कोलकाता: पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है पश्चिम बंगाल की सरकार महिलाओं के मुद्दे पर लोकलुभावन दावों और घोषणाओं के बीच राज्य की महिला चाय मजदूरों के हितों की उपेक्षा कर रही है। 28 अगस्त 2024 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार ने चाय मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए एक नया पैनल का गठन किया है। ऐसा पैनल 17 फरवरी 2015 से अस्तित्व में है। इसमें नियोक्ता, यूनियन और सरकारी अधिकारी शामिल हैं। ये पैनल नै साल में 20 बार मिल चुकी हैं, लेकिन किसी नतीजे या निष्कर्ष पर पहुंचने में असमर्थ रही हैं।
पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने अपने बयान में कहा है कि केंद्र सरकार की अनूप सत्पथी समिति द्वाा 2019 में तय न्यूनतम वेतन पूर्वी भारत के लिए 342 रुपये था। 10 प्रतिशत की मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए भी आज कम से कम यह 550 रुपये होना चाहिए। कृषि क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा घोषित मजदूरी 320 रुपये से कहीं अधिक है।
हालांकि चाय बागानों में महिलाओं को अंतिम छोर पर रहना पड़ता है और वे 250 रुपये की ममूली मजदूरी पर काम करती हैं। यह मनमाने ढंग से तय की गई मजदूरी है जिसके कारण चाय बागान में काम करने वाली महिलाओं व उनके बच्चों में दीर्घकालिक कुपोषण होता है।
पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने कहा है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को मजदूरी तय करने के लिए तीन बार निर्देश दिया, लेकिन उसने उसे नजरअंदाज किया।
पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने कहा है कि पहली बार एक अगस्त 2023 को गुडरिक ग्रुप लिमिटेड और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने के अंदर यानी एक फरवरी 2024 तक न्यूनतम मजदूरी तय करने का समय दिया था। पर, सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
दूसरी बार 10 अप्रैल 2024 को श्रम आयुक्त को चाय में न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए छह सप्ताह के भीतर एक तर्कसंगत आदेश पारित करने और उसके दो सप्ताह के बाद आदेश को लागू करने का आदेश दिया गया। हालांकि राज्य सरकार ने इसमें कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया।
22 जुलाई 2024 को तीसरी बार राज्य सरकार को 12 अगस्त 2024 तक तीन सप्ताह के अंदर शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया। पर, ऐसा कोई हलफनामा सामने नहीं आया है।
पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने कहा है कि अगर सरकार द्वारा गठित त्रिपक्षीय समिति किसी नतीजे तक पहुंचने में असमर्थ हैं, तो न्यूतम वेतन अधिनियम राज्य सरकार को एक मसौदा अधिसूचना लाने, सभी की राय मांगने और फिर इन राय पर विचार करने के बाद अंतिम अधिसूचना लाने की अनुमति देता है। समिति ने आरजी कर अस्पताल मामले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि राज्य सरकार चाय बागान मजूदरों कम वेतन के साथ अपमान व असुरक्षा का जीवन जीने को मजबूर कर रही है।