2050 तक झारखंड अपने कार्बन उत्सर्जन को 60 प्रतिशत तक कम कर सकता है: रिपोर्ट

झारखंड जस्ट ट्रांजिशन टॉस्क फोर्स की मदद से यूएनडीपी व सीड ने झारखंड पर केंद्रित दो रिपोर्ट तैयार की है, दूसरी रिपोर्ट प्रमुख कोयला उत्पादक जिले चतरा पर केंद्रित है।

रांची: झारखंड की अर्थव्यवस्था को भविष्य की चुनौतियों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से टास्क फोर्स सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन (झारखंड सरकार), यूएनडीपी इंडिया और सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा 10 सितंबर 2025 को रांची में आयोजित कार्यशाला में दो महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की गयी। ये रिपोर्ट ‘फ्रॉम डिपेंडेंस टू डाइवर्सिफिकेशन: बिल्डिंग अ फ्यूचर-रेडी वर्कफोर्स’ और ‘इकोनॉमिक डाइवर्सिफिकेशन पाथवेज़ फॉर चतरा’ क्रमशः यूएनडीपी और सीड द्वारा टास्क फ़ोर्स के मार्गदर्शन में तैयार की गई हैं, जो राज्य और ज़िला स्तर पर आर्थिक विविधीकरण और वैकल्पिक आजीविकाओं को बेहतर करने की स्पष्ट रणनीतियाँ प्रस्तुत करती हैं।

इस दौरान झारखंड सरकार सरकार के शहरी विकास एवं आवास मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि झारखंड की पहचान प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल, जमीन और समुदाय से दृढ़ता से जुड़ी है। हमारी प्राथमिकता है कि इस प्राकृतिक संपदा का जिम्मेदारी से उपयोग हो, अवसरों का विस्तार हो, कौशल सशक्त हों और विकास का लाभ हर समुदाय तक पहुँचे। दूरदर्शी योजना, सुदृढ़ संस्थागत तंत्र और जनकेंद्रित रणनीतियाँ नई संभावनाएँ खोलती हैं, और ऐसी विविधीकृत अर्थव्यवस्था का निर्माण करती हैं जो बदलते विकास परिदृश्य में भी मजबूत रहे। टास्क फ़ोर्स बधाई का पात्र है कि गहन शोध-अध्ययन से तैयार ये दोनों रिपोर्ट्स राज्य में नीति एवं कार्यक्रम निर्धारण में सहायक सिद्ध होंगे।

इस अवसर पर राज्य में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दीकी अबूबकर सिद्दीकी ने कहा कि आजीविकाओं की सुरक्षा के लिए जलवायु-अनुकूल रणनीतियों पर कदम उठाना और समावेशिता सुनिश्चित करना आवश्यक है, जिससे कृषि दीर्घकालिक विकास का आधार बन सके। क्षमता निर्माण और समुदायों को भविष्य-उन्मुख कौशलों से सुसज्जित करना आवश्यक है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ पहुँचा सकता है।

पहली रिपोर्ट ‘फ्रॉम डिपेंडेंस टू डाइवर्सिफिकेशन: बिल्डिंग अ फ्यूचर-रेडी वर्कफोर्स’ राज्य के 15 जिलों में वर्तमान आजीविका एवं आर्थिक गतिविधियों का गहन विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि कृषि, निर्माण, सेवा, विनिर्माण और अक्षय ऊर्जा जैसे नौ प्राथमिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर 2050 तक झारखंड अपने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 60 प्रतिशत तक घटा सकता है और विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों में लगभग 57 प्रतिशत तक कमी कर सकता है। इसके साथ ही 17,800 असमय मौतों की रोकथाम कर सकता है और राज्य की अर्थव्यवस्था को ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) की 6.1 प्रतिशत तक की बचत हो सकती।

चतरा के अर्थिक विविधीकरण पर केंद्रित रिपोर्ट में क्या है?

‘इकोनॉमिक डाइवर्सिफिकेशन पाथवेज़ फॉर चतरा’ यानी चतरा के आर्थिक विविधीकरण की राह रिपोर्ट झारखंड के सबसे बड़े कोयला उत्पादक जिलों में से एक चतरा के लिए आर्थिक विविधीकरण की दिशा प्रस्तुत करती है। इसमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने, भूमि के पुनरुपयोग के जरिये आर्थिक विकल्प का विश्लेषण किया गया है। अध्य्यन में कृषि, अक्षय ऊर्जा, पर्यटन तथा वन-आधारित उद्योगों में 37,000 से अधिक रोजगार सृजित करने की संभावनाएँ प्रस्तुत की गई हैं। साथ ही, यह रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन फंड के बेहतर उपयोग और ग्रीन स्किल डेवेलपमेंट पर भी ज़ोर देती है। यह अध्ययन टास्क फोर्स द्वारा चिह्नित 13 कोयला-समृद्ध ज़िलों के लिए तैयार की जा रही रिपोर्ट श्रृंखला का एक हिस्सा है।

रिपोर्ट जारी करने के दौरान उपस्थित अतिथि। विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों के लिए सत्र का आयोजन किया गया। फोटो स्रोत: सीड।

टास्क फोर्स – सस्टेनेबल जस्ट ट्रांज़िशन के अध्यक्ष एके रस्तोगी ने रेखांकित किया कि ये रिपोर्ट्स राज्य की जन-केंद्रित जस्ट ट्रांज़िशन प्रक्रिया को नई दिशा देती हैं। ये रिपोर्ट बेस्ट केस स्टडीज़ और साक्ष्य-आधारित विश्लेषण पर आधारित है, जो उन प्रमुख क्षेत्रों और नए आर्थिक अवसरों की पहचान करती हैं, जो समावेशी विकास को आगे बढ़ाये, जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाए और भविष्य-दृष्टि के साथ जलवायु-अनुकूल आजीविकाएँ विकसित करें।

यूएनडीपी इंडिया की डिप्टी रेज़िडेंट रिप्रेज़ेन्टेटिव सुश्री इसाबेल त्सचान ने कहा कि यूएनडीपी झारखंड सरकार के विज़न के साथ है, जो जस्ट ट्रांज़िशन के लाभ को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने पर जोर देता है। ये रिपोर्ट्स रेखांकित करती हैं कि कैसे राज्य और ज़िले महिलाओं, युवाओं और आदिवासी समुदायों को केंद्र में रखकर सतत विकास को आगे बढ़ा सकते हैं, ताकि हरित अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव सबसे वंचित समूहों के लिए भी वास्तविक और बेहतर अवसर बना सके।

अंतर-विभागीय कन्वर्जेन्स और दीर्घकालिक योजना को बॉटम-अप एप्रोच के साथ अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि इन रिपोर्ट्स की कार्यान्वयन योग्य अनुशंसाएँ न केवल नीतिगत विमर्श को दिशा दे सकती हैं, बल्कि संस्थागत ढाँचे को सुदृढ़ करेंगी और राज्य की संसाधन-समृद्ध क्षमता के सहारे समावेशी, भविष्य-उन्मुख अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक सिद्ध होंगी।

यूएनडीपी इंडिया में हेड-एक्शन फॉर क्लाइमेट एंड एनवायरनमेंट आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि कृषि और वानिकी आधारित उद्यमों से लेकर सेवाओं और स्वच्छ उद्योगों तक, विविध क्षेत्रीय मार्ग गरिमापूर्ण और सतत आजीविकाओं के निर्माण की अपार संभावनाएँ प्रस्तुत करते हैं। इन एक्शन प्लान को वास्तविक धरातल पर उतारने की जरुरत है।

कार्यक्रम में झारखंड और अन्य राज्यों – छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत, सार्वजनिक उपक्रम, व्यावसायिक संघ, थिंक टैंक और सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थित रही और प्रतिनिधियों के लिए दो तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया।

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