हसदेव में कोयला खनन को लेकर टकराव, परसा कोल ब्लॉक के लिए काटे जाएंगे 95 हजार पेड़

2009 के वन विभाग के सर्वे के आधार पर परसा कोल ब्लॉक के लिए 95 हजार पेड़ों को काटना होगा, 840 हेक्टेयर भूमि के घने जंगल को नुकसान होगा और 700 लोग विस्थापित होंगे।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेता आलोक शुक्ला ने कहा है तीन अलग कोल परियोजनाओं के लिए नौ से दस लाख पेड़ काटे जाएंगे।

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में परसा कोयला ब्लॉक के विरोध में स्थानीय समुदाय, आदिवासियों व पुलिस प्रशासन में गुरुवार, 17 अक्टूबर को टकराव हुआ। हिंसक टकराव में कुछ स्थानीय लोग घायल भी हुए।

इस घटना के बाद शनिवार (19 अक्टूबर] 2024) को छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित अन्य संगठनों ने रायपुर में एक साझा प्रेस कान्फ्रेंस की। इस प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के नेता आलोक शुक्ला ने कहा,हसदेव को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा ने संकल्प पारित किया था कि सारे कोल ब्लॉक निरस्त किये जायें। भारतीय वन्य जीव संस्थान ने चेतावनी दी थी कि अगर जगल का विनाश होगा तो मानव-हाथी संघर्ष बढेगा और उस बांगो बांध का अस्तित्व खत्म हो जाएगा, जिससे छह लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती है।

शुक्ला ने कहा कि हसदेव की ग्रामसभाएं पांचवी अनुसूची में आती हैं और वे लगातार कोयला खनन का विरोध कर रही हैं और अपने विरोध को पुख्ता करने व न्याय के लिए 300 किलोमीटर पैदल चलकर रायपुर आये और राज्यपाल से मिले। इन तमाम तथ्यों को दरकिनार करते हुए सिर्फ एक उद्योगपति के दबाव की वजह से हसदेव के जंगल का विनाश किया जा रहा है। शुक्ला ने कहा कि कल व परसों (18 व 17 अक्टूबर 2024) को जहां जंगल कटा है वह परसा कोल ब्लॉक एक नया कोल ब्लॉक है और इसके जो प्रभावित गांव हैं, उनकी ग्रामसभा में कभी भी इसकी सहमति नहीं दी है।

उन्होंने कहा कि 2018 में फर्जी प्रस्ताव बनाये गये थे, जिसकी जांच अनुसूचित जनजाति आयोग में चल रही है और आयोग ने यह पाया है कि वे फर्जी ग्रामसभाएं थीं। और, उस फर्जी ग्रामसभा के आधार पर जो वन स्वीकृति व पर्यावरण स्वीकृति ली गई है, उसको शासन को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था कि परसा कोल ब्लॉक की स्वीकृति को निरस्त किया जाए।

राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के इस पत्र में उल्लेख है कि पारित प्रस्ताव को विधि सम्मत नहीं पाया गया।

आलोक शुक्ला ने कहा है कि जिस परसा कोल ब्लॉक को निरस्त किया जाना चाहिए वहां हजारों की संख्या में फोर्स लगाकर पेड़ों का विनाश किया गया है। वहां आदिवासियों के धार्मिक स्थल बूढ़ा देव के जंगल को काट दिया गया है और लोग जब उसका विरोध कर रहे हैं कि यह हमारा संवैधानिक अधिकार है आप ऐसा मत कीजिए तो पुलिस लाठी चार्ज कर रही है, लोगों का दमन कर रही है। उन्होंने कहा कि बिना अनुमति का उस जंगल में पुलिस का आना पहली हिंसा है और पेड़ काटना दूसरी हिंसा है और शांतिपूर्ण विरोध पर लाठी चार्ज करना तीसरी हिंसा है। उन्होंने कहा कि इस दमन के खिलाफ लोग हाथ जोड़ कर खड़े नहीं रहेंगे और यह दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि एक उद्योगपति के फायदे के लिए हसदेव के जंगल का विनाश किया जा रहा है।

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आलोक शुक्ला ने कहा कि अभी छह हजार पेड़ कटे हैं और इस परियोजना के लिए 90 हजार से एक लाख पेड़ कटना है। उन्होंने कहा कि केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक के लिए छह से सात लाख पेड़ कटना है। उन्होंने कहा कि तीन कोल परियोजनाओं के लिए आने वाले दिनों में नौ से दस लाख पेड़ काटा जाना है। ने कहा कि जैव विविधता से संपन्न हसदेव का जंगल मध्य भारत का सबसे समृद्ध जंगल है और फेफड़ा है। इससे हसदेव के सिर्फ कुछ गांव के किसान विस्थापित नहीं होंगे, बल्कि जांजगीर के छह लाख किसान पानी के लिए तरस जाएंगे। रायपुर से लेकर बिलासपुर और कोरबा से लेकर सरगुजा तक के लोगों को पानी नहीं मिलेगा। हम सबको ऑक्सीजन का संकट झेलना होगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ व देश के संवेदनशील नागरिकों से इस लाड़ाई में साथ देने की अपील की।

18 अक्टूबर को हिंदुस्तान टाइम्स अखबार ने घटना के संबंध में स्थानीय अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट किया कि सुरजपुर जिले में पुलिस व विरोध करने वालों के बीच हुए टकराव में चार लोग व आठ पुलिसकर्मी घायल हुए थे। वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं के हवाले से लिखा गया है कि भीड़ पर पुलिस लाठीचार्ज में कम से कम 10 लोग घायल हुए। परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को केंद्र सरकार के कोल माइन डेवलपर कम ऑपरेटर स्कीम के तहत आवंटित किया गया है। प्रतिस्पर्धी बोली में अदानी इंटरप्राइजेज ने इस कोल माइन के संचालन का अधिकार हासिल किया।

हसदेव में पेड़ों की कटाई के विरोध में रात में भी महिलाएं इस तरह डटी रहीं।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि परसा कोल माइन से 700 लोग विस्थापित होंकईगे और 840 हेक्टेयर घने जंगल का नुकसान होगा। 2009 के वन विभाग के सर्वे से इससे 95 हजार पेड़ कटेंगे।

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