तेज शहरीकरण व शहरी ढांचे पक्षी के लिए बड़े खतरे, सुधार व समुदाय की संवेदनशीलता जरूरी

दुनिया भर के शहर पक्षी के आवास के लिए एक खतरा बन कर उभरे हैं। शहरों के संरचनात्मक ढांचे न सिर्फ उनकी असमय मौत व दुर्घटना का कारण बनते हैं बल्कि उनके विलुप्त होने के संकट को भी बढाते हैं। वैश्विक स्तर पर सभी पक्षी प्रजातियों में से 49 प्रतिशत की संख्या कम हो रही है और आठ में से एक प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है। शहरी क्षेत्रों में पक्षी के खतरे के कई आयाम हैं। लेकिन, पक्षी के इस संकट के मद्देनजर इस बार विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की थीम है – साझा स्थान: पक्षी अनुकूल शहर और समुदाय बनाना (Shared Spaces: Creating Bird-Friendly Cities and Communities)।

वैश्विक स्तर पर वन्य जीवों के संरक्षण अभियान की ओर से पक्षी के आवासों के संरक्षण और उनके अनुकूल संरचनात्मक ढांचा बनाने के लिए पहल करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र संघ का सहयोगी संगठन कंजरवेशन ऑफ माइग्रेटरी स्पेसिज ने अन्य दूसरे संहयोगी संगठनों के साथ इसके लिए अपील की है।

विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 10 मई 2025 को है और उस दिन से पक्षी की सुरक्षा सुनिश्चित करने व जागरूकता के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू किया जाएगा। हालांकि पृथ्वी के दोनों गोलार्द्ध में पक्षी के प्रवास पैटर्न की समझ को एक साझा बिंदु पर लाने के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस साल में दो बार मनाया जाता है। इस साल दूसरी बार यह दिवस 11 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

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प्रवासी पक्षी की आबादी लगातार घट रही है। ग्लोबल इकोलॉजी एंड बायोजियोग्राफी में प्रकाशित 2024 के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया की अधिकतर पक्षी प्रजातियां मानव प्रधान वातावरण में पनपने में असमर्थ हैं। शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में, खिड़कियों से टकराना, प्रकाश प्रदूषण, आवास की हानि व विखंडन, घरेलू कीटनाशक और आक्रामक प्रजातियां जैसे बाहरी बिल्लियां पक्षी के लिए एक प्रमुख खतरे हैं।

झारखंड के साहिबगंज जिले में उधवा पक्षी अभ्यारण्य में उड़ान भरते पक्षी। फोटो स्रोत: कुंदन कुमार।

जर्मनी में शहरी क्षेत्रों में कांच से टकराने से प्रति वर्ष 100 मिलियानी यानी 10 करोड़ पक्षी मर जाते हैं। अमेरिका में इमारतों से टकराने से हर साल करीब एक अरब यानी 100 करोड़ पक्षी मरते हैं। दक्षिण कोरिया में एक अनुमान से पता चलता है कि सड़कों के किनारे पारदर्शी शोर अवरोधों से टकराने से हल साल 1.86 लाख पक्षी मरते हैं। उड़ान भरने के दौरान विशेष रूप से पारदर्शी और परावर्तक संरचनाओं से पक्षी के टकराने का खतरा अधिक होता है। इसी तरह कृत्रिम प्रकाश रात में प्रवास करने वाले पक्षी को भ्रमित करता है, जिससे उनके टकराने का जोखिम बढ जाता है।

प्रवासी पक्षी के लिए उनका प्रवास काल साल का सबसे महत्वपूर्ण समय चक्र होता है, उस दौरान वे प्रकाश प्रदूषण के प्रभावों का सामना करते हैं। ध्वनि प्रदूषण पक्षी के कलरव में बाधा डाल सकता है। जबकि पक्षी का कलरव साथी को आकर्षित करने, अपना क्षेत्र स्थापित करने और दूसरों के खतरे से आगाह करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह पक्षी के प्रजनन कार्यक्रमों की सफलता दर को भी प्रभावित करता हैं। उदाहरण के लिए, जर्मनी के म्यूनिख में वैज्ञानिकों ने पाया कि लगातार ट्रैफिक शोर वाले स्थानों पर पैदा हुए एक प्रजाति के चूजे (zebra finch chicks) उन माता-पिता से छोटे थे, जिन्होंने शांत स्थानों पर प्रजनन किया और घोंसले बनाए।

इसी तरह खुले तौर पर घूमने वाली बिल्लियां पक्षी के लिए बड़ा खतरा हैं। कनाडा में हर साल 100 से 350 मिलियन यानी 10 से 35 करोड़ पक्षी का ऐसी बिल्लियां शिकार करती हैं। वहीं, आस्ट्रेलिया में बिल्लियां हर दिन 10 लाख से अधिक पक्षी का शिकार करती हैं और उनकी मौत के लिए जिम्मेवार हैं।

उधवा पक्षी अभ्यारण्य का एक दृश्य। फोटो स्रोत: कुंदन कुमार।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, दुनिया की 55 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है और 2050 तक यह प्रतिशत बढ कर 68 तक हो जाएगा। इससे शहरों का विस्तार तेजी से हो रहा है और प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं। पक्षी के आराम करने की जगह, भोजन व प्रजनन की जगहें कम बची हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि शहरों को डिजाइन करने को तरीकों को पक्षी अनुकूल बनाया जाए और समुदाय को संवेदनशील किया जाए। पक्षी जहां फलते-फुलत हैं वे जगहें स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। यह आवश्यक है कि पक्षी के लिए शहर में स्वच्छ हवा, पानी व हरा-भरा स्थान हो। उनके अनुकूल सड़कें, पार्क व हरी छतें हों।

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