हमारे यहां अच्छे से बारिश नहीं होने से इस बार भी खेती खराब हो गई

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के एक गांव की कहानी जहां अच्छी बारिश नहीं होने की मार आदिवासी किसान झेलने को मजबूर हैं।

रतनी बास्के


हमारा गांव झारिया एक छोटा-सा गांव है जो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका – 1 प्रखंड की भाटीन पंचायत में स्थित है। हमारे गांव में अधिक से अधिकतर किसान परिवार रहते हैं, जो कि अपने जीवन यापन के लिए खेती पर ही निर्भर हैं। पर, कुछ साल से यहां ठीक से बारिश नहीं होने की वजह से फसल ठीक से नहीं हो पा रही है तो कभी-कभी अधिक बारिश होने से भी फसल खराब हो जाती है। कई बार बहुत अधिक सूखा पड़ जाने से किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। कीड़े लगने से भी किसानों की फसल बर्बाद होती है।

हमारे परिवार के पास भी छह-सात खेत हैं, हमारे पिता किसान हैं। हमारे कुछ खेतों में अच्छी फसल हुई है और कुछ में खराब। इससे हमारे परिवार को परेशानियां का सामना करना पड़ता है। यह सिर्फ हमारे एक परिवार की कहानी नहीं है। गांव में कई परिवार हैं जो ठीक से बारिश नहीं होने पर खेती के खराब होने से परेशान होते हैं।

झारिया गांव के धान के खेत जिसमें अच्छी फसल नहीं हुई है।

हमारे गांव के यंग मुर्मू के छह खेत हैं, जिसमें एक भी खेत में अच्छे से फसल नहीं हो पायी है। यंग मुर्मू का कहना है कि पहले अच्छे से बारिश नहीं होने की वजह से फसल ठीक से रोप नहीं पाये और उसके बाद कीड़े लग जाने से हमारी फसल बर्बाद हो गई।

इसी तरह एक और किसान हैं जिनका नाम बादोल हांसदा है। बादोल हांसदा के ग्यारह खेत हैं, जिनमें दो से तीन खेत में ही इस बार अच्छे से फसल हुई है। बाकी खेत में वे शुरू में बारिश नहीं हो पाने के कारण फसल नहीं बो सके। इसी तरह गांव के जीतराय मुर्मू भी अपने खेत में फसल नहीं बो सके। उनके पास सात खेत हैं। बारिश नहीं होने से उनकी खेती को नुकसान हुआ। खेती नहीं होने से इनके परिवार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जीतराय मुर्मू का परिवार, वे भी इस साल अच्छे खेती नहीं कर सके।

झारिया गांव के किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, अधिकतर किसान गरीब हैं। खराब बारिश व रोपाई के समय बारिश नहीं होने से उनको नुकसान हो रहा है। खेती नहीं होने से किसानों जिसमें महिला-पुरुष दोनों हैं उन्हें रोजगार या कोई और काम करना होता है, जिससे उनका घर चलता है। ऐसे लोग मकान बनाने के काम में रोजगार तलाशते हैं। लेकिन, सभी लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं, जिससे उनके जीवन यापन में दिक्कत होती है।

झारिया गांव का दृश्य।

यहां के लोगों की जिंदगी, खेती और बारिश पर काफी निर्भर करती है। अगर बारिश अच्छे से होती है और मौसम अच्छा रहता है तो किसानों को दिक्कत कम होती है। लेकिन, कुछ साल से यहां ठीक से बारिश नहीं हो रही है।

(रतनी झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका – 1 ब्लॉक के झारिया गांव की रहने वाली हैं और इंटरमीडिएट में पढती हैं।)

टिप्पणीः हमने इस जमीनी कहानी को समुदाय की कहानी, समुदाय के शब्दों में की पहली कड़ी के रूप में प्रकाशित की है। हमारी यह कोशिश है कि समुदाय की कहानियां, परेशानियां उनके शब्दों में और उनके अनुभवों के आधार पर सामने आये। यह हमारी एक नई पहल है।

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