चाय मजदूर कम से कम 10 प्रतिशत बोनस दुर्गा पूजा से पहले मांग रहे हैं, लेकिन प्रबंधन काली पूजा से तीन किश्त में बोनस भुगतान देने की बात कह रहा है। मजदूर इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। उनके आंदोलन के दौरान 27 सितंबर को उन पर पुलिस लाठी चार्ज की गई।
जलपाईगुड़ी : पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के नगईसुरी चाय बागान के मजदूर पिछले दो दिनों से 20 प्रतिशत बोनस की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। चाय मजूदर बागान प्रबंधन से मटेली और चलसा राजमार्ग पर धरना दे रहे हैं।
पश्चिम बंगाल चा मजूर समिति (PBCMS) के सदस्य किरसेन खड़िया ने कहा, एक श्रमिक कोे पूरे साल के वेतन का 20 प्रतिशत बोनस देने का प्रावधान है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार व उत्सव है, इसलिए हम पूजा के पहले एक किश्त में भुगतान चाह रहे थे। फिर हमने यह कहा कि अगर बागान प्रबंधन एक किश्त में नहीं दे सकता है तो दुर्गा पूजा के पहले 15 प्रतिशत और फिर काली पूजा में पांच प्रतिशत बोनस दे दे। बागान प्रबंधन ने कहा कि दुर्गा पूजा में 10 प्रतिशत, इस साल के अंत तक पांच प्रतिशत और फिर 2026 में पांच प्रतिशत बोनस देंगे। लेकिन, मजदूर इस बात पर राजी नहीं हुए कि 2025 का बोनस उन्हें 2026 में दिया जाए। फिर उनकी ओर से प्रस्ताव आया कि 15 प्रतिशत काली पूजा के समय देंगे और पांच प्रतिशत दिसंबर 2025 तक। हमने इसे खारिज कर दिया। फिर प्रबंधन ने तीन किश्त का प्रस्ताव दिया। इसके लिए भी मजदूर राजी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि दुर्गा पूजा से पहले 10 प्रतिशत बोनस मिले और फिर उसके बाद काली पूजा या इस साल के अंदर 10 प्रतिशत मिले। किनसेन खड़िया के अनुसार, इस आंदोलन की अगुवाई पीबीसीएमएस कर रही है, लेकिन तमाम चाय यूनियन का इसे समर्थन हासिल है।

रात में आंदोलन के दौरान महिला चाय मजदूर।
इस संबंध में पश्चिम बंग चा मजूर समिति (PBCMS) ने एक बयान जारी कर कहा है कि नगईसुरी चाय बागान के मजदूर अपने वैधानिक बोनस के लिए आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं। उन्हें उनके बोनस से वंचित करने की समिति कड़ी निंदा करती है।
पीबीसीएमएस (PBCMS) ने कहा है कि मजदूरों को बार-बार विरोध-प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिसमें प्रतिदिन दो से तीन घंटे की गेट मीटिंग शामिल है, ताकि वे कानून द्वारा तय गारंटी हासिल कर सकें।

रात में आंदोलन के दौरान महिला चाय मजदूर।
पीबीसीएमएस ने अपने बयान में यह भी कहा है कि भारी दबाव के बाद प्रबंधन ने बोनस के भुगतान के लिए एक विभाजनकारी प्रस्ताव रखा, जिसमें तीन किस्तों में – दुर्गा पूजा के लिए 10 प्रतिशत, दिसंबर में पांच प्रतिशत और अगले साल पांच प्रतिशत बोनस देने की बात कही गई। इसके बाद सैकड़ों मजूदरों ने 24 सितंबर को सुबह दो बजे तक प्रबंधन के कार्यालय का घेराव किया जिसके बाद प्रबंधन की ओर से 12 प्रतिशत, चार प्रतिशत, चार प्रतिशत की तीन किश्त की पेशकश की गई, जो अभी भी मंजूर नहीं है। इस संबंध में 25 सितंबर को सहायक श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठक में भी कोई निर्णय नहीं निकला।
26 सितंबर से मजदूर दिन रात खुले आसमान के आंदोलन करने को मजबूर हैं। दुर्गा पूजा के लिए 10 प्रतिशत, काली पूजा के लिए पांच प्रतिशत और दिसंबर में पांच प्रतिशत का नवीनतम प्रस्ताव कानून और न्याय अपमान है।

बोनस की मांग को लेकर मजदूर आंदोलन के दौरान सड़क पर ही रात गुजार रहे हैं।
पीबीसीएमएस ने कहा है कि बोनस कोई दान नहीं है। बोनस कानून एक वैधानिक अधिकार है और नियोक्ता कानूनी रूप से पूरी राशि सयम पर एक ही किश्त में देने के लिए बाध्य है। बागान के कर्मचारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भुगतान या तो दुर्गा पूजा के पहले एक पूरी किश्त में किया जाना चाहिए या कम से कम 10 प्रतिशत की दो समान किश्तों में। एक दुर्गा पूजा से पहले और दूसरा काली पूजा यानी दीपावली से पहले।