बिहार के दो वेटलैंड को मिला रामसर साइट का दर्जा, अब राज्य में चार और देश में 93 रामसर साइट

नई दिल्ली: जल संपदा के मामले में काफी समृद्ध बिहार के दो और वेटलैंड या नम भूमि क्षेत्र को रामसर साइट का दर्जा मिल गया है। ये हैं बक्सर जिले में स्थित गोकुल जलाशय जो 448 हेक्टेयर भूमि में फैला है और पश्चिम चंपारण जिले में स्थित उदयपुर झील जो 319 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थित है।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 26 सितंबर की रात ट्वीट के जरिये यह सूचना साझा की और बिहार को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

भारत में दो नए वेटलैंड को रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद कुल रामसर साइट की संख्या अब बढकर 93 हो गयी है जो 13, 60, 719 हेक्टेयर भूमि में फैले हुए हैं।

भूपेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में इस उपलब्धि का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह भारत के जैव विविधिता, जलवायु लचीलापन व स्थायी आजीविका के समृद्ध आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए भारत के संकल्प को दिखाता है।

फोटो – केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।

मालूम हो कि बिहार के लगभग चार प्रतिशत भूभाग पर आर्द्रभूमि या नमभूमि या वेटलैंड है। बिहार में पूर्व से बेगूसराय जिले में स्थित कांवर झील और जमुई जिले में स्थित नागी-नकटी जलाशय को रामसर साइट का दर्जा हासिल है।

रामसर साइट की वेबसाइट पर इस संबंध में दिए गए विवरण के अनुसार, गोकुल जलाशय (Site Number – 2576) गंगा के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गोखुर झील है। गंगा की बाढ़ आर्द्रभूमि में भूमि उपयोग और भूमि आवरण को प्रभावित करती हैए जिससे शुष्क महीनों में दलदली भूमि और कृषि क्षेत्र उजागर हो जाते हैं और मानसून के बाद जलभराव बढ़ जाता है। बाढ़ के दौरान, आर्द्रभूमि आसपास के गाँवों के लिए एक बफर के रूप में कार्य करती है। इस स्थल और इसके आसपास के क्षेत्रों में 50 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। मानसून.पूर्व के मौसम में दलदली भूमि और झाड़ियाँ भोजन और प्रजनन आवास प्रदान करती हैं। स्थानीय समुदाय मछली पकड़ने, खेती और सिंचाई के लिए आर्द्रभूमि पर निर्भर हैं। प्रत्येक वर्ष यहां एक पारंपरिक उत्सव के दौरान ग्रामीण मिलकर खरपतवार हटाते हैं और जलग्रहण क्षेत्र की सफाई करते हैं।

गोकुल जलाशय। फोटो – https://www.ramsar.org/

वहीं, उदयपुर झील (Site Number 2577) उत्तर और पश्चिम में उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगल से घिरी हुई है। झील एक गाँव को घेरे हुए है। इस आर्द्रभूमि में 280 से ज्यादा वनस्पति प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें एलिसिकार्पस रॉक्सबर्गियानस भी शामिल है, जो भारत में पाई जाने वाली एक बारहमासी जड़ी-बूटी है। यह आर्द्रभूमि लगभग 35 प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन निवास स्थान है, जिनमें संकटग्रस्त कॉमन पोचार्ड (Aythya ferina) भी शामिल है। जामुन के पेड़ (Syzygium cumini) आर्द्रभूमि के किनारे लगे हैं और माना जाता है कि उनके गिरे हुए फल पानी को शुद्ध करते हैं। इस आर्द्रभूमि को अवैध मछली पकड़ने और गहन कृषि, विशेष रूप से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से खतरा है। यह भी एक गोखुर झील है।

फोटो – केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।

रामसर साइट कन्वेंशन ने भारत के 91वें और 92वें आर्द्रभूमि को रामसर साइट का जर्दा मिलने की घोषणा की है। वहीं, भारत सरकार की ओर से अब कुल रामसर साइट की संख्या 93 होने की बात कही गई है। इसकी वजह जमुई जिले के नागी-नकटी झील को अलग-अलग इकाई मानकर गणना किया जाना है जो आसपास ही स्थित हैं। और, दोनों को अलग-अलग इकाई मानकर गणना करते हैं तो इस तरह बिहार में पांच रामसाइट कह सकते हैं।

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