कोशी के लोग बाढ़ की विभीषिका के महीनों बाद भी बेहाल, प्रशासन व सरकार के समक्ष लोगों ने रखी मांग

सुपौलः पिछले साल मानसून के आखिरी चरण में नेपाल में हुई भारी बारिश के बाद कोशी नदी में आयी प्रलंयकारी बाढ़ को लेकर 30 जनवरी, 2025 को कोशी क्षेत्र के लोगों ने सुपौल के जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना देकर जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार को अपनी मांगों से अवगत कराया है।

इस धरना में बड़ी संख्या में आए कोशी विभीषिका पीड़ितों ने बाढ़ में भोगी गई पीड़ा बतायी। प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं ने भरी आवाज और आंखों में आंसू के साथ अपनी पीड़ा व अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस बार की बाढ़ में हमलोगों ने बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। बाढ़ में बच जाने के बाद ऐसा लग रहा है कि पुनर्जीवन हुआ है। कोशी के बीच धार में रहने वाले लोगों ने कहा कि यदि उनके पास बसने का बाहर जमीन होता तो वे वहां फिर उस स्थिति में नहीं जाते। उनलोगों ने बताया कि जितनी बड़ी त्रासदी थी उस के हिसाब से बचाव, राहत कार्य, क्षतिपूर्ति प्रशासन विफल रहा है। लोग भूखे-प्यासे कई दिनों तक बिलख रहे थे, पर बहुतों के पास नावं नही पहुंची। चौकी, चौकी पर रखने के बाद भी पानी आने के बाद, छप्पर पर चढ़ कर लोगों ने अपने बच्चों के साथ अपनी जिंदगी बचायी।

बाढ़ में सभी चापानल डूब गये और नदी का पानी कीचड़युक्त हो गया, जिससे लोग दो दिनों तक भूख, प्यास से तड़पते रहे। उस दौरान विषैले सांप, और अनेक खतरनाक जानवरों ने लोगों की तकलीफ बढायी। अनाज, कपड़ा, घर का जरूरी समान पानी में बह गया। अनेक लोगों के पशु पानी में बह गए। जब पानी कम हुआ तो घर कीचड़ से भर गया था और उसको साफ करने में भारी परेशानी हुई। हालांकि इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी कट गए घरों की आज तक गृह क्षति नहीं मिली है। पुनर्वास की जमीन अनेक जगह पड़ी है पर उसकी उपयोगिता अबतक साबित नहीं हुई है। कोशी नवनिर्माण मंच के बैनर तले प्रभावितों ने इसके खिलाफ शांति पूर्ण संघर्ष करने का संकल्प लिया है।

कोशी बाढ पीड़ित महीनों बाद भी राहत व मुआवजे हासिल करने में कई तकनीकी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

कोशी बाढ़ पीड़ितों की ओर से कोशी नवनिर्माण मंच ने सुपौल के जिलाधिकारी को एक विस्तृत पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि कोशी बाढ पीड़ितों को गृह क्षतिपूर्ति की राशि बाढ के तुरंत बाद दी जानी थी, जो आज तक नहीं मिली है। केंद्र सरकार ने इसी साल दी और तटीय कटाव पीड़ितों को बसाने के नीति बनाते हुए राज्यों से उसके लिए उनका अध्ययन कर बसाने के लिए कहा है और उसके लिए बजट भी निर्धारित किया है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि एसओपी और तय मानदर के तहत कोशी की इतनी भीषण आपदा के बाद भी वस़्त्र और बर्तन की क्षति और पशुओं की हुई मृत्यु की क्षतिपूर्ति नहीं दी गई है। बाढ साहाय्य राशि यानी जीआर का भुगतान जरूर हुआ है, लेकिन उसके लिए सरकारी कर्मियों द्वारा राशन कार्ड को अनिवार्य कर दिये जाने से इस राशि से भी एक चौथाई लोग वंचित हैं। फसल क्षति के आवेदन करने में अप टू डेट रसीद की अनिवार्यता करने से भारी संख्या में लोग आवेदन करने से वंचित रह गए हैं। मंच ने बताया है कि बाढ के समय रेस्क्यू कार्य अधूरे थे और लोग भूख व प्यास से परेशान थे।

बाढ़ पीड़ित प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया और प्रमुखता से अपनी बात रखी व अपने अनुभव बताए।

कोशी बाढ़ पीड़ितों की जिला प्रशासन व सरकार से प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं –

कोशी कटाव पीड़ितों को गृहक्षति का भुगतान अविलंब कराया जाए और पुनर्वास की खाली जमीनों में उन्हें बसाया जाए।

सुपौल अंचल के खखई स्पर के कटाव पीड़ित की आवंटित गहरी जमीन को मनरेगा के तहत मिट्टी से भरवाया जाए। साथ ही वहां आने-जाने का रास्ता भी बनवाया जाए और सभी पीड़ितों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए।

तटबंध के भीतर सर्वे कराकर सभी को पुनर्वासित कराया जाए।

प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए हो रहे सर्वे में कोशी तटबंध के भीतर रह रहे सभी परिवारों को लाभ दिया जाए।

वस्त्र बर्तन की राशि, बाढ़ में मृत पशुओं के क्षति की राशि, जीआर से वंचित लोगों की राशि सहित सभी शेष राहत और क्षतिपूर्ति का भुगतान अविलंब किया जाए और बाढ़ में चले शिविर के आंकड़े सार्वजनिक किया जाए।

इस बार की भयानक बाढ़ में मानक संचालन प्रकिया (एसओपी) और मानदर के अनुपालन में हुई विफलता पर स्वेत पत्र जारी करे।


तटबंध एक भीतर उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो। टीकाकरण की मुकम्मल व्यवस्था हो


तटबंध के भीतर सभी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कराकर शिक्षा से वंचित बसाहटों में विद्यालयों की स्थापना करायी जाए।


कोशी पूर्वी तटबंध के सुरक्षा के लिए निर्मित स्परों को यथाशीघ्र निर्माण कराया जाए।


जहां जहां कटाव हो रहा है वहां पाईलिंग कराई जाए।


कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय और प्रभावी बनवाने में जिला प्रशासन पहल करे।


माफ़ लगान की वसूली पर रोक लगे और भू-सर्वे की प्रक्रिया सरल हो।


कोशी मैची नदी जोड़ योजना और डगमारा बैराज से कोशी की बाढ़ नहीं खत्म होगी इसलिए सभी छाड़न धाराओं को पुनर्जीवित किया जाए। साथ ही कोशी समस्या का समाधान वैज्ञानिक ज्ञान और लोकज्ञान के समन्वय से हो।

कार्यकम की अध्यक्षता भुवनेश्वरी प्रसाद और संचालन इंद्र नारायण सिंह ने किया। संगठन के परिषदीय अध्यक्ष संदीप यादव ने विषय प्रवेश कराते हुए आज के धरना कार्यक्रम करने के विषय में बताया। प्रदर्शन में रीता देवी, दायरानी देवी, बबीता कुमारी, गंगा देवी, प्रमिला देवी, मो अनवर सूर्तिपट्टी, संतोष मुखिया, प्रमोद राम, संदीप, राजेश कुमार मंडल, शिवशंकर मंडल, चंद्र मोहन, धर्मेन्द्र, आलोक राय आदि ने अपनी बातें रखीं।

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