सारंडा को वन अभ्यारण्य घोषित करने पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद झारखंड सरकार ने लिया मंत्री समूह बनाने का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों झारखंड सरकार को सख्त हिदायत दी थी कि वह सारंडा को वन अभ्याण्य घोषित करने की दिशा में फैसला ले अन्यथा अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए इस संबंध में अदालत खुद कदम उठाएगा।

रांची: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद झारखंड सरकार ने राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा वन क्षेत्र को वन अभ्यारण्य घोषित करने पर विचार के लिए इस मामले को मंत्री समूह को भेजने का निर्णय लिया है। 24 सितंबर को रांची में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि इस संबंध में पांच सदस्यों का मंत्री समूह गठित किया जाएगा।

मंत्री समूह उस इलाके में रहने वाले आदिवासियों व स्थानीय समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति व जारी आर्थिक गतिविधियों का आकलन करेगी और अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपेगी। इस क्षेत्र में कई जनजातीय समूह व आदिम जनजाति निवास करती है।

मालूम हो कि बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा को वन अभ्यारण्य घोषित करने में देरी के लिए झारखंड सरकार को फटकरा लगायी थी और इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव को आठ अक्टूबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। अदालत ने इस संबंध में सरकार को जरूरी कदम उठाने को कहा था और हिदायत दी थी कि ऐसा नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा था ऐसा लगता है कि सरकार न केवल मामले को टाल रही है, बल्कि अदालत के साथ छल भी कर रहा है।

अदालत ने कहा था कि आठ अक्टूबर तक इस संबंध में अधिसूचना राज्य सरकार की ओर से जारी नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव जेल जाएंगे और सुप्रीम कोर्ट वन अभ्यारण्य घोषित करने का परमादेश जारी करेगा।  राज्य सरकार ने पीठ को सूचित किया था कि उसने प्रस्तावित अभयारण्य क्षेत्र को पहले के 31,468.25 हेक्टेयर से बढ़ाकर 57,519.41 हेक्टेयर कर दिया है और अतिरिक्त 13,603.806 हेक्टेयर क्षेत्र को सासंगदाबुरू संरक्षण रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने के लिए चिह्नित किया है।

अब राज्य सरकार के नए कदम के बाद राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर यह पहल शुरू की है और इस मामले से अदालत को अवगत कराया जाएगा। कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने कहा, अंकुआ, समता करमपदा, गुड़ीबाध, ​​तिरिलपोसी और खलखोबाध के आरक्षित वनों में 57,519.41 हेक्टेयर वन क्षेत्र को वन्य अभ्यारण्य घोषित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनुसार, इस मामले पर विचार के लिए पांच मंत्रियों का समूह गठित किया जाएगा।

सारंडा साल के सबसे बड़े जंगलों में एक है और यह इलाका लौह अयस्क खनन के लिए जाना जाता है।

पश्चिमी सिंहभूम व्यापक लौह अयस्क खनन वाला जिला है और इस वजह से डीएमएफटी में इस जिले का अंशदान राज्य के किसी भी अन्य जिले से अधिक है

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