कोशी के सवालों पर प्रशासन को अल्टीमेटम, पुनर्वास नहीं हुआ तो डेरा डालो सत्याग्रह करेंगे

कोशी की विद्यमान चुनौती और हमारा दायित्व विषय पर कोशी नवनिर्माण मंच का जिला कार्यकर्ता सम्मेलन शहर के पब्लिक लाइब्रेरी में आयोजित किया गया।

सुपौल: कोशी नदी और उसके मैदान में स्थित भूभाग की चुनौतियों और स्थानीय समाज व लोगों के दायित्व पर केंद्रित कोशी नव निर्माण मंच का कार्यकर्ता सम्मेलन 11 सितंबर 2025, दिन गुरुवार को सुपौल शहर की पब्लिक लाइब्रेरी में आयोजित किया गया। इस सम्मलेन में बारिश के इन दिनों में उफनाई हुई नदी और पानी की धारा को पार करते हुए दो दर्जन से अधिक गांवों के करीब ढाई सौ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। आयोजन के दौरान वक्ताओं व प्रतिभागियों ने कोशी के के सवालों पर सरकार व प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया। बह हुई वर्षा के बावजूद दो दर्जन से अधिक गांवों के ढाई सौ कार्यकर्ता शमिल हुए। सभी ने कोशी के सवालों पर सरकार और प्रशासन की उपेक्षा लगाया।

इस दौरान शामिल लोगों ने जिला प्रशासन को सभी कटाव पीड़ितों को पुनर्वास और सरकारी जमीन में बसाने का अल्टीमेटम देने का निर्णय लिया। वक्ताओं ने कहा यदि मांगें नहीं मानी गईं तो घर का टाट, माल-मवेशी और कटाव पीड़ितों के परिवार के सभी लोगों के साथ डेरा डालो सत्याग्रह समाहरणालय के समक्ष शुरू करेंगे। अगर हम पीड़ितों के खिलाफ सरकार बल प्रयोग करेगी तो पूरे कोशी के लोग कोशी महासेतु जाम करने और उसके बाद विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का विकल्प खुला रखेंगे।

कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रस्तावों का समर्थन करते प्रतिभागी। फोटो: कोशी नवनिर्माण मंच।

कोशी तटबंध पर बसे लोगों को उजाड़ने के बजाय बसाने, सर्वे कर कोशी के भीतर के लोगों को पुनर्वासित कराने, कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को लागू कराने, कोशी की छाड़न धाराओं को पुनः सक्रिय कर नियंत्रित तरीके से कोशी का पानी डायवर्ट करते हुए जनपक्षीय समाधान की मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया जाएगा। चार हेक्टेयर जमीन की लगान की माफी के बाद वसूली के सवाल पर प्रशासन के ऊपर संगठन हाईकोर्ट में मुकदमा करेगा।

इस जिला कार्यकर्ता सम्मेलन की शुरुआत राजेश मंडल के स्वागत भाषण के साथ हुआ, जिसके बाद आलोक राय ने सम्मेलन का आधार पत्र प्रस्तुत किया। सम्मलेन के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए गंगा मुक्ति आंदोलन के उदय ने कहा कि नदियों को जब भी बांधा गया है, वहां विस्थापन की समस्या हीं आई है। विस्थापन से सिर्फ परिवार ही नहीं उजड़ते हैं, बल्कि संस्कृति भी बिखर जाती है।

फरक्का बैराज बनने से गंगा और इसकी सहायक कोशी पर असर हो रहा है। विकास के नाम पर विनाशक कार्यक्रमों पर पुनर्विचार करना होगा। कोशी पीड़ितों की बातों को सरकार को सुनना चाहिए। अगर सरकार नहीं सुनती है तो संगठित होकर जोरदार तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन ही रास्ता बचता है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता भुवनेश्वर झा ने कोशी के विस्थापितों के और पीड़ितों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। कटाव पीड़ितों में बेलागोठ के भादो बिंद, इंदिरा देवी, लालगंज के युगेश्वर मिस्त्री, सुपौल प्रखंड के डुमरिया गांव से प्रमीला देवी, बेलागोठ से जितेन्द्र, उमेश पासवान, फूलकुमारी देवी, त्रिफुल देवी, संदीप यादव प्रियंका, अरविंद यादव, महेंद्र चौधरी, बौराहा से रजनीकांत इत्यादि लोगों ने बाते रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक राय, मो अब्बास, राजेंद्र यादव, अरविंद मेहता, राजेश मंडल, राम कुमार राय और प्रमिला देवी ने संयुक्त रूप से किया। वहीं, कार्यक्रम का संचालन इंद्र नारायण सिंह ने किया।

कार्यकर्ता सम्मेलन में अपने विचार रखते प्रतिभागी व अन्य। फोटो: कोशी नवनिर्माण मंच।

संगठन के दूसरे सांगठनिक सत्र में सांगठनिक मजबूती का प्रस्ताव रामचंद्र यादव ने रखा। उसके बाद चुनाव में तदर्थ कमेटी का सभी ने एक स्वर में अनुमोदन करते हुए अगले दो साल के लिए चुनाव किया। वहीं पांच प्रखंड अध्यक्षों का चुनाव किया गया, जिसमें सुपौल के प्रखंड अध्यक्ष हरिनंदन किशनपुर के फूलदेव मुखिया और सचिव उमेश पासवान, मरौना की प्रखंड अध्यक्ष समतोलिया देवी और सचिव सुभाष यादव को चुना गया। वहीं सरायगढ़ के प्रखंड अध्यक्ष छुतहरु पासवान, सचिव धनेश्वर मुखिया को चुना गया। निर्मली में अशोक मेहता को अध्यक्ष चुना गया। सांगठनिक सत्र की अध्यक्षता प्रीतम मुखिया, सिंघेश्वर राय, कमलावती देवी, रामचंद्र, चंद्र मोहन यादव ने संयुक्त रूप से किया व संचालन महेन्द्र यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन धर्मेन्द्र ने किया।

व्यवस्था में शिवशंकर मंडल, संजय, अरुण, लखन मुखिया, प्रियंका, भोला, अनिल, संतोष मुखिया, भीम सदा, सतीश सुमन, आरिफ निजाम, राजो सदा इत्यादि लोग शामिल रहे।

कोशी नवनिर्माण मंच के कार्यकर्ता सम्मेलन में तीन प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित किए गए –

  1. संगठन का जिला सम्मेलन, कार्यकर्ता सम्मेलन दो सालों पर आयोजित होगा। किसी विषम परिस्थिति में इसे एक साल के लिए बढाया जा सकता है, उस दौरान कमेटी तदर्थ कमेटी के रूप में काम करेगी।
  2. प्रखंड अध्यक्षों की जिम्मेवारी तय की जाएगी। वह व्यक्ति मार्च से पहले सभी गांवों में कमेटी गठित कर प्रखंड कमेटी की बैठक बुलाने के उत्तरदायी होगा।
  3. तदर्थ कमेटी पर चर्चा करने व नई कमेटी का चुनाव करने पर चर्चा की गई।

इसके साथ ही संगठन का कार्य संचालन के लिए कार्यालय सचिव की जिम्मेवारी तय करने, संगठन में युवाओं का कार्य बढाने, तटबंध के बाहर के किसानों, श्रमिकों के बीच संगठन का विस्तार करने। संगठन की ओर से न्यूज लेटर निकाला जाएगा। पहले डिजिटली बाद में प्रिंट रूप में निकाला जाएगा। पहला अंक संगठन के स्थापना दिवस 21 अक्टूबर के दिन आ सकता है। रचनात्मक कार्य को बढाया जाएगा और संगठन की ओर से एक रिसर्च और लीगल टीम बनायी जाएगी, जो संगठन के कार्याें में मदद कर सके।

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