255 सितंबर को छत्तीसगढ के सूरजपुर वन प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले प्रतापपुर वन क्षेत्र में एक धान के खेत से एक बीमार लकड़बग्घा (striped hyena) को रेस्क्यू किया गया। वह मादा लकड़बग्घा है और बीमार व सुस्त अवस्था में खेत में पड़ी थी। स्थानीय वन कर्मी राहुल सिंह ने सबसे पहले इसे देखा और इसकी इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी।
सूचना मिलने के बाद प्रतापपुर के उप वन मण्डलाधिकारी आशुतोष भगत व वन परिक्षेत्र अधिकारी उत्तम कुमार मिश्रा वन विभाग की एक टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पशु चिकित्सक डॉ चंदन के नेतृत्व में लकड़बग्घे को रेस्क्यू किया गया।
लकड़बग्घे की उम्र करीब सात वर्ष होने का अनुमान है। उसकी चिकित्सा जांच करने वाले डॉक्टरों ने अनुमान जताया है कि वन क्षेत्र से लगे खेतों का पानी पीने से वह बीमार हो गई है, खेतों में कीटनाशक का छिड़काव किये जाने से उस पानी के दूषित व जहरीले होने का अनुमान है। लकडबग्घे के शरीर में कई जगह चोट के भी निशान हैं। डॉक्टरों ने उसका उपचार कर उसे जंगल में सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया है।
आइयूसीएन की लिस्ट में लकड़बग्घे को संकटग्रस्त प्रजाति के निकट रखा है। दुनिया में इसकी अनुमानित वयस्क संख्या 10 हजार के करीब होने का अनुमान है और इसकी संख्या में गिरावट की आशंका भी व्यक्त की गई है।
इस खबर को लेकर क्लाइमेट ईस्ट ने सूरजपुर वन प्रमंडल के डीएफओ पंकज कुमार कमल से बात करने की कोशिश की। लेकिन, छत्तसीगढ वन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध उनका मोबाइल नंबर बंद बता रहा था और फोन नंबर भी नहीं लगा रहा था।
अगर इस संबंध में कोई अगली जानकारी मिलती है तो इस खबर को अपडेट किया जाएगा।