सरकार ने बिना यूनियन से चर्चा किए श्रम कानूनों को खत्म कर लेबर कोड बना दिया, कल देशव्यापी बंद

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि एक औसत श्रमिक 2014 में जितना कमाता था, आज भी उतना ही कमाता है। लेकिन, इस दौरान महंगाई काफी बढ गई है और मजदूरों के हित सीमित होते गए हैं। मोर्चा ने अपनी मांगों के समर्थन में नौ जुलाई के देशव्यापी बंद का समर्थन किया है।

नई दिल्ली: मजदूरों के हित के मुद्दे पर नौ जुलाई को देशव्यापी बंद का विभिन्न संगठनों की ओर से आह्वान किया गया है। यह बंद मजदूरों के सिकुड़ते अधिकार, सुरक्षित नौकरियों के कम होते अवसर, सरकारी संसाधनों के निजीकरण के खिलाफ बुलाया गया है। इस हड़ताल के दौरान असंगठित मजदूर, खेतिहर मजदूर और किसान काम ठप्प करेंगे। इस बंद का नरेगा संघर्ष मोर्चा ने समर्थन किया है और एक बयान जारी कर अपनी मांगें रखी हैं।

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि पिछले 11 सालों में केंद्र सरकार ने मजदूरों के अधिकार को कमजोर किया है। एक ओर सरकारी कंपनियों, कारखानों, लोक उपक्रमों, रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है। वहीं, स्थायी नौकरियों को खत्म कर कांट्रेक्ट पर नियुक्ति करने, दिहाड़ी और घंटी आधारित रोजगार दिया जा रहा है।

दशकों से जीते हुए मजदूरों के अधिकार – जैसे समय पर न्यूनतम मजदूरी भुगतान, आठ घंटे काम, साामजिक सुरक्षा, यूनियन बनाने का अधिकार खत्म किया जा रहा है। केंद्र ने मजदूरों से बिना बात किए सभी मजदूर कानून को बदलकर चार लेबर कोड बना दिया। देश के किसान-मजदूर घटती आमदनी, बढती महंगाई, कर्ज और अफसरशाही से त्रस्त हैं।

मोर्चा ने कहा है कि 2014 में मजदूर जितना कमाते थे, आज भी वास्तविक रूप से उतना ही कमा रहे हैं। लेकिन, महंगाई बढती ज रही है। देश के करोड़ों ठेका मजदूर, प्रवासी मजदूर, कंस्ट्रक्शन मजदूूूर के लिए सम्माजनक मजदूरी, रोजगार की गारंटी और सामाजिक सुरक्षा दिन पर दिन एक सपना होता जा रहा है। किसान भी हाशिये पर जा रहे हैं।

मोर्चा ने कहा है कि मोदी सरकार ने ग्रामीण मजदूरों के लिए जीवन रेखा का काम करने वाले रोजगार गारंटी देने वाले नरेगा को पिछले 11 सालों में लगातार कमजोर किया है। हालांकि मजदूरों के दबाव में मोदी सरकार चाहते भी मनरेगा को बंद नहीं कर पायी है। लेकिन, नरेगा मजदूरों को थकाने के लिए काम किया जा रहा है। मनरेगा में ग्रामीण मजूदरों को रोजगार देने के लिए जितने राशि आवंटन की जरूरत है, सरकार महज उसकी एक तिहाई ही आवंटित कर रही है। मजदूर कम मजदूरी और भुगतान में विलंब से त्रस्त हैं।

मोर्चा ने मांग की है कि मनरेगा मजदूरों को 800 रुपये पारिश्रमिक प्रतिदिन सुनिश्चित किया जाए। पश्चिम बंगाल में मनरेगा के तहत तुरंत काम शुरू किया जाए, रद्द किए गए जॉब कार्ड को चालू किया जाए। साथ ही सभी मजदूर विरोधी तकनीक, जैसे – मोबाइल आधारित हाजिरी, आधार से जुड़ा मेपेेंट सिस्टम को तुरंत हटाया जाए। नरेगा संघर्ष मोर्चा ने सभी संगठनों ने नौ जुलाई की हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *