नई दिल्लीः नरेगा संघर्ष मोर्चा ने बुधवार (चार दिसंबर 2024) को एक प्रेस कान्फ्रेंस कर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के संबंध में सरकार के दावे को खारिज कर दिया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज व कुछ राज्यों से आये मनरेगा कार्यकर्ताओं व श्रमिकों ने अपना पक्ष रखा। वक्ताओं ने कहा कि मनरेगा सूची से लगातार श्रमिकों का नाम हटाया जा रहा है और उनके मजदूरी के भुगतान में विलंब होता है। इसके साथ ही यह मांग उठाई गई कि मौजूदा स्थिति में मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी बढा कर 800 रुपये प्रतिदिन की जानी चाहिए।
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी के उस भ्रामक दावे को अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने खारिज किया, जिसमें उन्होंने मनरेगा आवंटन में 20 हजार करोड़ रुपये वृद्धि व समय पर मजदूरी भुगतान का दावा किया। अर्थशास़्त्री ज्यां द्रेज ने कहा, यह केवल फंड ट्रांसफर ऑर्डर है, जो समय पर उत्पन्न होते हैं और श्रमिकों के खाते में धनराशि जमा करने में हफ्तों व महीनों की देरी होती है।
झारखंड नरेगा वाच की सदस्य अफसाना खातून ने कहा कि साल के शुरुआत से ही कैसे काम आवंटन होने पर मजदूरी भुगतान में काफी देरी होती है और बजट खत्म होने के बाद मांग पर काम नहीं मिलता है।
बिहार के जितेंद्र पासवान ने कहा, राष्ट्रीय मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम एनएमएमएस, आधार आधारित भुगतान प्रणाली और ऑनलाइन उपस्थिति जैसे मनमाने, अपारदर्शी व अनुचित तकनीकी हस्तक्षेप से श्रमिकों को काफी दिक्कत होती है। एनएमएमएस के साथ लगातार तकनीकी गड़बड़ियों व कनेक्टिविटी समस्याओं की वजह से श्रमिकों की उपस्थिति और दिन भर का वेतन फंस जाने का खतरा होता है।
कठोर केवाईसी प्रकियाओं व बैंक खातों को आधार से जोड़ने जैसी एबीपीएस आवश्यकताओं के कारण बड़े पैमाने पर जॉब कार्ड हटाए गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 से नौ करोड़ श्रमिकों के नाम हटा दिये गए हैं।
पश्चिम बंगाल के मनरेगा मजदूर अंबरीश सोरेन ने दिसंबर 2021 से केंद्र द्वारा पश्चिम बंगाल का मनरेगा फंड रोके जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि तीन साल से राज्य में मनरेगा का काम रुका है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की लंबित मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि मनरेगा अधिनियम कार्यान्वयन में अनियमितता की वजह से मजदूरी के भुगतान से इनकार करने का अधिकार नहीं देता है। मोर्चा ने मांग की कि मंत्रालय पश्चिम बंगाल में मनरेगा की जांच का विवरण साझा करे व उसे प्रकाशित करे।
Good news of all “MGNREGA” Labourers 👍✊