सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज के एक नए अध्ययन ने इस धारणा को बदल दिया कि स्तनधारी राजमार्ग के किनारे आवास से बचते हैं। अध्ययन में पाया गया कि सामान्य स्तनधारी आसान भोजन उपलब्धता व राजमार्ग के किनारे शिकारी या मासांहारी पशुओं की कम उपस्थिति की वजह से रहना अधिक पसंद करते हैं। वहीं, मांसाहारी स्तनधारियों के लिए राजमार्ग विभिन्न वजहों से एक अवरोध का काम करते हैं।
बेंगलुरु: वन्यजीव व उनके व्यवहार पर रिसर्च व अध्ययन करने वाली बेंगलुरु स्थित संस्था सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज के डॉ विक्रम आदित्य के नेतृत्व में किये गये एक रिसर्च में हाइवे यानी राजमार्गाें के आसपास वन्यजीवों के व्यवहार को लेकर खुलासा हुआ है। बायोडायवर्सिटी वाले ट्रॉपिकल जंगल में मैमल की मौजूदगी पर एक बड़े हाईवे का असर (At a Crossroads: Impacts of a Major Highway on Mammal Occurrence in a Biodiverse Tropical Forest) नाम के इस अध्ययन को 26 नवंबर 2025 को बायोट्रोपिका (Biotropica) में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन के सह लेखकों में योगेश पसलु ( सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज) और डॉ दयातिमा घोष (जैन यूनिवर्सिटी और ATREE) शामिल हैं।
यह अध्ययन आंध्रप्रदेश के नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (Nagarajunasagar Srisailam Tiger Reserve) को दो हिस्सों में बांटने वाले हाइवे पूर्वीघाट में स्तनधारी जीवों की मौजूदगी, आवाजाही और रहने की जगह के इस्तेमाल को कैसे आकार देता है, पर केंद्रित है। एनएच 765 और पास के एक बिना रुकावट वाले जंगल के रास्ते पर लगाए गए कैमरा ट्रेस से वैज्ञानिकों ने 795 ट्रैप नाइटस, 16 स्तनधारी प्रजातियों, 2600 से अधिक डिटेक्शन्स दर्ज किया। टीम ने पाया कि यद्यपि स्तनधारी जंगल व सड़क दोनों प्रकार के आवासों का उपयोग करते हैं, फिर भी सड़कों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया प्रजाति समूहों के अनुसार अलग-अलग होती है।
शाकाहारी स्तनधारी सड़क किनारे आवास के लिए होते हैं आकर्षित
इस अध्ययन में उस परिकल्पना के विपरीत तथ्य सामने आए कि स्तनधारी सड़क किनारे आवास से बचते हैं। अध्ययन में पाया गया कि राजमार्ग के किनारे स्तनधारियों की अधिक संख्या दर्ज की गई। यह संख्या खासकर ऐसे जीवों की थी जो शाकाहारी या सामान्य प्रजाति के हैं। इनमें हिरण, मकाक, स्मॉल इंडियन सिवेट, जंगली सूअर व नेवला शामिल हैं। इनमें से कई प्रजातियां सड़क के किनारे इसलिए आकर्षित होती हैं, क्योंकि आगंतुकों द्वारा छोड़ा गया भोजन और सड़क किनारे आवास में आसान चारा उपलब्ध होता है या वहां मांसाहारियों की कम उपस्थिति वजह है।
इसके विपरीत अध्ययन में यह पाया गया कि मांसाहारी प्रजातियां सड़कों से स्पष्ट रूप से बचती हैं। बाघ, तेंदुआ व जंगली कुत्ते अबाधित वन पगडंडियों पर अधिक बार दर्ज किए गए, जबकि राजमार्ग का प्रयोग उन्होंने विशेष रूप से रात में उस पर यातायात कम होने के बाद किया। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सड़क नहीं बल्कि उस पर वाहनों का आवागमन मांसाहारी जीवों के लिए मुख्य अवरोध है। यह स्थिति उनके आवास उपयोग, शिकार रणनीतियों, होम रेंज और दीर्घकालिक अस्तित्व को प्रभावित करती है।

Photo Credit – https://nstr.co.in/ Nagarajunasagar Srisailam Tiger Reserve.
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ विक्रम आदित्य कहते हैं, यह अध्ययन स्पष्ट रूप सेदर्शाता है कि जंगलों से होकर गुजरनेवाली सड़कें वन्यजीवों की उपस्थिति के लिए एक बड़ा अवरोध हैं और इनके कारण उनकी गति, भोजन खोजनेकी क्षमता, प्रजनन और दीर्घकालिक अस्तित्व पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। मांसाहारी विशेष रूप से रात के यातायात से प्रभावित होते हैं। इसलिए वन क्षेत्र की सड़कों को रात में यातायात के लिए खोलना उनके लिए अत्यंत हानिकारक साबित हो सकता है।
वन क्षेत्र के राजमार्ग पर भारी यातायात चिंता की बात
अध्ययन में एनएच – 765 पर यातायात की तीव्रता काफी अधिक पायी गई। विशेषकर सुबह और देापहर में, जहां प्रति घंटे 243 वाहन जिनमें बस, ट्रक, कार व दोपहिया दर्ज किए। इतनी भारी यातायात सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढाता है और वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक दैनिक पैटर्न को बदलने पर मजबूर कर सकता है। उदाहरण के लिए, सांभर केवल आधी रात के बाद ही राजमार्ग पर रिकॉर्ड किए गए, जो इस बात का संकेत है कि यातायात उनके प्राकृतिक व्यवहार को बाधित कर रहा है।
यह अध्ययन एनएच – 765 को चौड़ा करने के प्रस्ताव के मद्देनजर यह अनुमान लगाता है कि एनएसटीआर (Nagarajunasagar Srisailam Tiger Reserve) अंदर कम से कम 42 हेक्टेयर वन क्षेत्र जिसका उपयोग कई आइयूसीएन सूचीबद्ध संकटग्रस्त प्रजातियां करती हैं, नष्ट हो जाएगा।
सड़क चौड़ीकरण से प्रत्यक्ष आवास हानि के अलावा वैकल्पिक मार्गाें को उत्पन्न कर सकते हैं और मानव पहुंच बढा सकते हैं। यह स्थिति वन्यजीव आवासों में और विखंडन ला सकती है।
यह अध्ययन वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित शमन उपायों पर जोर देता है, जिसमें यातायात निगरानी, गति नियमन, संवेदनशील क्ष्ज्ञेत्रों में संकेतक बोर्ड अवरोध और आवास संपर्क संरचनाएं शामिल हैं। यह अध्ययन भारत के संरक्षित क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। यह सड़क निर्माण बढने के बावजूद अब भी बड़े पैमाने पर अनुपस्थित है। यह भारत में बढते राजमार्ग परियोजनाओं के मद्देनजर इसकी डिजाइनिंग के लिए एक महत्वपूर्ण अंतदृष्टि भी प्रदान करता है।