कोलकाता: पश्चिम बंग खेत मजूर समिति (PBKMS) ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा मजदूरों की काम की मांग और उस पर केंद्र व राज्य सरकार के रुख पर एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि केंद्र व राज्य की सरकार कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है। पश्चिम बंग खेत मजूर समिति ने वर्ष 2022 के शुरुआत से राज्य में मनरेगा की कामबंदी के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद इस साल 18 जून को कलकत्ता हाइकोर्ट ने सरकार को राज्य में पहली अगस्त से मनरेगा के तहत काम देने का आदेश दिया था।

पुरुलिया जिले के हुरा ब्लॉक में काम की मांग करने पहुंचे मनेरगा कामगार। फोटो: पीबीकेएमएस।
पश्चिम बंग खेत मजूर समिति(पीबीकेएमएस) ने अपने बयान में कहा है कि संगठन के तीन साल की अथक कानूनी लड़ाई के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें निर्देश दिया गया कि एक अगस्त 2025 से मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य फिर शुरू किया जाए। ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह ऐतिहासिक जीत है, पर केंद्र व राज्य दोनों सरकार ने अदालत के आदेश की बेशर्मी से अवहेलना करने का विकल्प चुना है। पीबीकेएमएस ने कहा है कि काम फिर से शुरू करने के बजाय कई जिलों व ब्लॉक में काम की मांग का आवेदन भी स्वीकार नहीं किया जा रहा है। अगर दोनों में से किसी सरकार ने अदालत के आदेश का सम्मान किया होता तो कम से कम 15 दिन पहले आवेदन स्वीकार करना शुरू कर देते और यह सुनिश्चित करते कि राज्य में मनरेगा फिर से शुरू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इसके बजाय दोनों सरकारें राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में लगी हुई हैं और लाखों ग्रामीण मजदूरों को बिना आय व उनके सम्मान के छोड़ दे रही हैं।

काम की मांग को लेकर सरकारी कार्यालय में प्रदर्शन करते पीबीकेएमएस के कार्यकर्ता।
पीबीकेएमएस ने राज्य के उन जिलों व ब्लॉकों के मजदूरों का विवरण जारी किया है, जहां काम की मांग के लिए मजदूर सरकारी कार्यालय गए और उनके आवेदन अस्वीकृत किए गए। विवरण के अनुसार, 28 से 31 जुलाई के दरमियान चार दिन में राज्य के सात जिलों के नौ ब्लॉक में 1349 आवेदन काम की मांग के लिए दिए गए जिन्हें खारिज कर दिया गया।
इस विवरण के अनुसार, पुरुलिया जिले के हुरा ब्लॉक में 220, पूंचा में 180, पुरुलिया 2 में 439, अरसा ब्लॉक में 15, बलरामपुर में 217; उत्तर 24 परगना के मिनाखान में 353 और हसनाबाद में 180 आवेदन दिए गए। दक्षिण 24 परगना के मथुरापुर 2 ब्लॉक में 413, जयनगर – 2 में 270, गोसाबा में 30 व मथुरापुर में 410, आवेदन दिए गए। दक्षिण दिनाजपुर के कुसमंडी ब्लॉक में काम की मांग के लिए 230 आवेदन दिए गए। इसी तरह मालदा के इंग्लिश बाजार में 200, ओल्ड मालदा में 130, पश्चिमी मिदनापुर के दांतन – 1 में 134 व नादिया जिले के कृष्णानगर – 2 में 20 आवेदन दिए गए।
पीबीकेएमएस ने कहा है कि जब नादिया जिले के कृष्णानगर – 2 ब्लॉक में मजदूरों ने काम की मांग का आवेदन प्रस्तुत किया तो बीडीओ व कुछ पंचायत प्रधानों ने उन्हें धमकियां दीं व अपशब्द कहे।
यहां तक कि उन्हें बांग्लादेशी कह कर गिरफ्तारी व दंडात्मक कार्रवाई की धमकी दी जा रही है। पीबीकेएमएस ने कहा है कि यह मज़दूरों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ने वालों को अपराधी बनाने और चुप कराने का एक ख़तरनाक प्रयास है।
पीबीकेएमएस ने कहा है कि जब संगठन ने मनरेगा आयुक्त से संपर्क किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक केंद्र सरकार नए निर्देेश जारी नहीं करती है, तब तक कोई काम शुरू नहीं होगा। यह स्थिति स्पष्ट रूप से कलकत्ता हाइकोर्ट के अधिकार को कमजोर करती है।
समिति ने कहा है कि इस बीच राज्य सरकार झूठे प्रचार में लगी हुई है, मुख्यमंत्री स्थानीय क्लबों को पूजा अनुदान 85 हजार रुपये से बढा कर 1.10 लाख रुपये कर सकती हैं, लेकिन उनके पास अपने राज् के करोड़ों ग्रामीण कामगारों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने की कोई योजना नहीं है।
पीबीकेएमएस ने अपने बयान में कहा है कि हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करना अवैध, अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य है। संगठन ने कहा है कि हमारा संघर्ष जारी रहेगा और हमारी मांग है कि तुरंत रोजगार शुरू किया जाए। मांग के बावजूद सभी मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। काम की मांग के आवेदनों को अवैध रूप से अस्वीकार करने और कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने पर रोक लगायी जाए। कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने और सांप्रदायिक आधार पर प्रचारित करने पर रोक लगायी जाए।