मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल के अपने उत्तर बंगाल दौरे में चाय मजदूरों के मुद्दों पर कोई ठोस बयान नहीं दिया और न ही कोई कदम उठाने का संकेत दिया है।
कालचीनी (अलीपुरद्वार) : पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के कालचिनी ब्लॉक में स्थित मधु चाय बागान बंद होने से यहां के मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 19 मई 2025 को मधु चाय बागान के बंद होने की घोषणा ने मजदूरों के बीच हताशा और अनिश्चितता पैदा कर दी है। इस बागान के चाय मजदूरों का 12 पखवाड़े यानी चार महीने का वेतन पहले से प्रबंधन के पास बकाया है। उसके बाद बंदी ने मजूदरों का संकट और अनिश्चितता को और बढा दिया गया है। यह बागान कभी बहुतों परिवारों की आजीविका का स्रोत था, अब उनके लिए एक अनसुलझा संकट बन गया है।
मधु चाय बागान प्रबंधन ने चाय मजदूरों के के भविष्य निधि (पीएफ) का पैसे भी उनके खाते में जमा नहीं किया है। यह लापरवाही मजदूरों के लिए दोहरी मार साबित हो रही है। बागान बंद होने से कई मजदूर अब दूसरे चाय बागानों में काम की तलाश में भटक रहे हैं। बहुत सारे मजदूर बाहर दूसरे राज्य काम की तलाश में चले गए हैं। कुछ साल पहले इसी बागान में भुखमरी से एक व्यक्ति की मृत्यु की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया था। अब बागान के बंद होने से मजदूरों में वही डर फिर उत्पन्न हो गया है।

मधु चाय बागान के मजदूरों का पहले से आठ पखवाड़े यानी करीब चार महीने का वेतन बकाया है। पीएफ के पैसे उनके खाते में भी जमा नहीं किए गए हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालिया उत्तर बंगाल दौरे के दौरान इस गंभीर मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई, जिससे मजदूरों में निराशा और बढ गई है। किसी जनप्रतिनिधि ने भी इस संकट को गंभीरता से नहीं उठाया है। अब सबकी नजरें 29 मई 2025 को अलीपुरद्वार के परेड ग्राउंड में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर टिकी हैं। क्षेत्र के विधायक और सांसद, जो दोनों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हैं, ऐसे में मजदूरों के मन में यह सवाल है कि क्या वे इस बार मजदूरों की पीड़ा को प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे?
मजदूरों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए पश्चिम बंगाल चा मजदूर समिति (पीबीसीएमएस) का सहारा लिया है। 18 मई 2025 को पीबीसीएमएस के नेतृत्व में मजदूरों ने हाशिमारा थाने में प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है। मजदूरों को उम्मीद है कि इस शिकायत पर कार्रवाई होगी और उनका बकाया वेतन व पीएफ का पैसा उन्हें मिलेगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसी महीने उत्तर बंगाल के दौरे पर थीं, लेकिन उन्होंने चाय मजदूरों के मुद्दे पर कोई अहम बयान नहीं दिया, मजदूरों की उम्मीद अब 29 मई को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से बंधी है।
मधु चाय बागान का बंद होना केवल एक बागान की कहानी नहीं है, बल्कि उत्तर बंगाल के चाय बागान उद्योग में व्याप्त गहरे संकट का यह प्रतीक है। मजदूरों की प्राथमिक मांग अपने बकाया वेतन, पीएफ के पैसे के खाते में जमा करने और काम शुरू करने से जुड़ी है।