रांची के नगड़ी में रिम्स – 2 के लिए जमीन अधिग्रहण का आदिवासी रैयतों ने खेत जोत कर जताया विरोध

रांची से सटे नगड़ी में झारखंड के प्रिमियम सरकारी मेडिकल संस्थान रिम्स के नए परिसर के लिए जमीन अधिग्रहण की कोशिशों का स्थानीय रैयत लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। इस कड़ी में आज किसानों ने प्रस्तावित जमीन पर हल जोत कर व रोपा कर अपना विरोध जताया।

रांची: झारखंड की राजधानी रांची से लगे कांके प्रखंड के नगड़ी में किसानों ने रविवार (24 अगस्त 2025) को खेत जोत व रोपा रोप कर जमीन अधिग्रहण के प्रयासों का विरोध जताया। रविवार को आसपास के गांव के दर्जनों गांवों के लोगों ने राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की दूसरी या नई इकाई RIMS- 2 के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के राज्य सरकार की कोशिशों के खिलाफ नगड़ी में रोपा कर व हल जोत कर विरोध जताया। रैयतों में स्थानीय आदिवासी-मूलवासी शामिल हैं, जिनका तर्क है कि इस जमीन का अधिग्रहण हो जाने से उनके अस्तित्व व पहचान पर संकट आ जाएगा।

हल जोतने व रोपा रोपने जुटी आसपास की आदिवासी महिलाएं।

नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर हो रहे इस आंदोलन में विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी कूदी हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन रविवार को होने वाले खेत जोतो, रोपा रोपो आंदोलन में शामिल होने वाले थे। हालांकि रांची स्थित अपने सरकारी आवास से निकलने से पहले उन्हें रांची पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया और शाम चार बजे तक की उनकी गतिविधियों पर रोक लगा दी।

झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) नाम की नई राजनीतिक पार्टी भी इस आंदोलन में कूदी है। उसके नेता देवेंद्र महतो नगड़ी में हल चलाते नजर आए।

जेएलकेएम के नेता देवेंद्र महतो नगड़ी में अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित जमीन पर हल जोत कर राज्य सरकार के फैसले का विरोध जताते हुए।

इस आंदोलन में शामिल भाजपा नेता कमलेश राम ने क्लाइमेट ईस्ट से बातचीत में कहा कि आसपास के हजारों आदिवासी रैयतों ने आज रिम्स – 2 (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का दूसरा परिसर) बनाने के लिए 227 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की कोशिशों का विरोध किया। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस का प्रयोग किया, जिससे महिलाओं को खासतौर पर परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि आदिवासी व मूल निवासी रैयतों ने अपना विरोध जताने के लिए हल जोतो, रोपा रोपो आंदोलन चलाया और राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से हमें वार्ता का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है और हम उसकी किसी कार्रवाई से डरने वाले नहीं हैं।

कमलेश राम के अनुसार, इस जमीन पर तकरीनब 150 रैयत खेती करते हैं और वे आजीविका के लिए इस जमीन पर निर्भर हैं। उन्होंने दावा किया कि आसपास के 100 गांवों का समर्थन इस आंदोलन को हासिल है और उन गांवों से आज वहां जुटान हुआ। उन्होंने कहा कि आदिवासी पुरखों ने हमें जमीन बचाना सिखाया है, सरकार कहती है कि उसने इस जमीन का 1957-58 में ही अधिग्रहण किया है लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून इतने लंबे अंतराल के बाद किसी प्रक्रिया को मान्यता नहीं देता है।

नगड़ी में रिम्स – 2 के लिए 2600 बेड का नया परिसर निर्मित किया जाना है। इसके निर्माण में 1074 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। जमीन अधिग्रहण का विरोध करने वाले समूह का कहना है कि रांची के आसपास कई दूसरी जगह पर अनुर्वर व अनुपयोगी जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग सरकार इस उर्वर भूमि के बजाय रिम्स के दूसरे परिसर का निर्माण के लिए कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *