नई दिल्ली: एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वर्ष 2024-25 में मनरेगा में पंजीकृत परिवारों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि इससे रोजगार में कोई सुधार नहीं हुआ है। लिबटेक नामक संस्था की इस रिपोर्ट के अनुसार, सृजित व्यक्ति दिवसों में 7.1 प्रतिशत (288.83 से 268.44 करोड़) की गिरावट और प्रति परिवार औसत रोजगार दिवस में 4.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। वहीं, रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या में 2.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है।
मनरेगा के एमआइएस डेटा के विश्लेषण पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्र सात प्रतिशत परिवारों ने 100 दिन का काम पूरा किया, जो वर्ष 2023-24 में 7.6 प्रतिशत के आंकड़े से कम है।
वर्ष 2024-25 में रोजगार में सबसे अधिक गिरावट वाले राज्य में ओडिशा(34.8%), तमिलनाडु (25.1%), राजस्थान न (15.9%) शामिल हैं, जबकि महाराष्ट्र (-39.7%), हिमाचल प्रदेश (-14.8%) व बिहार (-13.3%) में रोजगार में वृद्धि हुई है। सूची में नए श्रमिकों को जोड़ने का काम दूसरी छमाही में अधिक हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवतः ऐसा इस वजह से हुआ क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा हटाए गए जॉब कार्ड को एसओपी को जारी किया गया था। हालांकि इससे रोजगार में वृद्धि नहीं हुई जो कार्यान्वयन संबंधी दिक्कतों को बताती है।

सभी रजिस्टर्ड श्रमिकों में 27.5 प्रतिशत और सक्रिय श्रमिकों में 1.6 प्रतिशत एबीपीएस यानी आधार बेस्ड पेपेंट सर्विस के अपात्र रहे। महाराष्ट (63.4्%), गुजरात (58.1%)) व झारखंड (38.1%)) में एबीपीएस के अपात्र मजदूरों का अनुपात अधिक रहा। अनुभव बताता है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय के आश्वासनों के बावजूद उन्हें काम से वंचित रखा जाता है। लिबटेक इंडिया ने अपने अध्ययन में पाया कि एबीपीएस के जरिये खाता आधारित प्रणालियों की तुलना में कोई महतवपूर्ण दक्षता लाभ नहीं प्राप्त हुआ। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि तीन साल से अधिक समय से पश्चिम बंगाल में मनरेगा का कोई रोजगार सृजन नहीं हुआ है, क्योंकि केंद्र सरकार ने मनरेगा की धारा 27 का उपयोग करते हुए वहां आवंटन रोक रखा है।
उल्लेखनीय है कि 2005 में मनरेगा भारत के लागू किया गया। इस तरह ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून का यह मनरेगा का 20वां साल है।
मनरेगा के तहत पंजीकृत परिवारों की संख्या में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद रोजगार संबंधी आंकड़े चिंताजनक गिरावट की ओर इशारा करते हैं। सृजित व्यक्ति दिवसों में 7.1 प्रतिशत की गिरावट आयी है और प्रति परिवार रोजगार के औसत दिन में 4.3 प्रतिशत तक कम हुए हैं और केवल सात प्रतिशत परिवारों ने 100 दिन का रोजगार पूरा किया है। यह योजना के कवरेज और इसके वितरण के बेमेल को दर्शाता है।
पूरी रिपोर्ट आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैं –
लिबटेक की मनरेगा पर हिंदी रिपोर्ट का लिंक
लिबटेक की मनरेगा पर अंग्रेजी रिपोर्ट का लिंक