ओलचिकी लिपि को व्यापक स्तर पर लागू करने की आदिवासी संगठनों की सरकार से मांग

विधायक बसंत सोरेन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम का ज्ञापन संताल युवाओं ने सौंपा


दुमका: झारखंड में केजी से पीजी तक सभी शिक्षण संस्थानों में संताल आदिवासियों की ओलचिकी लिपि से सभी विषयों कि पढाई संताली से हो और दुमका व राज्य के संताल बाहुल्य क्षेत्र के सभी सरकारी भवनों के नामपट्ट संताली भाषा की ओलचिकी लिपि से भी लिखने के मांग को लेकर विभिन्य सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधियों ने दुमका के विधायक और पूर्व मंत्री बसंत सोरेन से नौ अप्रैल को दुमका में भेंट कर लिखित आवेदन देकर अपनी मांग रखी।

आदिवासी सामाजिक संगठनो का कहना है कि झारखंड में भी केजी से पीजी तक सभी शिक्षण संस्थानों में सभी विषयों का पढाई संताली भाषा की ओलचिकी लिपि से ही होना चाहिए। इन संगठनों का कहना है कि झारखंड राज्य का गठन मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया था। पर, झारखंड राज्य बनने के 25 वर्षों के बाद भी संताल आदिवासी समुदाय का संपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हुआ। संताल आदिवासी समुदाय झारखण्ड राज्य में आदिवासी जनसंख्या में सबसे अधिक संख्या में भी है।

विधायक बसंत सोरेन से मुलाकात करने वालों में पालटन मरांडी, लालटू मारांडी, आदित्य हांसदा, संजय किस्कू, अर्जुन मुर्मू व विकास टुडू शामिल हैं।

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