नई दिल्लीः पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक व उनके साथियों ने रविवार, 20 अक्टूबर को अपने अनशन का 15 दिन पूरा कर लिया। सोनम ने इस मौके पर अपना एक वीडियो संदेश सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह उपवास ऐसा है जिसमें हम खाना-पीना ही नहीं छोड़ते, बल्कि पानी कम, बिजली कम, उपभोक्तावाद कम, प्रदूषण कम, व प्लास्टिक का कम उपयोग करते हैं। उन्होंने देश के अन्य हिस्सों से उनके समर्थन में ऐसा उपवास करने वालों को धन्यवाद कहा है और लोगों से वीडियो संदेश भेजने की अपील की।
सोनम वांगचुक ने कहा है कि उनके साथ दिल्ली में इस जगह पर उपवास करने के लिए बहुत से लोग आसपास से आये हैं। उन्होंने कहा कि बदकिस्मती से ऐसे लोगों को पुलिस ने रोका या हिरासत में ले लिया। सोनम ने कहा कि इसमें पुलिस का दोष नहीं है बल्कि उस धारा का दोष है जिसका दुनिया के सबसे लोकतंत्र की राजधानी में लगातार उपयोग किया जाना शोभा नहीं देता है।
सोनम वांगचुक ने अपने वीडियो संदेश में बताया कि लद्दाख में भी बहुत सारे लोगों ने अपने-अपने गांव में अनशन रखा। उन्होंने कहा कि दूर-दराज की सीमा पर स्थित गांव के अलावा लेह शहर में शहीदों के स्थल पर लोगों ने अनशन रखा। वांगचुक ने कहा कि वहां पर धर्मगुरु शंकराचार्य ने भी हमारे आंदोलन को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सर्वधर्म व सर्वदलीय है और पूरे राष्ट्र का व पूरी पृथ्वी का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लोगों के भविष्य के संरक्षण के लिए है। सोनम वांगचुक के अनुसार, आपके बच्चे जिस हवा में सांस लेंगे, जो पानी पियेंगे और जिस धरती पर अपना खाना उगायेंगे उसके संरक्षण के लिए यह आंदोलन है न कि सिर्फ लद्दाख व हिमालय के संरक्षण के लिए।
लद्दाख की बर्फीली चोटियों से यात्रा के शुरुआती दिन।
एक सितंबर को दिल्ली के लिए लद्दाख से चले थे सोनम
सोनम वांगचुक ने एक सितंबर को लद्दाख से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए पदयात्रा शुरू की। उनकी इस यात्रा में उनके साथ लद्दाख व अन्य क्षेत्र के अनेकों लोग जुड़े। रास्ते में वे जिन प्रदेशों व राज्यों से गुजरे वहां गर्मजोशी से स्थानीय लोगों ने उनका व उनके साथियों का स्वागत किया और उनकी क्लाइमेट मार्च को अपना समर्थन दिया। उन्होंने लोगों से गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर को राजघाट पहुंचने का वादा किया था।
हिरासत में लिये गये
हालांकि दिल्ली पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें व उनके साथियों को हिरासत में ले लिया। इस पहले राजघाट पर उनके स्वागत के लिए सैकड़ों लोग एकत्र हुए थे। पुलिस की भारी मौजूदगी के बाद में भीड़ कम हो गई और वांगचुक दो अक्टूबर को रात में साढे दस बजे राजघाट पहुंच सके, जहां उन्होंने गांधी जी को श्रद्धाजलि दी। इसके साथ ही दो दिन का उपवास खत्म किया था। उनके साथ लद्दाख से करीब 150 लोगों ने यात्रा शुरू की थी।
सोनम वांगचुक की क्लाइमेट मार्च का एक दृश्य।
सोनम की क्या हैं मांगें
सोनम मांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने हिमालय की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। वे राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी हिमालय व लद्दाख के मुद्दे को उठाते रहे हैं। उन्होंने दो अक्टूबर को भी अपनी मांगों के संबंध में गृह मंत्रालय के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा था।