क्रिटिकल मिनरल के पुनर्चक्रण के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी, नवीनीकृत ऊर्जा के लिए यह क्यों है जरूरी?

इस योजना के तहत महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण के लिए बैटरी अपशिष्ट और ई कचरे के पुनर्चक्रण की क्षमता विकसित की जाएगी। यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन(एनसीएमएम) का हिस्सा है। स्वच्छ ऊर्जा के भारत के लक्ष्यों का हासिल करने के लिए क्रिटिकल मिनरल और उसके लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तीन सितंबर 2025 को हुई कैबिनेट की बैठक में क्रिटिकल मिनरल (महत्वपूर्ण खनिज) के पुनर्चक्रण को बढावा देने के लिए 1500 करोड़ रुपये की एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई। इसके तहत महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण के लिए बैटरी अपशिष्ट और ई कचरे के पुनर्चक्रण की क्षमता विकसित की जाएगी। यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन(एनसीएमएम) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू क्षमता का निर्माण करना और आपूर्ति श्रृंखला में सुदृढ़ता लाना है।

यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह वर्षाें के लिए लागू रहेगी। इसके तहत ई कचरा, लिथियम आयन बैटरी स्क्रैप व अन्य स्क्रैप से क्रिटिकल मिनरल का पुनर्चक्रण किया जाएगा। इस योजना के लाभार्थियों में बड़े स्थापित पुनर्चक्रणकर्ता कंपनियों सहित छोटे व नए पुनर्चक्रणकर्ता शामिल होंगे। यह योजना नई इकाइयों में निवेश के साथ क्षमता विस्तार व आधुनिकीकरण व मौजूदा इकाइयों के विविधीकरण पर लागू होगी।

योजना के तहत प्रोत्साहनों में तय समय सीमा के भीतर उत्पादन शुरू करने के लिए संयंत्र और मशीनरी, उपकरण और संबंधित उपयोगिताओं पर 20 प्रतिशत पूंजीगत व्यय सब्सिडी दी जायेगी, जिसके बाद सब्सिडी में कमी लागू होगी।

इसके तहत लाभार्थियों की अधिक संख्या सुनिश्चित करने के लिए प्रति इकाई कुल प्रोत्साहन (पूंजीगत व्यय और परिचालन व्यय सब्सिडी) बड़ी इकाइयों के लिए 50 करोड़ रुपये और छोटी इकाइयों के लिए 25 करोड़ रुपये होगा, जिसके अंतर्गत परिचालन व्यय सब्सिडी की सीमा क्रमशः 10 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये होगी।

इस योजना के प्रोत्साहनों से कम से कम 270 किलो टन वार्षिक पुनर्चक्रण क्षमता विकसित होने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 40 किलो टन वार्षिक महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन होगा, सरकार के आकलन के अनुसार, इससे लगभग 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और रोजगार के लगभग 7,ए000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर सृजित होंगे।

इसी साल सरकार ने महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की

भारत सरकार ने इसी साल राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन या नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। नवंबर 202 में खान मंत्रालय की एक समिति ने 30 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की। सरकार ने इसमें 24 को खन और खनिज विकास और विनियमन अधिनियम, 1957 की अनुसूची 1 के भाग डी में शामिल किया। इससे केंद्र सरकार के पास अब इन विशिष्ट खनिजों के खनन पट्टों व समग्र लाइसेंसों की नीलामी का विशेष अधिकार है।

सौर पैनल, पवन टर्बाइन, इलेक्ट्रिक वेहकिल और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों जैसी स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज जरूरी हैं।

क्रिटिकल मिनरल या महत्वपूर्ण खनिज के महत्व को समझिए

सौर ऊर्जा

सिलिकॉन, टेल्यूरियम, इंडियम और गैलियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज, सौर पैनलों में इस्तेमाल होने वाले फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल्स के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत की वर्तमान सौर क्षमता 64 गीगावॉट इन खनिजों पर बहुत अधिक निर्भर है।

पवन ऊर्जा

दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे डिस्प्रोसियम और नियोडिमियम का प्रयोग पवन टर्बाइनों के लिए स्थायी चुम्बकों में किया जाता है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक अपनी पवन ऊर्जा क्षमता को 42 गीगावॉट से बढ़ाकर 140 गीगावॉट करना है, जिसके लिए इन खनिजों की स्थिर आपूर्ति ज़रुरी है।

इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी)

    लिथियम, निकेल और कोबाल्ट, लिथियम-आयन बैटरी में उपयोग की जाने वाली प्रमुख सामग्री हैं।
    राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (एनईएमएमपी) के तहत, भारत 2024 तक 6-7 मिलियन ईवी लाने की योजना बना रहा है, जिससे इन महत्वपूर्ण खनिजों की मांग में बढ़ोत्तरी होगी।

    ऊर्जा भंडारण

    उन्नत ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरियां लिथियम, कोबाल्ट और निकेल पर निर्भर करती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *