नई दिल्ली : भारत, जहां 12 करोड़ छोटे व सीमांत किसान हैं, उनके लिए सूखा एक बड़ी आपदा साबित होता है। सूखे के कारण किसानों का कृषि उपज कम हो जाती है और उनकी आय में कमी आ जाती है। इस कारण उन्हें लगातार नुकसान और बढते कर्ज के दबाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनके लिए कोई भी नई प्रभावी तकनीकी पहल काफी मददगार साबित होती है। अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (आइडब्ल्यूएमआइ) ने इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च – सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रायलेंड एग्रीक्लचर और सीजीआइएआर-क्लाइमेट एक्शन प्रोग्राम के साथ साझेदारी में किसानों के लिए एक सूखारक्षक एआइ विकसित किया है। यह एआई किसानों को चार सप्ताह पहले तक का सूखा पुर्वानुमान दे सकेगा।
सूखारक्षक एआई चैटबॉट को किसानों, कृषि अधिकारियों और सूखे के प्रबंधन से जुड़े सरकारी कर्मियों के लिए एक बुद्धिमान साथी (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के रूप में विकसित किया गया है। यह कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा प्रदान करता है, ताकि भाषाई जटिलता की दीवार किसानों के पास सूचना प्रवाह में आड़े न आए।

ओडिशा के क्योंझर जिले में महिला किसान जलवायु.प्रतिरोधी और जल.कुशल फसल बाजरा उगाते हुए। Photo – IWMI
सूखारक्षक एआई मौसम पूर्वानुमान, इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट एंव सोसाइटी के संभावित पूर्वानुमान, नेशनल ओसिएनिक एंड एटमोसफेरिक एसोसिएशन के मौसमी और उप मौसमी पूर्वानुमान मॉडल, ग्लोबल एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली और जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली सहित विशाल डेटाबेस पर प्रशिक्षित उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडलों को एकीकृत करता है।
सूखारक्षक एआई उपग्रह पृथ्वी अवलोकन डेटा का भी उपयोग करता है, जिसमें सरलीकृत अंतर वनस्पति सूचकांक, वर्षा, वर्षा की कमी, एकीकृत सूखा गंभीरता सूचकांक, वनस्पति स्वास्थ्य सूचकांक और एसएडीएमएस से वास्तविक समय सूखा सूचकांक शामिल हैं। यह एक आधारभूत मॉडल दृष्टिकोण का उपयोग करता है जो 10 दिवसीय अल्पकालिक पूर्वानुमानों से लेकर चार.सप्ताह के अग्रिम सूखा पूर्वानुमानों तक, कई प्रकार की डेटा धाराओं को संसाधित और संश्लेषित कर सकता है।

चैटबॉट को 8 जुलाई 2025 को संयुक्त राष्ट्र के एआई फॉर ग्लोबल गुड समिट में प्रस्तुत किया गया । Photo – IWMI
सूखारक्षक एआई केवल डेटा प्रोसेसिंग से आगे जाता है। यह भारत की जिला स्तरीय आकस्मिक योजनाओं को शामिल करता है ताकि प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट कमजोरियों और अनुशंसित प्रथाओं के अनुसार सलाह तैयार की जा सके। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सूखाग्रस्त जिले के किसानों को पूरी तरह अलग मार्गदर्शन प्राप्त हो।
सूखारक्षक एआई की एक प्रमुख विशेषता यह है कि सर्वम और एआई4भारत के साथ समेकित है। भारत की भाषाई विविधता एक समृद्ध सांस्कृतिक शक्ति है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से यह एक समान और समय पर कृषि संबंधी सलाह देने में एक बाधा रही है। कई ग्रामीण किसान सीमित साक्षरता रखते हैं या स्थानीय बोलियों में मौखिक संवाद करना पसंद करते हैं। एआई4भारत के भाषा मॉडल का लाभ उठाकरए सुखरक्षक एआई 22 से अधिक भारतीय भाषाओं में टेक्स्ट और वॉइस सलाह दे सकता है, जिससे यह लाखों लोगों के लिए सुलभ हो जाता है।

सूखरक्षक एआई को प्रस्तुत करने का दृश्य। Photo – IWMI
इस चैटबॉट को 8 जुलाई 2025 को संयुक्त राष्ट्र के एआई फॉर ग्लोबल गुड समिट में लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया और अगस्त 2025 में ओडिशा और तमिलनाडु में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। इसका उपयोग मुख्य रूप से कृषि विस्तार एजेंसियों, सरकारी अधिकारियों और सूखा प्रबंधकों द्वारा किया जाएगा। किसानों के सामने पेश किए जाने से पहले इसे कई तरह के संशोधनों से गुजरना होगा।