संताल आदिवासियों के गुरु-शिष्य परंपरा का महापर्व दासाँय के आयोजन की कार्ययोजना तय

दुमका: दुमका जिले के दुमका प्रखंड के मकरो गाँव में खेरवाड़ साँवता एभेन बैसी और ग्रामीणों ने संताल आदिवासियों के गुरु शिष्य के महापर्व दासाँय को लेकर आठ सितंबर को एक बैठक की। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस पर्व को बहुत धूमधाम से 30 सितंबर को मनाने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर विभिन्न सुदुरवर्ती गाँवों से दासाँय नृत्य कला दलों को आमंत्रित किया गया है। सभी कला दलों को बैसी की ओर से पुरुस्कृत और सम्मानित किया जाएगा।

दासाँय पर्व सदियों से चली आ रही आदिवासी संस्कृति की पहचान है। दासाँय पर्व में गुरु बोंगाओ(गुरु देवताओं) को पूजा जाता है। दासाँय पर्व के माध्यम गुरू अपने शिष्यों को बीमारियों का ईलाज, जड़ी-बूटी, धर्म, तंत्र-मन्त्र आदि सिखाया जाता है। मंत्र विद्या सीखने के उपरांत गुरु शिष्य मिलकर अगल-बगल के गांवो में घूम-घूम कर भिक्षाटन करते हैं और दासाँय नृत्य कर इष्ट देवी देवता ठकुर और ठकरन का गुणगान करते और घर और गांव में सुख-शांति का कामना करते है।

यह पर्व संताल समुदाय को गुरु-शिष्य परंपरा को बनाये रखने का सीख देता है। इस अवसर पर मनोहर मरांडी, प्रेम, मरांडी गोविंद मुर्मू, परमेश्वर मुर्मू, मदन टुडू, नटुआ हाँसदाः, सुबोधन मरांडी, बिराम मुर्मू आदि उपस्थित थे।

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