नियमगिरि में पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रस्तावित सभाओं में मेधा पाटकर सहित 24 के प्रवेश पर रोक

कालाहांडी/रायगढा: ओडिशा के नियमगिरि पहाड़ी श्रृंखला पर इस साल पर्यावरण दिवस के मौके पर पांच जून को स्थानीय समुदाय की ओर से कई अलग-अलग जगहों पर पर्यावरण सभाएं प्रस्तावित थीं, जिसमें शामिल होने पहुंची प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता व नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को रायगढ स्टेशन पर पुलिस ने आगे जाने से रोक दिया। ये अलग-अलग सभाएं नियमगिरि में बॉक्साइट माइनिंग के खिलाफ होनी थीं।

नियमगिरि की पहाड़ियां ओडिशा के कालाहांडी व रायगढ जिले के बीच फैली हुई हैं। बुधवार को रायगढ की कलेक्टर पारूल पटवारी ने एसपी की रिपोर्ट के आधार पर एक आदेश जारी किया था जिसमें सुंगर में खनन विरोध धरना प्रदर्शन से कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मेधा पाटकर व उनके साथियों ने जब यह सवाल किया कि उन्हें क्यों रोका जा रहा है तो पुलिस ने वह आदेश पेश किया जिसमें 24 लोगों को दो महीने के लिए रायगढा में प्रवेश करने या वहां उपस्थित रहने एवं किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है। रायगढा के कलेक्टर कार्यालय से यह आदेश चार जून 2025 को जारी किया गया था।

वहीं, कुछ अन्य जगहों पर आदिवासी समूहों ने पर्यावरण सभाएं आयोजित की और बॉक्साइड माइनिंग का विरोध किया। कालाहांडी जिले के हिस्से में पड़ने वाले नियमगिरि क्षेत्र के लांजीगढ में ऐसी ही एक सभा का आयोजन किया गया, जहां स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग जुटे और खनन का विरोध किया। यहां डोंगरिया व अन्य आदिवासी समुदाय के लोग हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हम जंगल में रहते हैं और जंगल हमारा भगवान है, अगर जंगल उजड़ गया तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

इस आयोजन में शामिल हुए पर्यावरण कार्यकर्ता सत्यनारायण राव ने कहा, हम औद्योगिकीकरण का विरोध नहीं कर रहे, हम स्थानीय लोगों व आदिवासियों को उजाड़ कर औद्योगिकीकरण किए जाने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर यहां खनन होगा तो यह क्षेत्र बंजर हो जाएगा और यहां के लोग उजड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक ढंग से विरोध करने के हमारे संवैधानिक अधिकारों को दबाया जा रहा है। हम विरोध करने के अपने हक को नहीं छोड़ेंगे।

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