चाय मजदूरों के लिए संघर्ष करने वाले आदिवासी कार्यकर्ता किरसेन सहित सात पर फर्जी मुकदमा

चाय बागान प्रबंधक ने आदिवासी कार्यकर्ता किरसेन के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया जिसका एफआइआर में उल्लेख तक नहीं है

जलपाईगुड़ी: चाय मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले आदिवासी कार्यकर्ता किरसेन खड़िया के खिलाफ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में स्थित किल्कोट टी एस्टेट ने हत्या के प्रयास का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है। किरसेन खड़िया के साथ छह अन्य लोगों का नाम मुकदमे में शामिल किया गया है। क्रिस्टन खड़िया पश्चिम बंग चा मजूर समिति से जुड़े हुए हैं। क्रिस्टन व उनके संगठन ने किलकोट टी एस्टेट द्वारा लगाये गए आरोपों का खंडन करते हुए मुकदमा को फर्जी व चाय श्रमिकों व उनके लिए लड़ने वाले लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास बताया है।

इस संबंध में पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने एक विस्तृत बयान जारी किया है और क्रिस्टन ने भी सोशल मीडिया व अन्य मंचो के जरिए अपनी बात रखी है।

पश्चिम बंग चा मजूर समिति (PBCMS) ने अपने बयान में कहा है कि जब से सम्मेलन टी एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड ने किलकोट चाय बागान लिया है, तब से बागान मजदूरी मजदूरी के अनियमित भुगतान से परेशान हैं। घोषित भुगतान तिथियां हर महीने की नौ और 23 तारीख है, लेकिन भुगतान में अक्सर रहस्यमय देरी होती है, जो श्रमिकों को परेशान करती है, खासकर अगर देरी किसी बड़े त्योहार से पहले हो।

क्रिसमस की पूर्व संध्या 24 दिसंबर 2024 को एक और विलंबित भुगतान से परेशान होकर मजदूर कारखाने के गेट पर एकत्र हुए। किरसेन खड़िया ने क्लाइमेट ईस्ट को बताया कि जब चाय मजदूरों ने मजदूरी की मांग को लेकर फैक्टरी के गेट का घेराव किया था, तब मैनेजर वहां मौजूद था, लेकिन वह मजदूरी देने से मना कर रहे थे। बाद में वे मैनेजर के घर गए और बहस के बाद वे वहां से चले गए। इस बीच भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया और मामला शांत हुआ।

29 दिसंबर को मजदूरों को सूचना मिली कि किलकोट चाय बागान के छह मजदूरों के नाम और पीबीसीएमएस सेंट्रल कमेटी के सदस्य किरसेन खड़िया के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी गयी है। विडंबना यह है कि किरसेन खेड़िया क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने परिवार के साथ व्यस्त थे और उस किलकोट के आसपास कहीं नहीं गए थे।

इस मामले में दर्ज एफआइआर 226/24, दिनांक 25 दिसंबर 2024 में गलत तरीके से रोकने, हत्या का प्रयास, घर में अतिक्रमण, गंभीर चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी, हमला या किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करने के आरोप लगाए गए हैं। मामले में बीएनएस की धारा 329(4), 126(2), 117(2), 109/74/351(2)/3(5)) का प्रयोग किया गया है। हैरानी की बात है कि घटना को लाइव कवर करने वाले स्थानीय टीवी चैनल व अखबारों में मजदूरों की ऐसी हरकतों का कोई जिक्र नहीं है।

पश्चिम बंग चा मजूर समिति (PBCMS) ने कहा है कि शिकायत में यह उल्लेख नहीं किया गया है कि उच्च जाति वर्ग से आने वाले बागान प्रबंधक अतुल राणा (पिता राणा प्रताप सिंह) ने आदिवासी कार्यकर्ता के खिलाफ अपमानजनक जातिवादी भाषा का प्रयोग किया जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 (पीओए एक्ट) के तहत एक गंभीर अपराध है।

समिति (PBCMS)ने कहा है कि सम्मेलन टी एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनी मेरिको एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड नियमित रूप से किलकोट और कई अन्य बागानों के श्रमिकों का पीएफ अंशदान काट रही है। इन रकमों को पीएफ कार्यालय में जमा नहीं किया जा रहा है, जो एक अपराध है। सभी स्तरों पर बार-बार शिकायतों के बावजूद मजदूरी के देर से भुगतान, बागान श्रम अधिनियम का उल्लंघन, कम बोनस का भुगतान आदि पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। आज किलकोट की औद्योगिक शांति उन नियोक्ताओं के लालच के कारण नष्ट हो गई है जो सोचते हैं कि श्रमिक जानवर हैं जिनके अधिकार महत्वहीन हैं। उनके लिए बिना देरी किए मजदूरी का भुगतान करने की न्यूनतम आवश्यकता भी अनावश्यक है।

पीबीसीएमएस ने प्रशासन व सरकार से मांग की है कि झूठा मुकदमा तुरंत वापस लिया जाए। पीएफ कानून और पीओए एक्ट तोड़ने पर किलकोट प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाये और किलकोट में औद्योगिक शांति की बहाली की जाये।

किरसेन बोले, झूठे मुकदमे से नहीं दबेगी आवाज, हम संघर्ष करेंगे


किरसेन ने खुद पर व अन्य मजदूरों पर दर्ज कराये गये एफआइआर पर कहा है कि पुलिस प्रशासन और राजनीतिक दल चाय बागान के मालिकों से मिल कर चाय मजदूरों की आवाज को दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, मेरे ऊपर किलकोट चाय बागान के प्रबंधक द्वारा फर्जी केस दर्ज कराया गया है, मेरे साथ और छह लोगों पर केस किया गया और अन्य कुल 150 लोगों के ऊपर फर्जी केस दायर किया गया है। किलकोट चाय बागान के मजूदरों ने 24 दिसंबर 2024 को वेतन नहीं मिलने के कारण मैनेजर के बंगले का घेराव किया थ। यह खबर मुझे नहीं मिली थी, मैटेली थाना के आइसी द्वारा मुझे खबर मिला कि श्रमिको ने मैनेजर बंगले का घेराव किया है। मुझे जैसे खबर मिली मैंने मजदूरों से बात कर सभी लोगों को हटने का निवेदन किया, जिसको सभी मजदूरों ने माना और अपने-अपने घर चले गए। दूसरे हमारे यूनियन के माध्यम से किलकोट चाय बागान की समस्याओं को लेकर हमने जिला अधिकारी को पत्र भी लिखा और सारी जानकारी उनसे साझा की। साथ ही जल्दी से जल्दी वेतन देने की मांग की।

उन्होंने कहा है कि वे उस दिन घर में थे, क्योंकि क्रिसमस का समय था और उसकी तैयारी में व्यस्त थे, फिर भी मेरे ऊपर ही फर्जी केस डाल दिया गया ताकि मैं डर जाऊं और संघर्ष छोड़ दूं। क्रिस्टियन ने कहा है कि मैं प्रशासन को बताना चाहता हूं कि मैं क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की संतान हूं और डर से भागने वाला नहीं हूं, आखिरी दम तक लड़ूंगा और चाय मजदूरों की लड़ाई को हमेशा आगे लेकर जाऊंगा।

महिला मजदूरों ने क्या कहा है?


किलकोट चाय बागान की महिला मजदूरों ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी बात रखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि महिलाओं को धक्का-मुक्की कर मैनेजर के बंगले से खुद हटाया और उलटे महिलाओं सहित अन्य मजदूरों पर केस दर्ज करा दिया गया। महिला मजदूरों ने कहा है कि हमारे वेतन के भुगतान की तारीख हर महीने की नौ व 23 उन लोगों ने ही तय की है, फिर इस तय तारीख को वे हमारा वेतन क्यों नहीं देंगे। महिला मजदूरों ने कहा है कि हम अपने हक का पैसा मांग रहे हैं, उनका पैसा नहीं मांग रहे हैं। महिला मजदूरों ने यह भी कहा है कि हम अपने पीएफ और ग्रेच्युटी का भी पैसा नहीं पाते हैं। अगर हम अपने हक की लड़ाई लड़ते हैं तो हम पर केस हो जाता है। महिला मजदूरों ने कहा है कि झाड़ियों में काम करने में हमारा हाथ-पैर कट जाता है, लेकिन अस्पताल में टिटनेस का एक इंजेक्शन तक उपलब्ध नहीं होता।

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