भरूच के मच्छीमार समाज ने नर्मदा में अवैध रेत खनन करने वालों पर की कार्रवाई की मांग

संगठन के अध्यक्ष कमलेश एस मढीवाला ने नर्मदा के प्रवाह वाले गुजरात के तीन जिलों के कलेक्टर व मैरीटाइम बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिख कर कहा है कि करीब 400 से 500 बोट के जरिये नर्मदा नदी में मशीन से अवैध रेत उत्खनन हो रहा है। इससे न सिर्फ नदी का प्रवाह प्रभावित हो रहा है, बल्कि पानी का प्रदूषण भी बढ रहा है।

भरूच (गुजरात) : समस्त भरूच जिला मच्छीमार समाज (ऑल भरूच डिस्ट्रिक्ट फिशरमैन सोसाइटी) के अध्यक्ष कमलेश एस मढीवाला ने गुजरात के तीन जिलों के जिलाधिकारियों (भरूच, बडोदा और नर्मदा) व मैरीटाइम बोर्ड, भरूच एवं मैरीटाइम बोर्ड, वडोदरा के चेयरमैन को पत्र लिख कर नर्मदा नदी में अवैध रेत उत्खनन को रोकने व रेत माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। कमलेश एस माधीवाला ने पत्र की प्रति राज्य के मुख्यमंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदधारियों को भेजा है।

तीन जिलों के जिलाधिकारियों व मैरीटाइम बोर्ड चेयरमैन को संबोधित पत्र में मढीवाला ने लिखा है कि रेत नर्मदा के बहाव को साफ रखता है और उसे खनन माफिया नुकसान पहुंचा कर कमजोर कर रहे हैं और नर्मदा का पानी पीने लायक नहीं रह जा रहा है।

उन्होंने लिखा है कि गुजरात के तीन जिलों भरूच, नर्मदा व वडोदरा के लोग बहुत खुशकिस्मत हैं कि नर्मदा मैया उनके जिले से गुजरती है। लेकिन, इन तीनों जिलों में रेत खनन माफिया नर्मदा मैया के लिए शाप बन गए हैं

नर्मदा नदी का एक दृश्य।

मच्छीमार समाज की ओर से पत्र में लिखा गया है कि नदी के पानी से रेत निकालने की इजाजत किसी को नहीं है और सस्टेनेबल सैंड माइनिंग गाइडलाइन – 2016 और एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग माइडलाइन – 2020 और दूसरे पर्यावरण कानूनों में भी इस पर रोक है। फिर भी 400-500 से अधिक गैर कानूनी लोहे की मैकेनिकल नावें-ड्रेजिंग मशीनों वाली नाव जो गुजरात मैरीटाइम बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं हैं, लंबे पाइप लगाकर मशीनों की तेज आवाज निकालर नर्मदा के पानी से रेत निकाल रहे हैं। इस तरह की रेत खनन की गतिविधियां लीज एरिया के बाहर और बिना अनुमति के खुलेआम गैर कानूनी तरीके से चल रही हैं। रेत माफियाओं ने नदी के बहाव पर कंक्रीट की पुलिया बनाकर रूकावटें पैदा की हैं और नदी का बहाव रोक दिया है।

पत्र में कहा गया है कि पिछले साल शुक्लतीर्थ मुकाम में माइनिंग एरिया में डूबने से तीन लोगों की मौत हो गई थी और आज भी उनके परिजनों को इंसाफ नहीं मिला है। लेकिन, आज भी उस जगह पर माइनिंग हो रही है। पत्र में कहा गया है कि रेत खनन माफिया गुंडे-बदमाशों के साथ मिल कर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

पत्र में मांग की गई है कि बिना जीएमबी रजिस्टर्ड लोहे की मैकेनिकल नावों-बोटों को जो रेत खनन कर रही हैं, उन सभी को हिरासत में लिया जाय। नर्मदा नदी में रेत खनन माफियाओं द्वारा बनायी गई पुलिया को नदी से हटाया जाए। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सभी खनन माफियाओं पर चोरी, राज्य व राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और जल प्रदूषण अधिनियम अपराध की धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज कर मुकदमा चलाया जाय। नर्मदा नदी के दिल और फेफड़े को नुकसान पहुंचाने वाली गैर कानूनी रेत माइनिंग को बंद किया जाए।

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