गंभीर आरोप लगने से पहले सोनम वांगचुक पर्यावरण मुद्दों पर गहरी समझ, पर्यावरण अनुकूल नवाचार और शिक्षा में सुधार तीन कार्याें के लिए मुख्य रूप से जाने जाते रहे हैं। वे लद्दाख के पर्यावरणीय महत्व को बार-बार रेखांकित करते रहे हैं और उसको लेकर आगाह करते रहे हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक 26 सितंबर 2025 को गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी लेह में उनके आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बाद हुई।
उनकी गिरफ्तारी से जुड़ी ये खबरें हैं, चाहें तो पढ़ लें –
BBC Hindi – सोनम वांगचुक गिरफ़्तार, इनोवेटर से आंदोलनकारी तक कैसा रहा सफ़र
Times Of India – https://timesofindia.indiatimes.com/india/sonam-wangchuk-arrested-action-comes-after-violent-protest-in-ladakh-nsa/articleshow/124155582.cms
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद तरह-तरह की बातें कही जा रही है। दूसरी ओर सरकारी एजेंसियों ने भी कुछ बातें कही है और यह भी कहा है कि
हम उनसे जुड़े मामलों की जांच कर रहे हैं।
बहरहाल, आइए जानते हैं सोनम वांगचुक ने पहले क्या कुछ किया है –
पहले छपी खबरों के अनुसार, सोनम वांगचुक ने भारतीय सेना के लिए सोलर हीटेड मिलिटरी टेंट का इनोवेशन किया था। 28 फरवरी 2021 की एनडीटीवी की एक खबर में यह जिक्र मिलता है कि सोनम वांगचुक जिनके नाम अनेक पर्यावरण अनुकूल नवाचार यानी इनोवेशन है, उन्होंने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले सैन्य तंबू का निर्माण किया। एनडीटीवी ने यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई के क्रेडिट लाइन के साथ दी, जो भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रमुख न्यूज एजेंसी है। इस खबर में वांगचुक के हवाले से उल्लेख है कि यह तंबू सैन्य कर्मियों की सुरक्षा को बढाता है जो जीवाश्म ईंधन के उपयोग और पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव को कम करता है।

इस खबर में सोनम वांगचुक का एक ट्वीट अटैच्ड है, जिसका स्क्रीनशॉट नीचे है। इस ट्वीट में सोनम बता रहे हैं कि इसका निर्माण उन्होंने गलवान वैली में तैनात भारतीय फौज के लिए किया है। इसमें वे आगे कह रहे हैं कि रात 10 बजे प्लस 15 डिग्री सेल्यिस तापमान है। कल रात बाहर का न्यूनतम तापमान माइनस 14 डिग्री था। इस प्रयोग ने टनों केरोसिन के खर्च को रिप्लेस कर दिया जो प्रदूषणकारी होता और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेवार होता। वही जलवायु परिवर्तन जिसको मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरों में एक माना जा रहा है। सोनम यह भी बताते हैं कि यह 10 जवानों के लिए है, पोर्टेबल है और सभी पुर्जाें का वजन 30 किलोग्राम से कम है। वे अपने ट्वीट में अंत में हैशटैग के साथ अंग्रेजी में तीन नारे बुलंद करते हैं – पहला भारत में निर्मित यानी स्वदेशी, दूसरा लद्दाख में निर्मित – यानी वोकल फॉर लोकल, तीसरा कार्बन न्यूट्रल यानी धरती के बढते बुखार को रोकने का उपाय।

सोनम वांगचुक ने आइस स्तूप (आइस स्तूपा Ice stupa अंग्रेजी में) का आविष्कार किया था। हमने गूगल पर सिर्फ Ice stupa शब्द टाइप किया ताकि जानें दुनिया में किन-किन इनोवेटर ने इसका आविष्कार किया है। लेकिन, विकिपीडिया का आइस स्तूपा का जो पेज खुला तो उसमें यह लिखा पाया कि इसकी स्थापना सोनम वांगचुक ने की थी, वर्ष 2011 में जब वह 45 वर्ष के थे। यह वाटर कंजरवेशन यानी जल संरक्षण की कटेगरी का इनोवेशन है। वही पानी जिसके लिए अलग-अलग देशों व राज्यों में झगड़े बढते जा रहे हैं, यहां तक की परिवार में, क्योंकि पानी की किल्लत तेजी से पूरी दुनिया में बढ रही है। इसका आविष्कार उन्होंने तब बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख की परिस्थितियों को ध्यान में रख कर किया ताकि उस क्षेत्र में पानी की कमी की किल्लत का सामना किया जा सके।
आइस स्तूपा या बर्फीला स्तूप के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह खबर पढ सकते हैं –
In Kashmir, An Ancient Solution Solves a New Problem
सोनम वांगचुक ने लद्दाख के गांवों में आइस स्तूपा या बर्फीला स्तूप बनाकर पानी की कमी से निबटने का चलन बढाने के लिए इससे संबंधित प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया ताकि लोगों में जागरूकता आए। प्रोत्साहन राशि के रूप में उन्होंने प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान वालों के लिए पांच लाख, तीन लाख व दो लाख रुपये के पुरस्कार की भी घोषणा की थी। यह है वह खबर –
Villages in Ladakh compete for building artificial glaciers
लेह क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में 1991 और 2013 के बीच तापमान में तेज़ी से वृद्धि हुई। यह क्षेत्र मुख्यतः ठंडा और शुष्क है और गर्म जलवायु का उस पारिस्थितिकी तंत्र पर अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ने की संभावना है। स्वयं जल आपूर्ति में बदलाव देखकरए वांगचुक ने अपना ध्यान मौसमी जल संकट की समस्या के समाधान पर केंद्रित किया। इस खबर में उन्होंने कुछ साल पहले बताया था कि इस पद्धति से अबतक ढाई करोड़ लीटर पानी उपलब्ध कराया गया है।
सोनम वांगचुक को इस आविष्कार के लिए 2016 में रोलेक्स आवार्ड मिला था। उस समय वे यह आवार्ड पाने वाले दूसरे भारतीय थे। उस खबर का लिंक यहां है व स्क्रीनशॉट नीचे है –

रोलेक्स आवार्ड के बारे में जानने के लिए इस लिंक पर जाएं –
इस आवार्ड ने अपना परिचय अपनी वेबसाइट पर इस प्रकार दिया है –
चार दशकों से भी ज़्यादा समय से, रोलेक्स अवार्ड्स फॉर एंटरप्राइज के माध्यम से, रोलेक्स उन असाधारण व्यक्तियों का समर्थन करता रहा है जिनमें बड़ी चुनौतियों का सामना करने का साहस और दृढ़ विश्वास है; ऐसे पुरुष और महिलाएँ जिनमें उद्यमशीलता की भावना है, जो असाधारण परियोजनाएँ शुरू करते हैं जो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाती हैं।
सोनम वांगचुक 30 से अधिक वर्षों से शिक्षा सुधार के क्षेत्र में कार्यरत हैं। 1988 में उन्होंने SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत के लद्दाख के ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में सरकारी स्कूल प्रणाली में सुधार लाना था।
राज्य की परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण रहने वालों का प्रवेश इस संस्थान में होता रहा है। यहां नामांकन का आधार ग्रेड नहीं है। वे अपने स्कूल में नई पीढी को नवाचार सिखाते रहे हैं।
शिक्षा में सुधार या बदलाव के लिए उन्होंने ऑपरेशन न्यू होप की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों का स्वामित्व लेने के लिए ग्राम समितियों का गठन, शिक्षकों को बाल सुलभ प्रशिक्षण और लद्दाख के लिए स्थानीय पाठ्य पुस्तकों का पुनर्लेखन व प्रकाशन शामिल है।
शिक्षा में सुधार या बदलाव के लिए उन्होंने ऑपरेशन न्यू होप की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों का स्वामित्व लेने के लिए ग्राम समितियों का गठन, शिक्षकों को बल सुलभ प्रशिक्षण और लद्दाख के लिए स्थानीय पाठ्य पुस्तकों का पुनर्लेखन व प्रकाशन शामिल है।
वे यह कहते रहे हैं कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में जिज्ञासा व अन्वेषण के लिए बहुत कम जगह है। उनका मानना रहा है कि माता-पिता को समय पर संसाधन और सहायता प्रदान करके अपने बच्चे की जिज्ञासा को पोषित करना चाहिए।

सोनम वांगचुक के आप वो वीडियो देख चुके होंगे जिसमें वे चीन के खिलाफ बहुत मुखर दिखते हैं और चीन के वर्चस्ववादी तेवर पर सवाल उठाते हैं और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सवालों को बार-बार उठाते हैं। सोनम वांगचुक ने साल 2020 में बुलेट नहीं बॉलेट का मंत्र दिया था और इस संबंध में अपना एक वीडियो पब्लिक किया था। उन्होंने सभी देश वासियों से चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में चीन के सॉफ्टवेयर व एक साल में हार्डवेयर का बहिष्कार करें। उसका ऐप अन-इंस्टॉल करें। इससे उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
