खूंटवा सोहराय पर्व की एक अहम कड़ी है, जिसमें पशुओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है
दुमकाः आदिवासी जीवन पद्धति और त्योहार प्रकृति व मौलिक ज्ञान से जुड़े हैं। हर मान्यता की विशिष्टता और वैज्ञानिक महत्व है। इसी क्रम में इस साल सोहराय पर्व के दौरान झारखंड के दुमका जिले के दो गांवों में लुप्त होने के कगार पर पहुंचे सोहराय पर्व के खूंटवा माह का आयोजन किया गया।
सरी धर्म अखड़ा, दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर अखड़ा और दिसोम मरांग बुरु संताली आरीचली आर लेगचर अखड़ा के संयुक्त प्रयासों से दुमका प्रखंड के दुंदिया और धतिकबोना गांव में ग्रामीणों ने इस साल सोहराय का खूंटव माह बहुत धूमधाम से मनाया। सोहराय पर्व के तीसरे दिन को खूंटव माह(दिन) कहा जाता है। इन दोनों गांवों में 10 वर्षाे से अधिक समय से ग्रामीण खूंटव माह नहंीं मना रहे थे, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया था। आज भी संताल परगना के कई गांवों में खूंटव माह में खूंटव नही किया जाता है। समाजसेवी सच्चिदानंद सोरेन के प्रयास और अखड़ा के सहयोग से इन दोनों गांव के ग्रामीणों ने खूंटव माह में खूंटव किया और बहुत धूमधाम से मनाया। इस प्रकार सोहराय पर्व की इस महत्वपूर्ण कड़ी को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है। उम्मीद है कि आने वाले सालों में कई दूसरे गांवों में भी पुनः इसका अयोजन शुरू हो जाएगा।
क्या है सोहराय पर्व का खूंटव माह?
संताल आदिवासी के सोहराय पर्व के तीसरे दिन को खूंटव माह कहते हैं। इस दिन को ग्रामीण अपने घर के सामने खुटा गाड़ कर उसमें गाय या बैल या भैस को बांधते हैं। उसके बाद उसका विधिवत पूजा की जाती है। महिला, पुरुष और बच्चे इन मवेशियों के सम्मान में डोबोह(जोहार) करते हैं। उसके बाद उनके सम्मान में सभी उसके चारांे ओर मांदर के थाप पर नाच गान करते हैं।
सोहराय पर शिक्षा की शपथ, बच्चों के बीच बांटी गई शिक्षण सामग्री?
सोहराय पर्व के पावन अवसर में प्रगनैत राम सोरेन मेमोरियल ट्रस्ट और सरी धर्म अखड़ा के संयुक्त तत्वधान में दुमका प्रखंड के धतिकबोना गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर बच्चों के साथ बैठक की गई। इस दौरान सबसे पहले बच्चों ने पूज्य स्थल मंझी थान में पूजा अर्चना किया। उसके बाद बच्चों को कॉपी, कलम, पेंसिल और चॉकलेट वितरित किया गया। मुख्य अथिति व समाजसेवी सच्चिदानंद सोरेन ने बच्चों को बहुत मन से पढ़ाई करने को कहा। बच्चों को हर हाल में स्कूल और आंगनबाड़ी जरूर जाने की सलाह दी। सोरेन ने आगे कहा कि शिक्षा ही एक मात्र साधन है जो हम सभी के जिंदगी को रूपांतरित कर सकता है। सोरेन ने सभी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ अपने संस्कृति और धर्म को भी बढ़ावा देना चाहिये,सप्ताह में एक बार जरूर अपने पूज्य स्थल में पूजा करना चाहिए। अंत मे सभी बच्चों को स्कूल और आंगनबाड़ी जाने की शपथ दिलायी गई।