पश्चिम बंगाल भाजपा ने पहली बार माना है कि श्रमिकों की मांग जायज है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व सांसद शमिक भट्टाचार्य ने कहा है कि वे इस मामले को बजट सत्र में उठायेंगे।
कोलकाता : पश्चिम बंग खेत मजूर समिति (PBKMS), श्रमजीवी महिला समिति, पश्चिम बंग चा मजूर समिति (PBCMS), सेवा बांग्ला, भूखा मानुष अधिकार अभियान, पश्चिम बंग छात्र युवा संग्रामी मंच और मुक्तकंठ महिला समिति की ओर से 500 मजदूरों-कार्यकर्ताओं ने शनिवार, 11 जनवरी 2025 को कोलकाता में भाजपा प्रदेश मुख्यालय का राज्य में पुनः मनरेगा के तहत काम शुरू करवाने की मांग को लेकर किया। इस दौरान थाली बजाकर, ढोल बजाकर, बरतन बजाकर व मौजूदा हालात के खिलाफ नारेबाजी कर मनरेगा के तहत कामबंदी के खिलाफ विरोध जताया गया।
पश्चिम बंगाल भाजपा कार्यालय का घेराव करते मजूदर संगठनों के सदस्य।
यह रैली व घेराव न्यूनतम 100 दिन की ग्रामीण आबादी को रोजगार गारंटी देने वाले अधिनियम मनरेगा के तहत पुनः काम शुरू करवाने और असली दोषियों को सजा देने की मांग को लेकर किया गया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों को संबोधित करतीं वक्ता।
इस प्रदर्शन के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कार्यालय में मौजूद नहीं थे। हालांकि पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई की ओर से राज्यसभा सदस्य व प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने जन संगठन के प्रतिनिधियों से बात की और उनके पक्ष को जाना। हालांकि पहले वे आक्रमक व हमलवार थे और प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन को तुरंत बंद करने को कह रहे थे। पर, अंततः मजदूरों व श्रमिक व जन संगठनों के प्रतिनिधियों की बात को सुना और सभी यूनियन के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता की। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से एक ज्ञापन स्वीकार किया और कहा कि उनकी पार्टी उनकी मांगों से सहमत है और वे इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे और सात फरवरी तक अपडेट देंगे
भाजपा नेता बजट सत्र में उठाएंगे मुद्दा, देंगे अपडेट
उन्हें इस मामले में अबतक के पूरे घटनाक्रम व सरकार के विभिन्न प्रतिनिधियों से हुई वार्ता से अवगत कराया गया। उन्होंने माना कि श्रमिकों व उनके संगठनों की मांग जायज है। हालांकि उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की वित्तीय चूक और भ्रष्टाचार के ट्रैक रिकार्ड के कारण दिक्कत हो रही है और इस मुद्दे पर भारत के नियंत्रक और महालेख परीक्षक द्वारा दबाव डाला गया है। मजदूर संगठनों ने इस दौरान कहा कि यह स्थिति अनंतकाल तक जारी नहीं रह सकती है, इसलिए हम कुछ समाधान लेकर आए हैं।
पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य से वार्ता करते मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि।
ये सुझाव इस प्रकार हैं – सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के तहत प्रदान किए गए सामाजिक लेखा परीक्षा का प्रावधान व सुदृढीकरण। ग्राम सभा के स्तर से ही मनरेगा का संचालन और वित्त की निगरानी पर्यवेक्षण के लिए सत्ता पक्षा, विपक्ष और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों वाली वित्रपक्षीय समितियों का गठन। केंद्र के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा परामर्श का आयोजन करना, आवश्यक हितधारकों को आमंत्रित करना और शामिल करना। भाजपा प्रवक्ता व सांसद शमिक भट्टाचार्य ने आश्वासन दिया कि राज्यसभा सदस्य होने के नाते वे बजट सत्र के दौरान संसद में यह मुद्दा उठाएंगे और संबंधित ंमंत्रालय से आवश्यक संचार करेंगे और इस संबंध में सात फरवरी तक श्रमिक संगठनों को अपडेट देंगे। उन्होंने मौके पर उपस्थित पत्रकारों के समक्ष इन प्रतिबद्धताओं की सार्वजनिक घोषणा की।
प्रदर्शन के दौरान प्रेस से बात करते मजूदर संगठन के प्रतिनिधि।
धारा 27 का प्रयोग कर रोका गया है आवंटन
मालूम हो कि मनरेगा की धारा 27 का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 से पश्चिम बंगाल में मनरेगा का आवंटन रोक दिया है। ऐसा राज्य में मनरेगा की योजनाओं में कथित भ्रष्टाचार की शिकायत के आधार पर किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार दोषियों के खिलाफ जांच व कार्रवाई कर सकती है और धारा 27 अनिश्चितकाल के लिए काम बंद करने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है।
वार्ता के बाद पत्रकारों को संबोधित करते भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व सांसद शमिक भट्टाचार्य एवं पीबीकेएमएस की अनुराधा तलवार।
कामबंदी के कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों से पलायन बढा है और लोगों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हुआ है।