कॉमन्स पर कम्युनिटी कॉन्फ्रेंस कल से, 164 समुदायों की आवाज को मिलेगा मंच

तीन दिनों के कान्फ्रेंस का आयोजन वर्चुअल माध्यम से होगा, जिसमें भारत के 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और वे जंगल, नदी, चारागाह, भूजल, समुद्र जैसे साझा प्राकृतिक संसाधनों पर अपनी बात रखेंगे।

आणंद (गुजरात): कॉमन्स यानी सामुदायिक संसाधनों पर तीन दिन के वर्चुअल कम्युनिटी कॉन्फ्रेंस का आयोजन 10 दिसंबर से शुरू होगा। 10 से 12 दिसंबर तक चलने वाले इस कान्फ्रेंस में दुनिया भर के 164 समुदायों की आवाज को मंच मिलेगा और वे इस मंच के जरिये सामने आएंगी। इस आयोजन में भारत के भी 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कम्युनिटी स्पीकर शामिल होंगे। यह आयोजन जंगल, नदी, चारागाह, भूजल, समुद्र जैसे अन्य सार्वजनिक या सामुदायिक संसाधनों के महत्व को रेखांकित करने के साथ उन पर समुदाय की आवाज को लाने की कोशिश है।

कान्फ्रेंस में मोजाम्बिक, युगांडा, पेरू, कंबोडिया, मॉरिशस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, अफगानिस्तान, थाईलैंड, मलेशिया के स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये वक्ता कॉमन्स या साझा प्राकृतिक संसाधन को बचाने और उसका बेहतर प्रबंधन करने के अपने अनुभव व पारंपरित ज्ञान को साझा करेंगे। ऐसे साझा प्राकृतिक संसाधन, जैसे – जंगल, नदी, चारागाह, भूजल, समुद्र हमारी जिंदगी को बनाए रखने में जरूरी भूमिका निभाते हैं। इस साझा संसाधन तक पहुंच, उनका इस्तेमाल करने और उनका प्रबंधन करने और बचाने की इंसानों की मिली-जुली कोशिशों ने सभ्यता को आगे बढाने में मदद की है।

साझा संसाधनों के साथ सांस्कृतिक के साथ सामुदायिक-आर्थिक रिश्ता भी

हालांकि सामुदायिक संसाधन और उनका साझा प्रबंधन व रखरखाव कई वजहों से तेजी से कम हो रहा है और जलवायु परिवर्तन ने स्थिति को और खराब किया है। यह स्थिति दुनिया भर के कमजोर समुदायों की जिंदगी और रोजी-रोटी के लिए गंभीरत चिंता का विषय है। समुदाय द्वारा साझा प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन और उसके तरीकों के बीच का रिश्ता सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ बहुत अधिक सामाजिक-आर्थिक महत्व भी रखता है।

फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (FES) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुब्रत सिंह कहते हैं, “भारत की लगभग 25% ज़मीन कम्युनिटी कॉमन्स है जो लगभग 90 बिलियन डॉलर (8085.195 अरब रुपये) की इकोलॉजिकल सर्विस देती है, और इसका 60-70% सीधे खेती को सपोर्ट करता है।” प्रॉमिस ऑफ़ कॉमन्स पहल के ज़रिए, एफइएस पार्टनर्स के साथ मिलकर, बेहतर इकोलॉजिकल, सोशल और इकोनॉमिक नतीजों के लिए 205 मिलियन एकड़ कॉमन्स के जेंडर-इनक्लूसिव, कम्युनिटी-लेड गवर्नेंस को मुमकिन बनाने पर फोकस करता है। सिंह कहते हैं, “जब ये ज़मीनें खराब होती हैं, तो यह तुरंत खराब मिट्टी, गिरते वॉटर टेबल और स्ट्रेस्ड फार्मिंग सिस्टम के रूप में दिखाई देता है। इसलिए अगर हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन के बारे में गंभीर हैं, तो हमें कॉमन्स को पुनर्जीवित करने और इन साझा संसाधन पर कम्युनिटी टेन्योर, गवर्नेंस और देखभाल को फिर से शुरू करने से शुरू करना होगा।”

स्थानीय समुदाय की शक्तिशाली आवाजों पर खास जोर देने के लिए कम्युनिटी कान्फ्रेंस ऑन कॉमन्स 2025 में अलग-अलग थीम पर बात होगी। जैसे – कॉमन्स व जैव विविधता, वाटर गवर्नेंस, संसाधनों को सहेजने का संघर्ष,, वन और भूमि कॉमन्स का कम्युनिटी गवर्नेंस, शहरी कॉमन्स, खाद्य सुरक्षा, लिंग के लिए कॉमन्स, कॉमन्स और संस्कृति आदि। इस दौरान साझा संसाधनों के लिए समुदाय के संघर्षाें और पारंपरिक तरीकों पर बात की जाएगी। यह कान्फ्रेंस एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में काम करती रहेगी, जहां समुदाय के नेतृत्वकर्ता, प्रैक्टिसनर, एकेडेमिशियन, नीति निर्माता और सिविध सोसाइटी वर्चुअली एक साथ कम्युनिटी लीडर्स की बात सुन सकेंगे। प्रतिभागी अपनी पसंद की क्षेत्रीय भाषाओं में संबोधित कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर फैसिलेटर उसकके हिंदी या अंग्रेजी में अनुवाद करेंगे।

प्रोग्राम का शेड्यूल और इवेंट के बारे में दूसरी जानकारी प्रॉमिस ऑफ़ कॉमन्स वेबसाइट: https://promiseofcommons.in/programme-schedule/ के कम्युनिटी कॉन्फ्रेंस पेज पर उपलब्ध है।

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