सुंदरवन, दक्षिण चौबीस परगना जिला
राहुल सिंह की रिपोर्ट
सुंदरवन क्षेत्र में बार-बार आने वाले चक्रवात व कटाव ने छोटे मछुआरों को अधिक परेशान किया है।
21 साल के मछुआरा शुभंकर जाना के लिए जिंदगी बहुत मुश्किल है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में पड़ने वाले सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र के एक गांव के निवासी शुभंकर जाना के परिवार का तीन बीघा खेत 2009 में आये आइला चक्रवात में नदी के कटाव के अंदर समा गया, जिसके बाद यह परिवार भूमिहीन हो गया।
शुभकंर के पिता 55 वर्षीय पवित्र जाना कहते हैं, “चक्रवात के बाद हम पूरे परिवार के साथ कुछ महीनों के लिए अपने ससुराल चले गये और फिर कुछ समय बाद लौट कर आये तो घर का मरम्मत कर उसे ठीक किया”। दक्षिण 24 परगना जिले के रूद्रनगर ब्लॉक की मुड़ीगंगा पंचायत के केेचुबेड़िया गांव के निवासी पवित्र जाना खुद भी एक मछुआरा हैं और मजदूरी काम करते हैं।
पवित्र जाना को महीने में 10 से 15 दिन मजदूरी मिलती है, बाकी दिनों में वे मछलियां पकड़ते हैं या घर पर रहते हैं। एक दिन की मजदूरी का उन्हें 350 रुपये मिलता है। उनकी पत्नी सुनीता जाना छोटी मछलियों को पकड़ती हैं, जिसके खरीदार उसे दूसरी जगह तालाब में पालते हैं। सुनीता जब यह काम करती हैं तो दिन भर में उनकी आय 100 से 200 रुपये के बीच होती है।
पवित्र जाना कहते हैं, “हम भी मछलियां पकड़ते हैं, लेकिन ज्यादातर लोकल मजदूरी करते हैं। घर के सेंटरिंग और छप्पर वाले मकान को छारने का काम करते हैं व खेत में रोपा मजदूर के रूप में भी काम कर लेते हैं। जब जैसा काम मिलता है, कर लेते हैं, अगर नहीं करेंगे तो हमारा संसार(गृहस्थी) नहीं चलेगा”।
सुनीता कहती हैं, “हमारे पास अब न जमीन है और न कहीं से कोई मदद मिलती है, हमारी कमाई बहुत कम है, अगर हम यह काम करके भी पैसे नहीं कमा सकेंगे तो हमारा संसार (घर) नहीं चलेगा”।
पवित्र जाना व उनकी पत्नी 48 वर्षीया सुनीता जाना के पांच बच्चे हैं – तीन बेटे और दो बेटियां। दोनों बेटियों की शादी हो गई है। इस दंपती का बड़ा बेटा 23 वर्षीय शिवशंकर जाना और 18 वर्षीय आकाश जाना इस साल मानसून के शुरुआती दिनों में काम करने हैदराबाद चले गये हैं। वे भी वहां सेंटरिंग का काम करते हैं।
पवित्र और सुनीता के पास उनका मंझला बेटा शुभंकर रह रहा है। शुभंकर जाना कहते हैं, “इस साल नदी में मछली कम हुई है तो मेरे दोनों भाई कमाने हैदराबाद चले गये, वे भी यहां मछली पकड़ते थे, अपने भाई के साथ कमाने मैं भी चला जाता, लेकिन अगर चल जाता तो यहां घर पर कौन रहता”?
शुभंकर कहते हैं, “हमारे पास छोटी नाव है और बारिश के महीने में हम उससे नदी में मछली पकड़ने नहीं जा सकते हैं, क्योंकि पानी अधिक होती है और उसकी धार काफी तेज होती है और मछली बारिश के महीने में अधिक होती है।” शुभंकर अफसोस जताते हैं कि जब कमाने का मौका होता है तो ही अपनी नाव से नदी में नहीं जा पाते।
ऐसी स्थिति में शुभंकर दूसरों के बड़ी नाव पर मछली पकड़ने जाते हैं। कई बार खराब मौसम व तूफान की वजह से उन्हें लौटना पड़ता है।