मध्यप्रदेश में उपलब्ध जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट में अधिकांश डिजिटली पढने योग्य नहीं हैं और उनमें डेटा की अस्पष्टता है। जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनुपलब्धता से अनियंत्रित व अवैध खनन को बढावा मिलता है, क्योंकि यह एक मार्गदर्शक दस्तावेज की तरह काम करता है। अवैध व अनियंत्रित खनन पारिस्थितिकी नुकसान, हत्या, मौत और अपराध की वजह बनता है।
कोलकाता: वेदितम इंडिया फाउंडेशन के इंडिया सैंड वॉच प्रोजेक्ट के एक रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश के आधे जिलों में जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (District Survey Report) उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध सर्वे रिपोर्ट में 79.5 प्रतिशत डीएसआर डिजिटल रूप में पढने योग्य नहीं है। 23 प्रतिशत डीएसआर में स्थान व संख्यात्मक डेटा गायब या अस्पष्ट पाया गया, जिससे उन डेटा को सत्यापित करना मुश्किल हो जाता है। यही नहीं मध्यप्रदेश जैसा राज्य जहां पढने-लिखने की प्रथम भाषा हिंदी है, वहां 84 प्रतिशत डीएसआर हिंदी में उपलब्ध नहीं हैं, जिससे भाषागत बाधाओं की वजह से आमलोगों व समुदाय के लिए उस रिपोर्ट तक सहज पहुंच मुश्किल हो गई।
ज्ञात हो कि वेदितम इंडिया फाउंडेशन नदियों पर शोध करने वाली कोलकाता स्थित एक गैर लाभाकारी संस्था है, जिसने हाल के वर्षाें में इंडिया सैंड वॉच प्रोजेक्ट यानी रेत या बालू खनन निगरानी परियोजना शुरू की है।
वेदितम इंडिया फाउंडेशन ने अपने रिसर्च के आधार पर कहा है कि इंडिया सेंड वॉच प्रोजेक्ट ने मध्यप्रदेश में रेत खनन के संबंध में प्रशासनिक पर्यावरणीय दस्तावेजों की खतरनाक कमियों को उजागर किया है। राज्य के लगभग आधे 48.9 प्रतिशत जिलों की आधिकारिक सरकारी वेबसाइट पर स्वीकृत जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। मऊगंज, मैहर और पांढुरना जैसे जिलों में कोई डीएसआर उपलब्ध नहीं है; जबकि अशोकनगर, जबलपुर, कटनी, खरगोन, मंडला, राजगढ़, शाहजापुर, सीधी, शहडोल, गुना और उमरिया जैसे जिलों में जिला वेबसाइट पर केवल ड्राफ्ट डीएसआर हैं, जिन्हें अनिवार्य रूप से एसईआईएए सिया(SEIAA) यानी स्टेट इनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट कमेटी से मंजूरी नहीं मिली है।

अनियंत्रित रेत खनन का नुकसान
डीएसआर की अनुपलब्धता अनियंत्रित व अवैध खनन को प्रश्रय देती है, जिसका खामियाजा पारिस्थितिकी नुकसान व स्थानीय समुदाय को भुगतना होता है। वर्ष 2024 में मैहर में रेत खनन के गड्ढे में एक 13 वर्षीय बच्चा डूब गया। कथित रूप से उस जगह अवैध रेत खनन हो रहा था। वर्ष 2023 में शहडोल जिले में अवैध खनन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे एक ट्रैक्टर की चपेट में आने से एक राजस्व अधिकारी की मौत हो गई।
भींड, धार व देवास जैसे जिलों में यह पाया गया कि डीएसआर पठनीय नहीं है, वे पुनः सत्यापित नहीं हैं और महत्वपूर्ण डेटा की उनमें कमी है। नर्मदा व चंबल जैसी नदियों के पारिस्थितिकीय रूप से संवदेनशील क्षेत्रों में ऐसी चिंताजनक स्थितियां हैं। जनवरी 2025 में भिंड में रेत खनन करने वाालों ने जिले के अवैध खनन की जांच करने का प्रयास कर रहे राजस्व अधिकारियों पर हमला किया।
धार व बड़वानी जैसे जिलों में अवैध रेत खनन के कारण महाशीर जैसे लुप्तप्राय मछली प्रजाति व अन्य जलीय जीवों के अस्तित्व पर संकट है।

चंबल नदी में ट्रैक्टर से पुल के नीचे से रेत के अवैध उठाव का दृश्य, जबकि नियमतः किसी भी आधारभूत संरचना के 500 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का खनन प्रतिबंधित है। तसवीर: सतीश मालवीय।
जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट की आवश्यकता क्यों?
जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट यानी डीएसआर एक महत्वपूर्ण व मार्गदर्शक दस्तावेज होता है, जो जिले में रेत सहित अन्य लघु खनिजों की उपलब्धता का विवरण प्रस्तुत करता है और उसके खनन के रिकार्ड और वहनीय खनन की संभावनाओं को रेखांकित करता है। डीएसआर में प्रमुख खनिजों की उपलब्धता का विवरण भी होता है। यह पर्यावरणीय शासन में एक आधारभूत ढांचें के रूप में कार्य करता है। इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दीर्घकालिक रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश 2016 (Sustainable Sand Mining Management Guidelines 2016) के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य लघु खनिज संसाधनों की वैज्ञानिक आधार पर पहचान सुनिश्चित करना है और इसमें दिए गए निर्देशों का खनन के दौरान पालन किया जाना चाहिए। यह अवैध खनन को रोकने, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।