गरगेंडा बागान में चाय मजदूर की मौत भूख से, पश्चिम बंगाल सरकार जवाबदेही सुनिश्चित करे: जन संगठन

अलीपुरद्वार: 10 व 11 जुलाई 2025 को राइट टू फूड एंड वर्क अभियान (आरटीएफडब्ल्यूसी) और पश्चिम बंग चा माजूर समिति (पीबीसीएमएस) के द्वारा गरगेंडा टी गार्डन में एक प्रारंभिक तथ्य-खोज (फैक्ट फाइंडिंग) जांच की गई। इस बागान का प्रबंधन मेरिको कंपनी के जिम्मे है।

जांच में एक भयावह मानवीय संकट सामने आया है। 48 वर्षीय चाय मजदूर गुंजन नायक, जो पिछले चार महीनों से वेतन नहीं पा रहे थे, उनकी भुखमरी के कारण मृत्यु हो गई। वे और उनकी पत्नी अत्यधिक गरीबी में जी रहे थे। उनका परिवार उचित भोजन, चिकित्सा और आवास से वंचित था। यह मौत कोई अकेली दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह व्यवस्थागत उपेक्षा, वेतन बकाया और राज्य की निष्क्रियता का परिणाम है। उनकी पत्नी आज भी गंभीर कुपोषण की स्थिति में हैं, और यह उनके शरीर में साफ दिखाई देता है।

108 मजदूरों पर किए गए एक त्वरित स्वास्थ्य और पोषण सर्वेक्षण में पाया गया कि 41 मजदूर (38 प्रतिशत) कुपोषण के शिकार हैं, जिनमें से 26 मजदूर अत्यंत दुर्बल (बॉडी मॉस इंडेक्स 17 से कम) हैं। इनके स्वास्थ्य के लिए यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो उनकी जान को गंभीर खतरा है। महिला मजदूर इस संकट से पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावित हैं।

यह तथ्य भी सामने आया कि तीन-चार महीने से वेतन न मिलने के अलावा, अधिकतर मजदूरों को उनका वैधानिक हक, जैसे ग्रेच्युटी और भविष्य निधि(पीएफ) भी नहीं मिला है। इसका कारण या तो प्रबंधन की लापरवाही है या दस्तावेजों की गड़बड़ी। यह श्रम कानूनों का गंभीर उल्लंघन है, जो मजदूरों की पहले से ही कमज़ोर आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को और कमजोर कर रहा है।

राइट टू फूड एंड वर्क अभियान एवं पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने इस हालात के मद्देनजर कई मांगें रखीं हैं। दो संगठनों ने मांग की है कि गरगेंडा चाय बागान के सभी मजदूरों को तत्काल सभी लंबित वेतन का भुगतान किया जाए। सभी कुपोषित मजदूरों और उनके परिवारों को आपातकालीन खाद्य और पोषण सहायता दी जाए। यदि मेरिको कंपनी मजदूरों को वेतन और उनके बुनियादी अधिकार सुनिश्चित नहीं कर सकती, तो बागान की मालिकाना हक में तत्काल बदलाव किया जाए। लंबित ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (पीएफ) की राशि का तुरंत भुगतान की जाए और दस्तावेज़ी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए।

दोनों संगठनों ने चेतावनी दी है कि गरगेंडा के मजदूर अब और इंतज़ार नहीं कर सकते। एक और मौत कोई दुर्घटना नहीं होगी, बल्कि वह राज्य की स्वीकृति से हुई एक हत्या होगी, जो उदासीनता और निष्क्रियता से जन्मी है। संगठनों ने 48 घंटे में राज्य सरकार, श्रम विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग व जिला प्रशासन से आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।

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