XDI की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ढांचागत सुधारों पर तत्काल निवेश नहीं हुआ, तो डेटा सेंटर ऑपरेटरों को बीमा प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी, लगातार परिचालन में रुकावट, और अरबों डॉलर के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
बैंकिंग से लेकर क्लाउड स्टोरेज, मेडिकल इमरजेंसी से लेकर मोबाइल नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स तक, हमारी पूरी डिजिटल दुनिया जिन डेटा सेंटरों पर टिकी है – वे अब खुद एक बड़े खतरे की चपेट में हैं। यह खुलासा हुआ है XDI (Cross Dependency Initiative) की एक अहम नई रिपोर्ट में, जो जलवायु परिवर्तन के चलते तेज़ी से बढ़ते भौतिक जोखिमों का विश्लेषण करती है।
XDI की “2025 ग्लोबल डेटा सेंटर फिजिकल क्लाइमेट रिस्क एंड अडॉप्टेशन रिपोर्ट” अब तक की सबसे व्यापक वैश्विक तस्वीर पेश करती है – कि कैसे बाढ़, तूफ़ान, जंगलों की आग, और तटीय जलभराव जैसे जलवायु संकट दुनिया भर के लगभग 9,000 डेटा सेंटरों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर रहे हैं।
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ढांचागत सुधारों पर तत्काल निवेश नहीं हुआ, तो डेटा सेंटर ऑपरेटरों को बीमा प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी, लगातार परिचालन में रुकावट, और अरबों डॉलर के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
XDI के संस्थापक डॉ. कार्ल मेलोन ने कहा, “डेटा सेंटर वैश्विक अर्थव्यवस्था का साइलेंट इंजन हैं, लेकिन जैसे-जैसे मौसम की घटनाएं ज़्यादा तेज़ और अनियमित होती जा रही हैं, इन इमारतों की संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है। अब जब ये बुनियादी ढांचा इतनी अहम भूमिका निभा रहा है और सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है, तो निवेशकों और सरकारों के पास जोखिम को अनदेखा करने की गुंजाइश नहीं बची है।”
रिपोर्ट की कुछ प्रमुख बातें:
2050 तक न्यू जर्सी, हैम्बर्ग, शंघाई, टोक्यो, हॉन्गकॉन्ग, मॉस्को, बैंकॉक और होवेस्टाडेन जैसे बड़े डेटा हब में से 20% से 64% डेटा सेंटरों को भौतिक क्षति का गंभीर जोखिम होगा।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र (APAC) जहां डेटा सेंटरों की सबसे तेज़ ग्रोथ हो रही है, वहीं जोखिम भी सबसे ज़्यादा है – 2025 में हर 10 में से एक और 2050 तक हर आठ में से एक डेटा सेंटर उच्च जोखिम में होगा।
अगर जलवायु संकट को रोकने और अनुकूलन उपायों में ठोस निवेश नहीं हुआ, तो बीमा लागत 2050 तक तीन से चार गुना बढ़ सकती है।
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि सटीक डिज़ाइन और निर्माण में निवेश कर डेटा सेंटरों की संरचनात्मक मजबूती को बढ़ाया जा सकता है, जिससे सालाना अरबों डॉलर की बचत संभव है।
XDI की रिपोर्ट यह भी साफ़ करती है कि हर जगह जोखिम एक जैसा नहीं है – एक ही देश या क्षेत्र के दो डेटा सेंटरों में भी जोखिम का स्तर अलग हो सकता है। इसलिए, ये ‘जैसा-जैसा क्षेत्र, वैसा निवेश’ वाली समझ अब ज़रूरी हो गई है।
साथ ही रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि सिर्फ ढांचागत मज़बूती ही काफी नहीं है। अगर सड़कें, पानी की आपूर्ति या टेलीकॉम नेटवर्क – जिन पर डेटा सेंटर निर्भर हैं – खुद असुरक्षित हैं, तो किसी भी ‘सुपर-रेज़िलिएंट’ डेटा सेंटर का कोई मतलब नहीं रह जाता।
इसलिए दीर्घकालिक सुरक्षा और डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए अनुकूलन (adaptation) और उत्सर्जन में कटौती (decarbonisation) – दोनों साथ-साथ चलने चाहिए।
(आलेख स्रोत: क्लाइमेट कहानी।)