कोलकाताः पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में प्रतिबंधित रिंगर लैक्टेटेड आरएल का महिलाओं पर किये गये उपयोग के बाद राज्य में जन स्वास्थ्य व उसके बीच संचार व सूचनाओं के गैप को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़ा हुआ है। मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एंड ऑस्पिटल में कम से कम चार महिलाओं पर इसका उपयोग किया गया, जिसमें एक महिला 25 वर्षीया ममानी रूईदास की शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 को मौत हो गई और तीन महिलाएं गंभीर रूप से बीमार हो गईं। उपयोग किया गया आरएल पश्चिम बंग फार्मास्यूटिकल का है। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग के एक दस्तावेज से यह पता चलता है कि यह राज्य के स्वास्थ्य महकमे को कई तरह की मेडिकल वस्तुओं की आपूर्ति करती थी और यह FARISTA VANUYA PVT. LTD की एक इकाई है।
इस घटना के बाद गंभीर रूप से बीमार हुई तीन महिलाओं को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उन्हें इलाज के लिए एसएसकेएम अस्पताल, कोलकाता लाया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मृतक महिला के परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें एक्सपाइरी आरएल दिया गया। हालांकि जिस आरएल का प्रयोग किया गया, उसे पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले ही महीने दस दिसंबर को कर्नाटक में उसके उपयोग के बाद चार महिलाओं की मौत के बाद प्रतिबंधित कर दिया था। कर्नाटक के बेल्लारी जिले में नवंबर 2024 में इसके उपयोग के बाद चार महिलाओं की मौत हो गई थी, जिसके बाद उसे बैन किया गया था। इस घटना के बाद 10 दिसंबर 2024 को पश्चिम बंगाल सरकार ने इस कंपनी के सभी मेडिकल उत्पादों के उपयोग पर अगली जांच होने तक प्रतिबंध लगा दिया था।
पश्चिम बंगाल सरकार ने यह कदम केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रा संगठन(सीडीएससीओ) के अधिकारियां के साथ कंपनी में एक संयुक्त निरीक्षण के बाद उठाया। इसके बावजूद उसका उपयोग जारी रहा। इससे प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि जन स्वास्थ्य को लेकर सूचनाओं के प्रवाह में एक गैप है। अगर प्रतिबंध तिथि के बाद से ही इसका उपयोग न करने की सख्त हिदायत होती तो इस हादसे को टाला जा सकता था।
जूनियर डॉक्टर फ्रंट के गंभीर आरोप
इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए विस्तृत बयान जारी कर सरकारी स्वास्थ्य महकमे में स्टाफ की कमी, अनियमितता, लापरवाही व भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे की मांग करने के साथ स्वास्थ्य मंत्री को घटना के लिए जिम्मेवार ठहराने की बात कही है।
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट ने अपने बयान में कहा है कि जब देश के एक राज्य में महिलाओं की मौत के बाद उस आरएल को प्रतिबंधित कर दिया गया था तब भी उसका उपयोेग कैसे होते रहा। बयान में कहा गया है कि 10 जनवरी को मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूति विभाग के ऑपरेटिंग रूम में पांच माताएं अचानक गंभीर रूप से बीमार हो गईं और तीन को आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। इस दुर्घटना के कारणों की समीक्षा करते हुए पाया गया कि उनमें से प्रत्येक का रक्तचाप असमान्य रूप से कम था, मूत्र बनना लगभग शून्य पर था और शरीर में एलर्जी के लक्षण दिखाई देने लगे थे। प्रारंभिक अनुमान यह है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना खराब गुणवत्ता वाले रिंगर लैक्टेट के प्रतिकूल दुष्प्रभावों के कारण गुर्दे की विफलता के परिणामस्वरूप हुई।
सवाल यह है कि रिंगर लैक्टेट की खराब गुणवत्ता के बारे में हमारी शिकायतें लंबे समय से चल रही हैं। जिस भी रोगी को यह द्रव दिया जाता है, उसे बुखार और कंपकंपी का अनुभव होता है और आरोप है कि पिछले वर्ष नवंबर में कर्नाटक में चार गर्भवती महिलाओं की इसी कंपनी की इसी दवा के दुष्प्रभावों के कारण मृत्यु हो गई थी। उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग पश्चिम बंगाल के हर अस्पताल के हर वार्ड में उसी कंपनी की दवाइयां सप्लाई करता रहा है। सवाल यह भी है कि उसकी जगह अन्य दवा क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई।
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट ने कहा है कि बहुचर्चित और बैन की गई दवा कंपनी का आरएल जो इतना विवाद का विषय रहा है और देश के एक राज्य में काली सूची में डाल दी गई है, उसका उपयोग अभी भी राज्य के सभी अस्पतालों में, यहां तक कि गंगा सागर के सरकारी शिविरों में भी क्यों किया जा रहा है?
विपक्ष ने उठाया सवाल, सरकार बोली – बख्शे नहीं जाएंगे दोषी
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस पर सवाल उठाया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा – पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल लिमिटेड से खरीदे गए रिंगर लैक्टेटेड, सलाइन और 14 अन्य आवश्यक चिकित्सा वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग के स्टोर मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम में जानकारी अपडेट नहीं की गई या अधिकारियों ने ईमानदारी से काम नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में एक दिन पूर्व बच्चे को जन्म देने वाली मां की जान चली गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ घंटे पहले एक्स हैंडल पर एलओपी की पोस्ट के बाद अचानक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए और राज्य सरकार के अस्पतालों में पश्चिम बंग फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई रिंगर लैक्टेटेड सलाइन की वर्तमान स्टॉक स्थिति को ध्यान में रखते हुए व्हाट्सएप पर निर्देश जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने उसका स्क्रीनशॉट भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में शेयर किया।
अधिकारी ने लिखा – यदि घटिया और दोषपूर्ण दवाओं के बारे में ऐसी ही गंभीरता पहले दिखाई गई होती तो गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी को टाला जा सकता था। मैं ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन से मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग करता हूं।
इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने मामले की सीआइडी जांच के आदेश दिए हैं। जांच कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी, ऐसी लापरवाही को मैं सहन नहीं कर सकती हूं।