हम कोशी के धार के लोग हैं, हमारी ऐतिहासिक अनदेखी के खिलाफ हम अपनी पीड़ा बताना चाहते हैं

राजेश कुमार मंडल
कम्युनिटी जर्नलिस्ट एंव कोशी पीड़ित

सुपौल: हम कोशी के दो धार के बीच के लोग हैं। हमारी बातें और पीड़ा सरकार तक नहीं पहुंचती है। इसलिए कोशी के तटबंध के बीच रहने वाले लोगों की शासन की ओर की गई ऐतिहासिक अनदेखी के खिलाफ कोशी पीड़ित संवाद का आयोजन 15 व 16 जुलाई को किया गया है। कोशी नवनिर्माण मंच की पहल पर आयोजित इस संवाद तो पहले दिन महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी व मध्यप्रदेश के किसान नेता व पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने बिहार के सुपौल जिले के प्रभावित गांवों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से संवाद किया। ये गांव कोशी तटबंध के भीतर और उसकी अलग-अलग धाराओं के बीच हैं।

इस आयोजन के दौरान कोशी में साल-दर-साल आने वाली आपदा को लेकर पीड़ितों ने अपनी बातें वक्ताओं के समक्ष रखी।

यह संवाद कार्यक्रम एनएच – 57 पर स्थित कोशी महासेतु के गाइड बांध के नीचे, तटबंध के भीतर के गांव एकडेरा, किशनपुर ब्लॉक की मौजहां पंचायत के पूर्णिमा मेला स्थल पंचगछिया, प्राथमिक विद्यालय खोखनाहा गोठ आदि स्थलों पर किया गया।

इन आयोजनों में हमारे इलाके की महिलाओं, बच्चों, बूढों व युवाओं ने हिस्सा लिया। हर किसी को अपनी पीड़ा सुनानी थी। लोगों ने अपनी भावनाओं को आवाज भी दिया।

एक महिला ने इस दौरान कहा कि हम बालू खाकर तो नहीं रहेंगे, हमारे पास न खेत है, न घर है और न दूसरी सुविधा है।

एकडेरा गांव में जन संवाद को संबोधित करते हुए महेंद्र यादव।

एक महिला ने कहा कि एक बार नहीं पांच बार उनका घर कटा, वे दो धार के बीच में रहती हैं। कब क्या होगा, कहना मुश्किल है।

इस दौरान लोगों ने यह नारा भी बुलंद किया कि जो सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार दे नहीं सकी वह निकम्मी है।

पीड़ितों ने कहा कि आजादी के पहले कोशी नदी जहां-तहां बहा करती थी, लेकिन 1950 के दशक में कोशी नदी पर बांध बनाया गया और उसके ऐवज में हमारे पूर्वजों को आश्वासन दिया गया।

बेलागोट पंचगछिया में एक लड़की खुद के लिए शिक्षा की जरूरत बताते हुए।

एक लड़की ने कहा कि हमें यहां स्कूल चाहिए, पढाई की सुविधा चाहिए, हम दो धारा पार कर स्कूल जाते हैं।

तुषार गांधी ने कहा कि मेरे बारे में आपको देने के लिए कोई आश्वासन नहीं है। आपने जो पुल के बारे में, रास्ते के बारे में जो भी समस्याएं हैं, मैं उनमें एक का भी समाधान अभी नहीं कर सकता हूं। लेकिन, यह आश्वासन दे सकता हूं कि आपके जो सवाल हैं, उन्हें उपर तक पहुंचाने का काम करूंगा। उनका जवाब ला सका तो वापस लेकर भी आप तक आउंगा और कोशिश करूंगा कि अभी जो आपके हालात हैं, उससे वह बेहतर हो। और, दुःख की बात यह है कि जब हमारे प्रधानमंत्री साहब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, रेलवे स्टेशन को सुसज्जित करवा रहे हैं और उस पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं, तो उसमें से कुछ करोड़ रुपये आपतक भेज कर इन समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं।

चुनाव आ रहे हैं, चुनाव में आप अपनी वोट की आवाज की ताकत उन नेताओं को दिखा सकते हैं, लेकिन हमारा संविधान कहता है कि जो आखिरी नागरिक होता है, उसका भी वोट महत्वपूर्ण होता है, उसकी भी बात सुनना जरूरी होता है, वह सबसे गरीब और लाचार होता है। जो सरकार आपकी बात सुनें नहीं, जो आपकी बात सुने नहीं, जो जनप्रतिनिधि आप तक न आएं, वह सरकार निकम्मी होती है। आने वाले चुनाव में आप अपनी बात इस सरकार तक पहुंचाएं। तुषार गांधी ने कहा कि बिहार में बदलाव जरूरी है। आपकी हालत सुधारने के लिए जो कुछ हो सकेगा वह करूंगा।

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