधार पर व्हिसलब्लोअर बन गए और सरकारी गड़बड़ियों को उजागार करते थे। कुसहा त्रासदी की जांच के लिए बने न्यायिक जांच आयोग के सामने वे शारीरिक दिक्कतों के बावजूद ऑटो या किसी अन्य माध्यम से पहुंचते और तथ्य व दस्तावेज सौंप कर गड़बड़ियां बताते।
पटना : कोशी नदी, उसमें आने वाली बाढ़ और होने वाले कटाव एवं प्रभावित लोगों के मुद्दे पर एक सरकारी सेवक होते हुए भी एक आंदोलनकारी या सामाजिक कार्यकर्ता की तरह लड़ने वाले इंजीनियर विनय शर्मा का 20 अगस्त 2025 की रात 11.50 बजे पटना में इलाज के दौरान निधन हो गया। करीब 77 साल के विनय शर्मा 18 अगस्त 2025 को पटना में अपने घर पर बाथरूम में फिसल कर गिर गए थे, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आयी थीं और उनका इलाज चल रहा था।
विनय शर्मा 2008 में बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे, जहां उन्होंने कोशी परियोजना में सेवाएं दी थी और रिटायरमेंट से पहले पटना उनका स्थानांतरण हो गया था। सिस्टम के अंदर की गड़बड़ियों को उजागार करने को लेकर वे रिटायरमेंट से कुछ वर्ष पहले निलंबित भी किए गए थे, हालांकि अदालत में लड़कर उन्होंने अपनी सेवा को फिर ज्वाइन किया। 2009 में उनका एक एक्सीडेंट हो गया था, जिससे वे शारीरिक रूप से लाचार हो गए थे।
विनय शर्मा के एक करीबी ने क्लाइमेट ईस्ट को बताया, 2008 में वे पटना से ही जल संसाधन विभाग से रिटायर हुए और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हमेशा लड़ते रहे और इसी वजह से सस्पेंड किए गए थे, लेकिन अदालत से लड़कर फिर वे बहाल हुए। यह एक संयोग है कि 18 अगस्त 2008 को कुसहा तटबंध टूटा था और त्रासदी हुई और 18 अगस्त 2025 को ही वे अपने घर में बाथरूम में गिर पड़े जिसके बाद इलाजरत थे।
विनय शर्मा के एक रिश्तेदार के अनुसार, जल संसाधन विभाग में इंजीनियर रहते हुए भी वे कभी अपनी गाड़ी नहीं खरीद सके और न ही घर बना सके। रिटायरमेंट के पैसे से उन्होंने पटना के बाहरी इलाके में आखिर में घर बनाया। इससे पहले वे किराये के मकान में रहते थे। कुसहा त्रासदी को लेकर जस्टिस एके वालिया की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग के समक्ष चलने-फिरने में दिक्कत के बावजूद ऑटो या किसी अन्य माध्यम से पहुंच जाते थे। आयोग का कार्यालय पटना में हार्डिंग रोड पर हज हाउस के सामने था। उन्हें इस दौरान शरीर में बेल्ट का प्रयोग करना होता था और वे आयोग के समक्ष सरकार के अंदर की गड़बड़ियों के खिलाफ दस्तावेज पेश करते थे। कोशी पीड़ितों के लिए लड़ते हुए उनका रूपांतरण एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी हुआ और कुसहा त्रासदी के बाद उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव व अन्य के साथ करीब डेढ़ महीने कोशी क्षेत्र की नाव यात्रा कर पीड़ितों का हाल जाना, समझा था।

इंजीनियर विनय शर्मा का एक फाइल फोटो। स्रोत: पारिवारिक सदस्य।
विनय शर्मा के निधन पर उन्हें करीब से जानने वाले लोगों ने दुःख जताया और उनके योगदान को याद किया। कोशी नव निर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा – “अवकाश प्राप्त अभियंता, सामाजिक कार्यकर्ता, कुसहा न्यायिक जांच आयोग में पीड़ितों के अभियंता के रूप में अमूल्य योगदान देने वाले इंजीनियर विनय शर्मा जी नहीं रहे…विनय शर्मा ईमानदार संघर्षशील इंजीनियर थे, बिना समझौता किए अपने पेशे, परिवार, समाज से अखड़ व्यक्ति के रूप में अड़े रहे। मेरे लिए यह व्यक्तिगत और संगठन के स्तर पर क्षति है, वे कोशी पीड़ितों के साथ सदैव खड़े रहते थे। हमलोग तकनीकी जानकारी उनके पास जाकर सीखते थे। एक मार्गदर्शक को खोना अपार कष्टदाई है”।
पत्रकार व कोशी क्षेत्र के निवासी पुष्यमित्र ने उनके बारे में लिखा – “एक अफसर अपने ही विभाग की सड़ांध को कैसे सामने लाता है, इसका जीवंत उदाहरण थे जल संसाधन विभाग के अवकाश प्राप्त कार्यकारी अभियंता विनय शर्मा। इनके बारे में 2009-10 में मुझे तब पता चला जब मैं 2008 में कुसहा तटबंध के टूटने की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के दस्तावेजों को देख रहा था। मैंने पाया कि उन दस्तावेजों में ज्यादातर और लगभग 90 प्रतिशत कागजात विनय शर्मा द्वारा ही उपलब्ध करवाए गए थे। वे उस वक्त जल संसाधन विभाग से रिटायर हो गए थे और चूंकि उन्होंने कोशी परियोजना में काम किया था, इसलिए उन्हें मालूम था कि गड़बड़ी कहां और कैसे हुई होगी”।
विनय शर्मा के परिवार में उनकी पत्नी, तीन पुत्र एवं पुत्री हैं। उनकी पत्नी शीक्षिका थीं। वे पटना जिले के बिहटा के निकट कंचनपुर गांव के रहने वाले थे। 21 अगस्त, 2025 को पटना के गुलबी घाट पर उनका दाह संस्कार किया गया।