अगर मैं कोशी तटबंध के बीच के गांव नहीं जाता तो कोशी को नहीं समझ पाता : राहुल यादुका

नीति निर्धारकों के लिए कोशी के तटबंध के बीच के लोगों के सवालों की अहमियत नहीं, कोशी-मेची नदी जोड़ परियोजना में नहीं है समस्या का समाधान

सुपौल (बिहार) : ब्रिटेन के लंदन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई देशों के नदी और पानी के विषय पर एक शोधार्थी के रूप में चयनित डॉ राहुल यादुका का सुपौल में कोशी नवनिर्माण मंच के कार्यकर्ताओं की पहल पर 28 अप्रैल 2025 को एक व्याख्यान आयोजित किया गया। बीएसएस कॉलेज परिसर में आयोजित इस व्याख्यान में डॉ राहुल ने कोशी से जुड़े अपने अनुभव, समझ व नजरिये को साझा किया। वे बीते कुछ सालों से कोशी व वहां के लोगों से अपने रिसर्च को लेकर गहरे जुड़े रहे हैं।

डॉ राहुल यादुका ने अपने व्याख्यान में कहा कि जब उन्होंने कोशी को अपने शोध के विषय के रूप में चुना तो पटना के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे अप्रासंगिक विषय बताया, यहां तक कि कोशी क्षेत्र के अफसरों के लिए भी कोशी के भीतर के सवाल महत्वपूर्ण नहीं थे, बल्कि उनका नजरिया यह था कि सबकुछ ठीक है।

डॉ राहुल ने कहा कि अगर संगठन के लोग नहीं होते तो वे भी कोशी तटबंध पर घूमकर यह निष्कर्ष निकालते कि सबकुछ ठीक है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि कोशी तटबंध के भीतर के लाखों लोगों का जीवन और उनके सवाल अहम हैं

व्याख्यान के दौरान उपस्थित लोग।

डॉ राहुल ने कहा कि सिर्फ 1954 में तटबंध बना कर उनलोगों को नदी के बीच नहीं छोड़ा गया बल्कि सुरक्षा बांध और गाइड बांध बनाकर लगातार नदी की चौड़ाई घटाई गई है, नदी का तल ऊंचा हुआ है और ग्लोबल वार्मिंग का संकट बढ़ा है। इसलिए कोशी नदी के समाधान की बात कोशी मेची नदी जोड़ परियोजनाओं के बजाय नए तरीके से तलाशनी है।

वहां के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास, अधिकार आदि तात्कालिक सवालों को हल करना होगा। यह तभी होगा जब तटबंध के बाहर के लोग भी संवेदना के साथ भीतर के लोगों की पीड़ा के साथ खड़ा होंगे। उन्होंने शोध के निष्कर्षों और अंतराष्ट्रीय समुदाय के बीच कोशी की स्थिति को बताते हुए क्षेत्र के लोगों और संगठन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

मैथिल परंपरा से डॉ राहुल यादुका का स्वागत किया गया।

डॉ राहुल यादुका ने कहा कि कोशी तटबंध के भीतर के लोग पूरे कोशी क्षेत्र के लोगों के कल्याण के लिए भगवान शंकर की तरह विषपान करते हैं। उन्होंने कहा कि एआई के दौर में हम दुनिया की खबर रखते हैं, लेकिन पास की कोशी की खबर नहीं रखते हैं।

अपने व्याख्यान के दौरान डॉ राहुल यादुका ने कहा कि वे सहरसा नगर के निवासी हैं, पर अपने शोध कार्य के क्रम में कोशी नदी और उसके बीच के लोगों की मूल समस्याओं को समझ पाए।

कार्यक्रम की शुरुआत में राहुल यादुका को मैथिली पाग पहनाकर व अंगवस्त्र देते हुए माला पहनाकर स्वागत किया गया। कोशी नव निर्माण मंच अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह ने आए लोगों का स्वागत किया और अपनी बातें रखीं। वहीं, शिक्षक सजल कुमार दास, व्यवसायी अमित मोहनका, शोधार्थी आरिफ निजाम, शिक्षक अजय कुमार, इंजीनियर विद्याभूषण, कामरेड अरविंद शर्मा, अनिल सिंह, दुःखी लाल, एडवोकेट सूर्य नारायण यादव, सोनी कुमारी इत्यादि लोगों ने डॉ राहुल के शोध कार्य की प्रशंसा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो निखिल कुमार ने कोशी के ऐतिहासिक संदर्भों का जिक्र करते हुए, वर्तमान में समाधान की जरूरत पर बल दिया और कहा कि राजनैतिक और प्रशानिक क्षेत्र में बैठे लोगों के उदासीनता की वजह से शोध कार्यों और शोध ग्रंथों का लाभ स्थानीय समाज को नहीं के बराबर मिलता है, यह दूर होना चाहिए। उन्होंने तथ्यपरक, जमीन से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध के लिए डॉ राहुल यादुका की प्रशंसा करते हुए शुभकामनाएं दी।

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