नर्मदा बचाओ आंदोलन ने यह चिंता जतायी है कि जलस्तर बढने से हजारों परिवार डूब के कगार पर खड़े हो गए हैं और कानून कानून एवं न्यायिक आदेेशों का उल्लंघन किया गया है। ऐसे में बिना पुनर्वास डूब नामंजूर है। इसके विरोध में कसरावद गांव में जल सत्याग्रह का शनिवार को आयोजन किया गया है।
बड़वानी (मध्यप्रदेश) : नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर क्षेत्र के 170 से अधिक गावों में 2023 के मानसून के दिनों में जलस्तर बैकवॉटर बढ़ने से हजारों मकान व हजारों एकड़ खेत डूबग्रस्त हो गये थे और दर्जनों मकान ध्वस्त हो गये थे। खेतों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गई थीं। ऐसी स्थिति इस साल फिर बनने की आशंका से नर्मदा घाटी के लोग आशंकित हैं। इस साल फिर से घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, पशुपालक, दुकानदार व समुदायों के हजारों परिवारों पर डूब का खतरा मंडरा रहा है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने यह चिंता जतायी है कि जलस्तर बढने से हजारों परिवार डूब के कगार पर खड़े हो गए हैं और कानून कानून एवं न्यायिक आदेेशों का उल्लंघन किया गया है। ऐसे में बिना पुनर्वास डूब नामंजूर है। इसके विरोध में कसरावद गांव में जल सत्याग्रह का शनिवार को आयोजन किया गया है।
नर्मदा में जल सत्याग्रह का दृश्य। फोटो क्रेडिट – एनबीए।
आज 14 सितंबर को सरदार सरोवर डैम का जलस्तर 136 मीटर से से ऊपर जा रहा है और ऊपरी बड़े बांधों के जलाशयों में भी पानी लबालब भरा हुआ है। हाल के सालों में जलवायु परिवर्तन की वजह से सितंबर ही नहीं अक्टूबर तक वर्षा होती है और कुछ घंटों व कुछ ही दिनों में अतिवृष्टि हो जाती है। ऐसे में बड़े बांधों व जलाशयों को वर्षाकाल में खाली रख कर आसन्न संकट से बचा जा सकता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने कहा है कि केंद्रीय जल आयोग की नियमावली में भी यह व्यवस्था की गई है। हालांकि नर्मदा घाटी के बड़े बांधों में जलनियमन की चुनौती है।
कल 13 सितंबर को रात में ओंकारेश्वर बांध के 8 गेट खोले गये हैं और उसका जलप्रवाह तथा इंदिरा सागर से निकासित जलप्रवाह सरदार सरोवर क्षेत्र में पहुंचने पर बड़वानीए धारए खरगोन तक के गांव व खेत प्रभावित हो सकते हैं। यहां तक कि पुनर्वास के लाभ से वंचित अलिराजपुर जिले की खेती भी डूब सकती है।
पिछले साल आई बाढ के दौरान कई परिवार शासकीय भवनों में, कई परिवार किराये के या रिश्तेदारों के मकानों में रहने को मजबूर हुए। उनका पुनर्वास अबतक नहीं हो पाया है। इसी तरह 2019 से टीनशेड्स में रखे गये 500 परिवार भी आजतक पूर्ण पुनर्वास से वंचित हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने कहा है कि मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा केंद्र सरकार जननियमन को प्रभावी बनाए, सरदार सरोवर का गेट पर्याप्त संख्या में खोल कर जलस्तर बढने के खतरे को रोके। आज के जल सत्याग्रह में कमला यादव, केसर सोमरे, मंजूबाई अजनारे, रंजना मौर्य, भगवान सेप्टा, मेधा पाटकर आदि ने हिस्सा लिया।