पीबीसीएमएस व अन्य जन संगठनों की मांग, केंद्र रिलीज करे फंड, राज्य शुरू करे कर्मश्री योजना
कोलकाता : पश्चिम बंग खेत मजूर समिति(PBCMS), श्रमजीवी महिला समिति, सेवा बांग्ला, भूखा मानुषेर अधिकार अभियान, पश्चिम बंग छात्र युवा संग्रामी मंच ने संयुक्त रूप से नौ जनवरी 2025 को कोलकाता प्रेस क्लब में एक प्रेस कान्फ्रेंस कर पश्चिम बंगाल में पिछले तीन साल से मनरेगा के तहत कामबंदी पर अपनी बात रखी और केंद्र व राज्य सरकार से इस जल्द शुरू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
प्रेस कान्फ्रेंस को पश्चिम बंग खेत मजूर समिति के उपाध्यक्ष उत्तम गायेन व सदस्य अनुराधा तलवार, सेवा बांग्ला के प्रशांत, अंबरीश सोरेन आदि ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने इस दौरान कहा कि पश्चिम बंगाल के ग्रामीण श्रमिकों के समक्ष उत्पन्न संकट को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल कदम उठाना चाहिए। केंद्र सरकार को तत्काल पश्चिम बंगाल को मनरेगा के लिए धनराशि जारी करना चाहिए। राज्य सरकार को उसके द्वारा घोषित कर्मश्री योजना को कानून बनाने और 50 दिन काम की गारंटी अधिकार देने के लिए कानून पारित करना चाहिए। राज्य सरकार को कर्मश्री योजना के तहत काम की मांग के आवेदनों को तत्काल स्वीकार कर श्रमिक हित में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेवार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, निर्दोष श्रमिकों को मनरेगा और कर्मश्री के तहत तत्काल काम प्रदान करके सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
श्रमिक व जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमने अबतक भाजपा, टीएमसी, कांग्रेस, सीपीएम के कई सांसदों व दिल्ली मेें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री एवं कपड़ा मंत्री से मिल चुके हैं। साथ ही राज्य सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात कर उन्हें इन समस्याओं से अवगत कराया है। श्रमिक नेताओं ने कहा कि हमारी ओर से अपनी मांगों को रखने के लिए सभी स्तरों पर प्रतिनिधिमंडल भेजा गया, सड़क जाम व जुलूस जैसे आयोजन भी किए गए। इसके साथ ही ग्रामीण श्रमिकों ने पीएमओ को सामूहिक याचिकाएं भी भेजीं ताकि प्रधानमंत्री का ध्यान मांगों की ओर खींचा जा सके। विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी इसके लिए मुलाकात की गई।
वक्ताओं ने कहा कि राज्य में नौ मार्च 2022 से मनरेगा अधिनियम की धारा 27 का उपयोग कर केंद्रीय निधि को रोक दिया गया है। इस कारण अनगिनत परिवारों को दूसरे राज्यों में काम की तलाश में पलायन को मजबूर होना पड़ा है। वक्ताओं ने कहा कि धारा 27 का उपयोग केवल उचित अवधि के लिए धन रोकने का निर्देश देता है। जबकि तीन साल से अधिक समय से धन रोकना किसी भी उचित समय सीमा से अधिक का वक्त है।
वक्ताओं ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल के लोगों को कर्मश्री योजना के तहत गारंटीयुक्त रोजगार देने की राज्य सरकार की मंशा का स्वागत करते हैं। तीन दिसंबर 2024 को दिल्ली में नरेगा संघर्ष मोर्चा व अन्य मंचों द्वारा सांसदों और राजनीतिक दलों के लिए आयोजित एक ब्रीफिंग में टीएमसी की राज्यसभा सदस्य डोला सेना और लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार कर्मश्री को कानून बनाने की योजना बना रही है, जिससे 50 दिनों की रोजगार गारंटी मिलेगी। डोला सेन ने कहा कि कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है, जबकि जमीनी स्तर पर काम के आवेदन या तो बीडीओ द्वारा खारिज कर दिये जाते हैं या अनुत्तरित रह जाते हैं। श्रमिक नेताओं ने कहा कि मजदूर काम के लिए बेताब हैं, हमारे संगठन से जुड़े श्रमिकों ने भी आवेदन किया, लेकिन किसी को काम नहीं मिला है।
इसके साथ ही श्रमिकों की हित में आज आंदोलन के अगले चरण की रूपरेखा का ऐलान किया गया। इसके तहत 11 जनवरी को राज्य में बीजेपी के प्रदेश कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही फरवरी में नरेगा दिवस के मौके पर राज्य सरकार के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के समक्ष भी अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली में बजट सत्र के दौरान सांसदों से मुलाकात की जाएगी और ग्रामीण विकास मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा।