डॉ लुईस मरांडी से आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने रखी ओलचिकी और संताली माध्यम से पढाई की मांग

विधायक के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ज्ञापन प्रेषित किया

दुमका: झारखंड में केजी से पीजी तक पाठ्यक्रम को संताल आदिवासियों के ओलचिकी लिपि से भी पढ़ाने और संताली भाषा को राज्य का प्रथम राज्य भाषा घोषित करने के मांग को लेकर 18 मई 2025 को आदिवासी संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जामा की विधायक व झामुमो नेता डॉ लुईस मरांडी से मुलाकात की।ं सत्ताधारी पार्टी की विधायक डॉ लुईस मरांडी के माध्यम से प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन प्रेषित किया है।

आदिवासी सामाजिक संगठनों का कहना है कि झारखंड राज्य बनने के 25 वर्षों के बाद भी संताल आदिवासी समुदाय का संपूर्ण सामाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हुआ। संताल आदिवासी समुदाय झारखंड राज्य में आदिवासी जनसंख्या में सबसे अधिक संख्या में है। उसके बाद भी वे उपेक्षित व कई अधिकारों से वंचित हैं। इसका मुख्य कारण संताल आदिवासी का शैक्षणिक स्तर निम्न होना है। उनके शैक्षणिक स्तर और जीवन स्तर को सुधारने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें उनकी ही अपनी भाषा संताली और उसकी स्वयं की लिपि ओलचिकी लिपि में शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए सरकारी शिक्षण संस्थानों में राज्य सरकार द्वारा व्यवस्था बनायी जाए।

आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने ओलचिकी लिपि के आविष्कारक एवं साहित्यकार पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जंयती पर विधायक डॉ लुईस मरांडी द्वारा सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देने को लेकर उन्हें धन्यवाद दिया। इस मौके पर परेश मुर्मू, सुभाष किस्कू, लिखन्द्र मुर्मू, शिबू मुर्मू, राजेन्द्र टुडू, मनोज मुर्मू, उमेश हेम्बरम, सुनील टुडू, उमेश मुर्मू, दिनेश मुर्मू, विकास टुडू, रोहित मुर्मू, रामकिंकर टुडू, रायसेन बास्की आदि उपस्थित थे।

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