कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार व हत्या की घटना के बाद स्वतंत्र समूहों, नागरिक संगठनों व सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों ने लैंगिक हिंसा की शिकायतों पर सुनवाई के लिए एक साझा मंच स्थापित करने की पहल की है। इस मंच के तहत कार्यस्थल पर महिलाओं, समलैंगिकों, ट्रांस जैंडर व हाशिये के समूहों के मामलों की सुनवाई की जाएगी। फिलहाल यह पहल पश्चिम बंगाल पर केंद्रित है, जो लिंग आधारित हिंसा को संबोधित करने की जरूरत को रेखांकित करती है।
इस सार्वजनिक सुनवाई में औपचारिक व अनौपचारिक कार्य और कार्यस्थल की समझ व्यापक होगी, जहां कानूनी सुरक्षा न्यूनतम है और भेद्यता अधिक है।
इस तरह की सार्वजनिक सुनवाई का मुख्य उद्देश्य लिंग आधारित हिंसा के उदाहरणों का दस्तावेजीकरण करना, कानूनी और संस्थागत तंत्र का आकलन करना, सामाजिक और सांस्कृतिक अड़चनों को एड्रेस करना और इसके आधार पर नीतिगत सिफारिशें तैयार करना है।
इस जन सुनवाई में विशेषज्ञ की एक समिति होगी, जिसमें सेवानिवृत जज व नौकरशाह, महिला व समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, शारीरिक रूप से निःशक्त लोगों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता, श्रम अधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल होंगे। जैसे ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुरलीधर, नारीवादी इतिहासकार उमा चक्रवर्ती, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर रत्नाबोली रे, जेंडर जस्टिस प्रोफेशनल अनुराधा कपूर सहित नागरिक समाज के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल होंगे।
इस पहल में कुछ पूर्व न्यायाधीश जैसे सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जज न्यायमूर्ति रूमा पाल, मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रभा श्रीदेवन और पूर्व नौकरशाह अनीता अग्निहोत्री सलाहकार की भूमिका में हैं।
यह पहल इस सोच के साथ की गई है कि पीड़ितों, गवाहों और हितधारकों की सामूहिक आवाज़ प्रणालीगत बदलाव ला सकती है और ऐसा माहौल बना सकती है जहाँ सभी व्यक्ति अपने कार्यस्थलों पर हिंसा और उत्पीड़न के खतरे से मुक्त हों। यह जन सुनवाई न्याय, जवाबदेही और सभी के लिए सुरक्षित कार्यस्थल प्राप्त करने की दिशा में एक जरूरी पहल है।
इस जनसुनवाई के लिए पीड़ितों, गवाहों व हितधारकों को अपनी गवाही साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। ऐसे वे व्यक्तिगत रूप में या लिखित रूप से कर सकते हैं। ऐसे प्रतिभागियों को इस बात के लिए आश्वस्त किया गया है कि उनकी सुरक्षा व गोपनीयता पूरी तरह सुनिश्चित रहे। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये सुनवाइयां आमलोगों की पहुंच से दूर होंगी यानी वे उसमें शामिल नहीं हो सकते। सुनवाई के दौरान केवल जूरी सदस्य, विशेषज्ञ, जूरी की सहायता करने वाली समन्वय टीम मौजूद रहेंगे।
ऐसी सुनवाइयां कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर की जाएंगी, जिसमें दक्षिण 24 परगना, उत्तर बंगाल और अन्य प्रमुख क्षेत्र व जिले शामिल हैं। सुनवाई नौ से 20 नवंबर के बीच होगी।
सुनवाई के संबंध में जानकारी के लिए या इसमें हिस्सा लेने के लिए दिये गये फोन नंबर व इमेल पर संपर्क किया जा सकता है।