डॉ गुणवंतराय गणपतलाल पारिख जो जीजी पारिख के नाम से विख्यात थे, का जन्म 30 दिसंबर 1924 को हुआ था। वे एक सच्चे गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी व पर्यावरण हितौषी थे। उन्होंने अपने पीछे समाज कल्याण की एक समृद्ध विरासत छोड़ी है।
101 साल की उम्र में गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी डॉ जीजी पारिख का मुंबई में दो अक्टूबर 2025 की सुबह निधन हो गया। उनकी ख्याति एक स्वतंत्रता सेनानी, एक समाजवादी और एक गांधीवादी के रूप में थी। लेकिन, उनके व्यक्तित्व का एक और पक्ष था कि वे एक सशक्त पर्यावरण हितैषी थे। उनके निधन पर कई मशहूर व प्रमुख हस्तियों ने शोक जताया है।
जीपी पारिख अपने शुरुआती दिनों में साम्यवाद से प्रभावित थे, लेकिन बाद में उनका उस विचारधारा से मोहभंग हो गया और उनकी यह समझ बनी कि भारत जैसे देश के लिए गांधीवादी विचारधारा कहीं अधिक उपयुक्त है। उन्होंने गांधी जी के आदर्शाें को अपने जीवन में अपनाया और जो उपदेश दिए उसका खुद पालन किया। उन्होंने पनवेल के तारा में प्रसिद्ध युसूफ मेहर अली केंद्र की स्थापना की, जिसका उदद्देश्य ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना है।
यह केंद्र पर्यावरण अनुकूल खेती पद्धितयों का अभ्यास करता है। साथ ही अस्पताल, स्कूल और बालिका छात्रावास का संचालन करता है।
उनके बारे में स्प्राउट्स के फाउंडर आनंद पेंढेंन्कर ने लिखा, अक्टूबर 2025 में एक और दिग्गज का निधन हो गया, जिन्हें विकास क्षेत्र में जीजी के नाम से जाना जाता था। वे समाजवादी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा, एक मार्गदर्शक, समाज सुधारक, यूसुफ मेहर अली केंद्र के संस्थापक और पक्के गांधीवादी थे। उनका दर्शन उनमें इतना गहराई से समाया हुआ था कि गांधी जयंती के दिन ही उनका निधन हुआ।

GG Parikh photo by Yagnesh Mehta.
आनंद पेंढेंन्कर ने याद किया, 16 सितंबर 2023 को विश्व ओजोन दिवस के मौके पर भायखला स्थित वीरमाता जीजाभाई भेसले उद्यान एवं चिड़ियाघर में जलवायु कार्रवाई श्रृंखला की पहली कड़ी का उन्होंने उदघाटन किया था। वे लिखते हैं, यह हमारे लिए एक सम्मान था, मैं मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं सोच सकता जो सामाजिक सुधारों के कद, प्रभाव और निरंतरता के मामले में उनके आसपास भी खड़ा हो सके। उन्होंने भारत के 9 राज्यों में केंद्रों,आदिवासी स्कूलों और अन्य संस्थानों की एक विशाल विरासत छोड़ी है।
नर्मदा आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने उनके बारे में लिखा, “नवभारत के प्रति कटिबद्ध, स्वतंत्रता सेनानी, हमारे प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक रहे जीजी पारीख जी, 101साल का संघर्ष और निर्माण का जीवन पीछे छोडकर चले गये, आज सुबह इस दुनिया के पार हमारे कंधों पर कार्य का बोझ छोड कर चले गए”।
बिहार में नदी व बाढ़ प्रभावितों के लिए संघर्ष करने वाले कोशी नवनिर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने उन्हें याद करते हुए लिखा, डॉ जी जी पारिख जी नहीं रहे। वे एक डॉक्टर, एक स्वतंत्रता सेनानी से ज्यादा समाजवादी धरोहर थे। कुछ समय पहले मई महीने में मुंबई जाने के क्रम में मैं और पंकज जी उनसे मिलने गए थे। उन्होंने देश के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए तीन बाते समझाई। पहला समाजवादी लोगों को देश के लिए एकजुट होना होगा, दूसरी पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दे पर काम हो और तीसरी की जेल जाए बगैर कोई काम नहीं होगा, इसलिए जेल जाते रहना सभी सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं का कार्य है। उन्होंने तब कहा, मैं इस उम्र में भी जेल जाने को तैयार हूं, ये लोग जाने ही नहीं देते। उनका जाना समाजवादी युग पुरुष का अंत है। विनम्र श्रद्धांजलि! डॉ जीजी के अरमानों को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।